ये मर्यादाएं बंधन मुक्ति का मार्ग : अमृत का पैगाम, शिवत्व का सोपान,आनंद का अवदान
नदियों में बाढ़ आती है, पर समुद्र में नहीं क्योंकि समुद्र मर्यादा सहित होता है : अमन
आरएनई, बीकानेर।
तेरापंथ धर्म संघ का ‘160वां मर्यादा महोत्सव – कुंभ का मेला’ स्थानीय स्तर पर साध्वी सेवाकेंद्र शांति निकेतन में साधु साध्वियों की संयुक्त सन्निधि में मनाया गया। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों ने समवेत स्वरों में गीत की प्रस्तुति दी।
साध्वीश्री प्रसिद्ध प्रभा जी ने कहा कि मर्यादा तेरापंथ धर्मसंघ की शान है। धर्म की आधारशिला मर्यादा और अनुशासन है। मर्यादा परिवार, समाज व समुदाय के लिए आवश्यक है। साध्वीश्री ललितकला ने तेरापंथ की रीति-नीति एवं मर्यादाओं के निर्माण में घटित घटनाओं का उल्लेख किया। शासनश्री साध्वीश्री शशिरेखा ने कहा कि आचार्य भिक्षु द्वारा खींची गई लकीरें, यह मर्यादाएं बंधन मुक्ति का मार्ग है। एक आचार्य केंद्रित यह धर्म संघ अनुशासित और मर्यादित है। मर्यादा के अभाव में जीवन, जीवन नहीं होता। मर्यादा से जीवन, संघ, समाज व राष्ट्र सुरक्षित रहता है, अतः प्रत्येक व्यक्ति को मर्यादा अनुशासन को महत्व देना चाहिए।
मुनिश्री चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि मर्यादा का महापथ महानता का दिशा सूचक यंत्र है। मर्यादा अमृत का पैगाम है, शिवत्व का सोपान और आनंद का अवदान है। आज्ञा, अनुशासन,मर्यादा और व्यवस्था इन चार मजबूत स्तंभों पर यह तेरापंथ का प्रासाद मजबूती के साथ खड़ा है। नदियों में बाढ़ आती है, पर समुद्र में नहीं क्योंकि समुद्र मर्यादा सहित होता है। इसी प्रकार यह तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादित अनुशासित और व्यवस्थित है। इस धर्मसंघ में साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका सबका योगदान है। इसीलिए यह संघ महान है।
मुनि श्री श्रेयांश कुमार ने सेवा, समर्पण, विनय, व्यवस्था को धर्म संघ को प्राणवान बनाने में विशेष योगदान बताते हुए विशेष रूप से अपना मधुर गीत प्रस्तुत किया। मर्यादा महोत्सव के पावन अवसर पर कन्या मंडल के एक रोचक परिसंवाद तारक मेहता का उल्टा चश्मा की तर्ज पर मर्यादा के महत्व को उजागर करता हुआ मंचित किया गया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, महिला मंडल अध्यक्षा संजू लालाणी, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अरुण नाहटा, चैन रूप छाजेड़, माणक चंद नाहटा, कनक गोलछा, विमला छाजेड़ ने गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सफल संचालन सभा के मंत्री रतनलाल छलाणी ने किया। संघ गान से कार्यक्रम संपन्न हुआ।