चूरू सीट पर सबकी नजर, कस्वां बदल रहे चुनावी मुद्दा, झांझड़िया मोदी के भरोसे
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
राज्य में इस बार सबसे अधिक चर्चा जिन सीटों पर है उसमें बीकानेर संभाग की चूरू सीट पहले नम्बर पर है। इस सीट पर पूरे प्रदेश के राजनीति में रूची रखने वालों की नजर है। यहां के चर्चित सांसद राहुल कस्वां ने टिकट कटने पर भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस से टिकट लेकर मैदान में उतरे हुवै हैं। भाजपा के भीतर की अदावत के कारण उनका टिकट कटा। विधानसभा चुनाव के समय इस अदावत का बीज पड़ा। विधानसभा चुनाव परिणाम की दृष्टि से भी भाजपा के लिए इस बार चूरू सही नहीं रहा। इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से भाजपा केवल 2 सीटें जीत पाई, एक बसपा ने जीती। कांग्रेस का प्रदर्शन यहां अच्छा रहा।
इस संसदीय सीट में आने वाली तारानगर सीट पर नेता प्रतिपक्ष व भाजपा के दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ चुनाव हार गये। तब से ही राठौड़ व कस्वां के बीच व उनके समर्थकों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई। भाजपा नेतृत्त्व ने कस्वां का टिकट काट दिया तो कस्वां व उनके समर्थकों का पूरा गुस्सा राठौड़ व उनके समर्थकों पर उतरा। वहीं से राजनीतिक अदावत की नींव पड़ी। कस्वां परिवार का 38 साल से चूरू की राजनीति में वर्चस्व रहा है। राहुल के दादा व पिता भी इस सीट से सांसद रहे हैं। माता विधायक रही है। इलाके के जाट मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ है। कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव के लिए इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी। कस्वां के रूप में वो भाजपा की अंतर्कलह के कारण उनको मिला। भाजपा ने यहां उनकी जगह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेंद्र झांझड़िया को मैदान में उतारा। जिनकी भी अपनी पहचान है।
मगर राहुल कस्वां ने चुनाव शुरू होते ही टिकट कटने की सहानुभूति व सामंतवाद को चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। इस पर जाट समाज लामबंद भी हुआ है। भारतीय मतदाता सहानुभूति की लहर पर तुरंत सवार भी होता है। उसे ही अब मुद्दा बना राहुल ने पूरी ताकत झोंकी है। झांझड़िया मोदी व उनकी सरकार के कामों को लेकर मैदान में है। दोनों तरफ से जबरदस्त बयानों का वार चल रहा है। कांग्रेस के पास बड़ी शक्ति उनके 5 विधायक है। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्त्व को भी इस सीट से ज्यादा उम्मीद है इसलिए उसने भी यहां पूरी शक्ति लगा रखी है।
कांग्रेस ने गठबंधन करके माकपा को समीप की सीकर लोकसभा सीट दी है जिसका भी राजनीतिक लाभ उसे इस सीट पर मिलेगा। भादरा व उस तरफ के इलाके में माकपा नेता बलवान पूनिया की पकड़ है और वे कांग्रेस के साथ है। वहीं भाजपा को भी राज्य सरकार, मोदी सरकार, राम मंदिर के कारण लोगों का साथ मिला है। बदली राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भाजपा ने अब अपने कई नेताओं को इस सीट पर उतारा है। उसी के कारण मुकाबला रोचक बना है और कांटे की टक्कर दिख रही है।मतदाताओं का पलड़ा किस तरफ झुकेगा, ये सामने आने में अभी समय लगेगा। मगर ये तो तय है कि चूरू इस समय राज्य की हॉट सीट अवश्य बनी हुई है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘