Skip to main content

निहालचंद के टिकट कटने का असर पड़ेगा श्रीगंगानगर सीट पर, कांग्रेस को मिलेगा माकपा के साथ का लाभ

RNE, BIKANER .

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अपने जिन मौजूदा सांसदों के टिकट काटे उसमें दो सांसद बीकानेर संभाग के थे। पहली सूची में भाजपा ने चूरू सीट पर सांसद राहुल कस्वां का टिकट काट दिया। ये निर्णय जल्दी हो गया तो राहुल ने तुरंत पाला बदला और अब कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में है। चूरू में उन्होंने भाजपा के सामने चुनोती खड़ी कर दी है, जिसकी उम्मीद भाजपा को नहीं थी। राजेन्द्र राठौड़ व कस्वां की तकरार अब भाजपा को संकट में डाले हुए है। भाजपा ने संभाग की दूसरी लोकसभा सीट श्रीगंगानगर से भी मौजूदा सांसद निहालचंद मेघवाल का टिकट काट दिया। टिकट भी ऐनवक्त पर काटा जब उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बचा। भाजपा ने युवा नेता प्रियंका बालान को उम्मीदवार बना दिया। इससे पहले ही कांग्रेस ने भी इस सीट पर कुलदीप इंदौरा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया तब निहालचंद के पास कोई विकल्प ही शेष नहीं रहा। जबकि पिछला चुनाव निहालचंद ने 3 लाख से भी अधिक वोटों से जीता था। पूरे संसदीय क्षेत्र में उनका मजबूत नेटवर्क है और अच्छी पकड़ है। फिर भी भाजपा ने उनका टिकट काटा।


निहालचंद का टिकट कटने के दो खास कारण गिनाये व माने जा रहे हैं। पहला कारण है विधानसभा चुनाव के परिणाम। इस संसदीय सीट की 8 सीटों में से भाजपा केवल 2 सीट ही जीत सकी। उसकी वजह भी ये थी कि सांसद निहालचंद की पसंद को टिकट वितरण में तरजीह नहीं मिली। दूसरी बड़ी वजह निहालचंद का वसुंधरा राजे के निकट होना भी है। उनको राजे के साथ माना जाता है। इन दो बड़ी वजहों से आरम्भ से ही ये धारणा बनी हुई थी कि इस बार निहालचंद को टिकट मिलना मुश्किल है, हुवा भी वैसा ही।


अब श्रीगंगानगर सीट पर कांग्रेस के कुलदीप इंदौरा व भाजपा की प्रियंका के बीच सीधी टक्कर है। भाजपा की अंतर्कलह उसके लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है। ये कलह नामांकन सभा मे सार्वजनिक भी हो गई। जब भाजपा के वहां के अध्यक्ष व विधायक बरार के बीच मंच पर ही तकरार हो गई। दूसरे निहालचंद के नेटवर्क का भाजपा उम्मीदवार पूरा उपयोग कैसे करेगी, ये बड़ा सवाल है। निहालचंद के पास पार्टी के अलावा लंबी पारी के कारण अपनी एक टीम है, वो भाजपा के साथ सक्रिय होगी, ये यक्ष प्रश्न है। भाजपा विधानसभा चुनाव के समय भी भीतरी कलह की शिकार थी और इस चुनाव में भी शिकार है। इसका नुकसान ही होने की संभावना है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार चेहरा बदला है जिसका उसे फायदा मिलेगा। श्रीगंगानगर की कई विधानसभा सीटों पर माकपा का भी वोट बैंक है और खासा प्रभाव है। माकपा इस चुनाव में कांग्रेस के साथ है, जिसका फायदा मिलेगा। कांग्रेस व माकपा का गठबंधन यदि विधानसभा चुनाव में भी होता तो दोनों को फायदा होता। दोनों प्रत्याशी पूरी ताकत लगा रहे हैं। भाजपा यदि भीतरी टूटन को जोड़ सकी तो ही लाभ में रहेगी। वहीं कांग्रेस व माकपा अपने वोट को पूरा ट्रांसफर कराने में कामयाब होगी तभी आगे निकलेगी। कुल मिलाकर श्रीगंगानगर की सीट पर मुकाबला रोचक है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘