वसुंधरा की चुप्पी, बागियों के साथ उपस्थिति, भाजपा में अंदरखाने सब ठीक नहीं
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। दोनों पार्टियां अपनी बिसात बिछाने में लगी है। उत्तर भारत का राजस्थान भाजपा व कांग्रेस के लिए खासा महत्त्व का है। पिछले दो आम चुनावों में भाजपा ने इस राज्य की सभी 25 सीटें जीती थी। इस बार भी वही प्रदर्शन दोहराने का उस पर दबाव है। ये दबाव ज्यादा इसलिए भी है कि हाल ही में हुए विधानसभा के चुनाव भाजपा ने जीते हैं और अपनी सरकार बनाई। भाजपा अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने के लिए पूरा जोर लगा रही है, क्योंकि उसकी साख दाव पर लगी हुई है। भाजपा को उत्तर भारत से ही सीटों की उम्मीद है, क्योंकि दक्षिण में तो पार्टी बहुत कमजोर है और उसके साथ भी कोई मजबूत दल नहीं है।
कांग्रेस के लिए भी लोकसभा चुनाव खासे महत्ती है। क्योंकि वो दो बार मे एक भी सीट न जीत पाने की अपनी कालिख को साफ करना चाहती है। कांग्रेस के पास खोने को राजस्थान में कुछ नहीं है, जो भी जीते तो वो प्लस में ही है। कांग्रेस हालांकि विधानसभा चुनाव हारी है मगर उसके भी 70+1 विधायक जीते हैं। विधानसभा चुनाव परिणामों के आधार पर लोकसभा की 11 सीटों पर वो भाजपा से आगे है। इसी कारण कांग्रेस ने पूरी ताकत लोकसभा चुनाव के लिए झोंक रखी हुई है।
भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सरकार बनने के बाद से खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रही। विधानसभा में भी वे और उनके समर्थक विधायक चुप ही रहे हैं। सरकार पर विपक्ष ने ताबड़तोड़ हमले किये, मगर राजे सहित सभी चुप रहे। सरकार पर डोटासरा, टीकाराम जूली व सचिन जमकर बरस रहे हैं मगर राजे व उनके साथ के वरिष्ठ विधायक कोई जवाब नहीं दे रहे। ये स्थिति साबित करती है कि भाजपा में अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है। कुछ दूरियां है, जो अब भी मिट नहीं सकी है।
दो दिन पहले वसुंधरा राजे झुंझनु गई तो उनके साथ खंडेला में बागी बन चुनाव लड़ने वाले बाजिया व शाहपुरा के बागी कैलाश मेघवाल भी दिखे। इनकी उपस्थिति पर राजनीतिक क्षेत्र में खासी हलचल है और कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। जबकि भाजपा भी जानती है और राजनीति का भी ये बड़ा सच है कि वसुंधरा लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए बड़ा चुनावी फेक्टर है। इस हालत में भाजपा को अपने भीतर पहले सब कुछ ठीक करना होगा, तभी वो सभी 25 सीटें तीसरी बार जीतने का सपना पूरा कर सकती है।
भाजपा सक्रिय है इस मसले पर, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि कुछ दिन पहले सीएम भजनलाल शर्मा खुद राजे से मिलने गये थे। इससे उलट कांग्रेस के भीतर अब वो टकराहट नहीं दिख रही जो विधानसभा चुनाव के समय थी। इसलिए माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच अच्छी रस्साकस्सी होगी।