Movie prime

9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच

 
RNE Network राज्य की पिछली अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दो साल पहले ओल्ड पेंशन स्कीम ' ओपीएस ' का लाभ दे दिया था। मगर उसके बाद भी प्रदेश के लगभग 9000 कर्मचारी ऐसे हैं जिनको ओपीएस का लाभ अब भी नहीं मिल पाया है और सरकारों की उदासीनता के कारण वे दोराहे पर खड़े हैं। न पिछली सरकार और न इस सरकार में, उनकी कोई सुनवाई हो रही है। उनकी फाइल इस विभाग से उस विभाग के बीच केवल फुटबॉल बनी हुई है। 9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच इन 9000 कर्मचारियों में वे कर्मचारी शामिल हैं जो अनुदानित संस्थाओं से सरकार में समायोजित होकर सरकारी कर्मचारी बने थे पिछली सरकार में। उन कर्मचारियों को नियमानुसार ओपीएस का लाभ मिलना था मगर फाइल अटकी रही। इस मसले पर इन कर्मचारियो के संगठन ने सीएम गहलोत से मुलाकात की, अधिकारियों से मिले, सबने सहमति दी मगर फाइल पर निर्णय हो ही नहीं सका। हारकर ये कर्मचारी कोर्ट की शरण मे गये, वहां भी इनके पक्ष में निर्णय हुआ। उसके बाद भी ये सरकार से लाभ प्राप्त नहीं कर सके। देश के सर्वोच्च न्यायालय से अपने पक्ष में निर्णय लाये मगर लालफीताशाही के कारण इनको उस राज में कोई राहत मिली ही नहीं। 9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच चुनाव हुए और सरकार बदल गई। कांग्रेस की जगह भाजपा की सरकार आ गई। कोर्ट का निर्णय तो अब भी स्टैंड कर रहा है। नई सरकार के प्रतिनिधियों से भी ये कर्मचारी मिले। अधिकारियों को अपना मेमोरेंडम दिया। सब इनकी बात से पूरी तरह सहमत है, मगर फाइल पर निर्णय कर इनको ओपीएस का लाभ नहीं दिया जा रहा। इन कर्मचारियों के प्रयासों में किसी तरह की कमी नहीं है। कोर्ट का निर्णय भी पास है मगर कोई भी सहानुभूति दिखा इनकी समस्या का निराकरण नहीं कर रहा। शिक्षा, कॉलेज शिक्षा आदि से सरकारी कर्मचारी के रूप में रिटायर हुए इन कर्मचारियों को न्याय के लिए अब भी सरकार की तरफ देखना पड़ रहा। 9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच इसके बाद वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के कुछ कर्मचारी है। उनको भी सरकार ने अभी तक सेवानिवृत्त होने के बाद भी ओपीएस का लाभ नहीं दिया है। प्रदेश की विभिन्न अकादमियों के कर्मचारी भी ओपीएस के लिए इसी तरह तरस रहे हैं। इन तीनों कर्मचारियों की संख्या केवल 9000 के आसपास है, फिर भी न तो मंत्री संवेदनशीलता दिखा रहे हैं और न ही बड़े अधिकारी। फाइल को इधर से उधर चला भर रहे हैं। मजे की बात ये है कि न्यायिक निर्णय के बाद भी इस मसले को वे हठधर्मिता के कारण टालते जा रहे हैं। माननीय न्यायालय का आदेश है, आखिर में इनको ये लाभ तो देना पड़ेगा। फिर खुद जल्दी लाभ देकर पुण्य कमाने से क्यों परहेज कर रहे हैं, यह बात समझ से परे है। 9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच एक बात हर बार कही जाती है कि इनमें से कुछ कर्मचारियों ने विकल्प के रूप में पेंशन नहीं भरा। मगर वे कर्मचारी अपना अंशदान भी निर्णय के अनुसार जमा करा चुके हैं। उसके बाद भी उनको लाभ से वंचित रखना किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है। ये कर्मचारी रिटायर है, उसके बाद भी संघर्ष कर रहे हैं। उसकी कद्र भी नहीं की जा रही, इसे तो अमानवीय कृत्य ही कहा जाना चाहिए। अधिकारी ही तो सरकार यानी मुख्यमंत्री व मंत्रियों के आंख, नाक व कान होते हैं। वे यदि उनको सही बात फीड करे तो कोई जन प्रतिनिधि इस मसले को हल करने में देर नहीं लगाये। मगर न तो पिछली सरकार में और न इस सरकार में, इनकी सुनवाई हो रही है। सेवानिवृत्त ये कर्मचारी अपनी क्षमता अनुसार संघर्ष करते हुए यही कह रहे हैं - हो गई है पीर पर्वत सी अब पिघलनी चाहिए इस हिमालय से अब गंगा निकलनी चाहिए

मधु आचार्य ' आशावादी ' के बारे में  9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।
    9 हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित, दोनों राज में भटक रही फाइल विभागों के बीच