नेता प्रतिपक्ष में देरी पर अब कांग्रेस घेरे में, 19 तक निर्णय करना जरूरी, चार बड़े दावेदार
पहले सीएम, फिर मंत्रिमंडल, फिर विभाग वितरण को लेकर भाजपा सवालों के घेरे में आई। कांग्रेस ने भी जमकर आलोचना की। पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने तो सरकार को ‘ पर्ची सरकार ‘ तक की संज्ञा दी डाली। मगर अब भजनलाल सरकार काम शुरू कर चुकी है।
इतना तो तय है कि गोविंद डोटासरा को ये पद नहीं दिया जायेगा, क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनाव तक अध्यक्ष बदलने के मूड में नहीं। इसीलिए उनको इलेक्शन कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया है। अशोक गहलोत इस पद के दावेदार नहीं, क्योंकि उनको भी एलायंस कमेटी का सदस्य बनाया जा चुका है।
पहले सबसे आगे नाम सचिन पायलट का था, मगर अब उनको बनाती हुई पार्टी दिखती नहीं। सचिन को कांग्रेस महासचिव बना छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया गया है। उसके साथ नेता प्रतिपक्ष बनाये, ये व्यावहारिक भी नहीं। हां, उनका राज्य की राजनीति में पूरा दखल रहेगा, ये संकेत आलाकमान ने जरूर दे दिए हैं।
अब नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में बचता है नाम महेंद्रजीत सिंह मालवीय, राजेन्द्र पारीक, शांति धारीवाल का नाम। जिसमें आदिवासी क्षेत्र से आने वाले मालवीय सबसे आगे लगते हैं। उन पर आलाकमान का विश्वास भी है। आदिवासी को बनाकर कांग्रेस एक संदेश भी देना चाहेगी।
मगर कांग्रेस निर्णय में अनावश्यक देरी कर रही है इसी कारण सत्तारूढ़ भाजपा इस विषय पर उसे घेर रही है। लोकसभा चुनाव भी निकट है इसलिए भी इस पद को भरा जाना जरूरी हो गया है। लगता है भाजपा की तरह कांग्रेस भी नेता प्रतिपक्ष में नया नाम लाकर चकित कर सकती है। कुछ भी हो, 19 तक तस्वीर साफ होनी ही है।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘