जाट मतदाता डालेगा बीकानेर की सीट पर असर, डूडी की कमी खलेगी, अर्जुन के रथ को रोकना चुनोती
RNE, BIKANER .
बीकानेर संभाग की तीनों सीटों बीकानेर, श्रीगंगानगर व चूरू पर अब दोनों दलों के उम्मीदवार तय होने के बाद मुकाबले की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। भाजपा ने तीन सीटों में से दो पर अपने उम्मीदवार बदले। चूरू में मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटा है और देवेंद्र झांझड़िया को दिया है। वहीं श्रीगंगानगर में भी भाजपा ने सांसद निहालचंद मेघवाल का टिकट काट दिया और प्रियंका बालान को दिया है। बीकानेर संसदीय सीट पर भाजपा ने जरूर लगातार चौथी बार अर्जुनराम मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है। चूरू से टिकट कटने पर राहुल कस्वां ने तो तुरंत पाला बदल लिया और कांग्रेस के उम्मीदवार बन गये।
मगर निहालचंद के सामने तो कुछ भी करने का विकल्प ही नहीं रहा क्योंकि ऐनवक्त पर उनका टिकट काटा गया। तब तक इस सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी। अब निहालचंद की क्या भूमिका रहेगी, ये बड़ा राजनीतिक सवाल है। क्योंकि कि उनकी इस संसदीय क्षेत्र में गहरी पकड़ भी है और वे पिछला चुनाव भी बड़े अंतर से जीते थे। उनको पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का निकटस्थ माना जाता है। उनके समर्थक टिकट कटने से नाराज भी है, अब उसका चुनाव पर क्या असर पड़ेगा, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा। प्रियंका के लिए निहालचंद के समर्थकों को साधना कठिन और मुश्किल भरा काम है।
बीकानेर सीट पर अर्जुनराम मेघवाल के टिकट को लेकर कोई चुनोती ही नहीं थी। मेघवाल का कद बड़ा है और वे भाजपा का बड़ा दलित चेहरा है। सरकार में उनको कानून मंत्री बनाकर पीएम ने खास महत्त्व भी दिया है। राजस्थान भाजपा की राजनीति में उनका प्रभावी दखल भी है। इसी कारण उनके टिकट को लेकर कोई परेशानी ही नहीं थी।
वहीं कांग्रेस ने संभाग की तीनों ही सीटों पर इस बार नये चेहरे उतारे हैं। बीकानेर में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है तो श्रीगंगानगर में कुलदीप इंदौरा को इस बार टिकट दी है। चूरू में कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आये राहुल कस्वां को ही मैदान में उतार दिया है।
अब चुनावी चौसर बिछ गई है। कांग्रेस को इस बार संभाग की तीनों सीटों पर माकपा का साथ मिला है। जिसका अपना कुछ वजूद तीनों ही सीटों पर है। इसके अलावा कांग्रेस के साथ इस बार रालोपा भी है। कांग्रेस ने नागौर सीट हनुमान बेनीवाल को दी है तो उनके समर्थक भी तीनों सीटों पर कांग्रेस के साथ है। रालोपा की भी जाट वोट बैंक पर ही पकड़ है। कस्वां का टिकट काटने से भी जाट समाज नाराज है। इसलिए जाट वोट तीनों ही सीटों पर जरूर गणित बिगाड़ेंगे, जिससे भाजपा को परेशानी होगी। कांग्रेस को भी इस संभाग के बड़े जाट नेता रामेश्वर डूडी की कमी खलेगी, जो गम्भीर अस्वस्थ है और इलाज करा रहे हैं। हालांकि उनकी जगह नोखा से चुनाव लड़कर जीती उनकी धर्मपत्नी सुशीला डूडी जरूर सक्रिय है। मगर इतना तय है कि तीनों सीटों पर जाट वोट बड़ा असर डालेंगे।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘