भाजपा पशोपेश में : सीएम को पीएम ने बुलाया, वसुंधरा दिल्ली में सक्रिय, बाबा इस्तीफे पर अड़े
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 सीटें हारने के बाद से भाजपा में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दो चुनावों में लगातार सारी सीटें जीतने के बाद इस बार 25 में से 11 सीटें हारना भाजपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं। पार्टी ने इसकी समीक्षा भी की और एक रिपोर्ट भी भाजपा नेतृत्त्व को भेजी है। चूरू, बाड़मेर व बांसवाड़ा में हुई हार भाजपा को ज्यादा साल रही है। समीक्षा बैठक में इन सीटों को लेकर गहरा मंथन हुआ।
चूरू, सीकर, झुंझनु, बाड़मेर व श्रीगंगानगर की सीटें भाजपा हारी और उससे तो ये बात एकदम स्पष्ट हो गई कि जाट समाज भाजपा से पूरी तरह खफा है। ये सभी जाट बाहुल्य सीटें है। मंथन में ये भी बात सामने आई कि चूरू सीट पर राहुल कस्वां का टिकट काटना भारी पड़ा है। उसका असर पूरी जाट बेल्ट में पड़ा।
सचिन ने दिखाई जमीनी पकड़, रणनीतिक ताकत :
वहीं पूर्वी राजस्थान में दौसा, टोंक, भरतपुर सीटें हारने की वजह सचिन पायलट का वर्चस्व माना जा रहा है। सचिन ने एक बार फिर गुर्जर – मीणा समीकरण से सफलता पाई। उनको आदिवासी पार्टी का भी साथ मिला। विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने पूर्वी क्षेत्र में अपनी पकड़ फिर से बनाई थी मगर वो वापस लोकसभा चुनाव में खिसक गई। किरोड़ीलाल मीणा की इच्छाओं को तव्वजो नहीं मिली, इसका भी असर पड़ा है। टिकट वितरण में उनकी नहीं चल पाई, ये तो साफ दिख रहा है।
किरोड़ी बाबा की “मौन स्वीकृति”
किरोड़ी मीणा ‘ बाबा ‘ की मीणा मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है, मगर उनकी नहीं सुनी गई, ये बात समाज को पता थी। जिससे वो नाराज था। बाबा ने कड़ी मेहनत की और यहां तक कह दिया कि यदि 7 सीटों में से 1 भी हार गया तो मंत्री पद छोड़ दूंगा। हार के बाद ट्वीट भी कर दिया – प्राण जाये पर वचन न जाई। सरकारी गाड़ी छोड़ दी, दफ्तर नहीं जा रहे। हालांकि इस्तीफा नहीं दिया। अब उनकी चुप्पी से भाजपा में अफरातफरी है। कल बाबा ने फिर कह दिया कि जब कहा है तो इस्तीफा तो देना पड़ेगा। इस्तीफे के सवाल पर कहा भी है, “मौनं स्वीकृति …”
राजे ने ताकत दिखाई, दिल्ली में सक्रिय :
दूसरी तरफ वसुंधरा राजे अपना किला झालावाड़ बचाने में कामयाब रही है। उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार पांचवां चुनाव जीत गये हैं। मगर फिर भी उनको मंत्री पद नहीं मिला। अभी वसुंधरा राजे दिल्ली में सक्रिय है और ये सक्रियता भाजपा के भीतर चर्चा की वजह है। कई मंत्रियों से मिलना और तेवर में बदलाव, कुछ अलग ही संकेत माना जा रहा है।
सीएम का अचानक दिल्ली जाकर पीएम से मिलना :
इन सबके बीच सोमवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अचानक दिल्ली पहुंचे। पीएम मोदी से मिले। माना जाता है कि सीएम ने मोदी को जीत-हार का वह चुनावी ब्यौरा भी सौंपा जो तीन दिन चली समीक्षा मीटिंगों में सामने आया था। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री भजनलाल को आज जयपुर में बजट पूर्व तैयारी मीटिंग करनी थी लेकिन वह स्थगित कर अचानक दिल्ली गए।
05 सीटों पर उपचुनाव की चुनौती :
अब प्रदेश भाजपा को 5 विधानसभा सीटों के उप चुनाव का भी सामना करना है क्योंकि ये विधायक सांसद बन गये। पांचों सीटें भाजपा पहले से हारी हुई भी है। नई सरकार बनने के बाद श्रीकरणपुर व बागीदौरा के उप चुनाव हुए और दोनों में भाजपा को हार मिली। यदि ये 5 उप चुनाव भी भाजपा हारती है तो मुश्किल में पड़ जायेगी। जबकि पार्टी के भीतर वसुंधरा, बाबा फेक्टर भी काम कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा व सरकार के लिए उप चुनाव कड़ी चुनोती है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘