Skip to main content

जाटलेंड नागौर में कांटे की लड़ाई, मुस्लिम व अन्य जातियां करेगी फैसला, कांग्रेस करेगी कमाल

RNE, BIKANER .

जाटलेंड के रूप में पहचान बना चुके नागौर में इस बार भी चिर परिचित प्रतिद्वंदी हनुमान बेनीवाल व ज्योति मिर्धा सामने है। बस, दल बदल गये हैं। पिछली बार ज्योति मिर्धा कांग्रेस से थी तो इस बार भाजपा से उम्मीदवार है। पिछली बार रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल भाजपा के सहयोग से मैदान में थे तो इस बार कांग्रेस के सहयोग से उतरे हुवै हैं। पिछली बार ज्योति मिर्धा हारी थी और हनुमान बेनीवाल जीते थे। उन्होंने ज्योति को 1 लाख 87 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हराया था। एक बार फिर दोनों आमने सामने है। इससे पहले विधानसभा चुनाव के समय ही ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। पार्टी ने उनको नागौर से विधानसभा का टिकट भी दिया मगर वे अपने ही परिवार के कांग्रेस के उम्मीदवार हरेंद्र मिर्धा से चुनाव हार गई। भाजपा को जाटलेंड में बड़े जाट नेता की दरकार थी क्योंकि अधिकतर नेता व ये समुदाय कांग्रेस के साथ था। जिसके कारण नागौर सीट की विधानसभाओं में ज्यादा सफलता नहीं मिली। लोकसभा चुनाव आने पर ज्योति मिर्धा यानी मिर्धा परिवार के रिछपाल मिर्धा, विजयपाल आदि को वे भाजपा में ले आई। विजयपाल को कांग्रेस ने विधानसभा का टिकट भी दिया मगर वे हार गये थे। भाजपा ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी ज्योति मिर्धा को लोकसभा चुनाव में फिर से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।


रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने इस बार खींवसर से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते थे। मगर उनके खास बाड़मेर के नेता उमेदाराम कांग्रेस में शामिल हो गये। प्रदेश अध्यक्ष पुखराज गर्ग भाजपा में चले गये। भाजपा ने नागौर में उम्मीदवार घोषित कर दिया तो हनुमान बेनीवाल के सामने कांग्रेस से गठबंधन के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा। कुछ दिन कशमकश के बाद कांग्रेस व रालोपा का गठबंधन हो गया। हनुमान बेनीवाल खुद नागौर सीट से उम्मीदवार बन गये। जिसकी उम्मीद भाजपा को नहीं थी। कांग्रेस को भी इस सीट पर दमदार प्रत्याशी की जरूरत थी जो कांग्रेस छोड़कर गये मिर्धा परिवार को टक्कर दे सके।
अब नागौर कांग्रेस के जाट नेता मुकेश भाकर, रामनिवास गवाड़िया, चेतन डूडी, महेंद्र चौधरी, मंजू मेघवाल भी बेनीवाल के साथ हो गये। जाहिर है कांग्रेस के गहलोत व पायलट गुट के नेता एक होकर रालोपा के साथ हुवै हैं। इसी कारण रोचक टक्कर बनी है।


जाट राजनीति के इस केंद्र पर दोनों ने पूरी ताकत लगा दी है। संसदीय सीट के मुस्लिम व अन्य वोटर इस चुनाव में निर्णायक होंगे। उनका रुख ही चुनावी गणित को प्रभावित करेगा। ज्यूँ ज्यूँ चुनाव आगे बढ़ेगा, स्थितियों पर से पर्दा उठेगा। वर्तमान स्थिति में तो यही कहा जा सकता है कि टक्कर जबरदस्त है। गैर जाट वोटर यदि ज्योति के साथ रहे तो वे अच्छी स्थिति बनायेगी। ठीक इसी तरह मुस्लिम वोटर और कांग्रेस हनुमान के साथ रहे तो वे मजबूत होंगे। ये सीट भाजपा व कांग्रेस, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो दिन पहले राज्य के दौरे पर आये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस सीट पर अलग से चर्चा की। कांग्रेस वार रूम में भी गोविंद डोटासरा, अशोक गहलोत, सचिन पायलट ने भी नागौर पर विचार किया। आने वाले समय में चुनावी तस्वीर थोड़ी साफ होगी।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘