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‘चेतनाजी की जुबानी-मधुजी की कहानी’ सुन देर तक गुदगुदाये श्रोता

RNE, BIKANER .

बीकानेर के हंशा गेस्ट हाउस में हुए आयोजन ‘मधु आचार्य : जीवन और प्रयोजन’ कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मधु आचार्य ‘आशावादीÓ के व्यक्तित्व पर पर चर्चा हुई। आशावादी को बचपन से लेकर अब तक अलग-अलग पड़ावों में साथ रहे परिजनों, मित्रों ने मधुजी के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलु सामने रखे।

नागरी भंडार पाठक मंच के संचालक नंदकिशोर सोलंकी ने मधु आचार्य के युवावस्था के दिनों को याद करते हुए कहा कि प्रारंभ से ही प्रतिभासंपन्न रहे मधुजी को जब बड़ी-बड़ी सभाओं में सुनता तो सीना गर्व से फूल जाता।

मधुजी की सहधर्मिणी शिक्षाविद डॉ.चेतना आचार्य ने अपने दांपत्य-जीवन के कुछ अप्रकट किस्से सुनाते हुए कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उनकी पहचान मधुजी से जुड़ी हैं। चेतना जी मधुजी के कुछ अनछुए किस्से इस अंदाज में सुनाये कि दर्शक दीर्घा में मौजूद लोग देर तक गुदगुदाते रहे। इस मौके पर उन्होंने मधुजी के लिए गीत भी गया।

वामपंथी विचारक अविनाश व्यास ने कहा कि संकल्प नाट्य समिति में हम दोनों के बीच ही बहुत सारे विषयों पर बहस होती थी, लेकिन उन दिनों की बहस स्वस्थ हुआ करती थी। हमारे बीच बहुत सारे विषयों में मतभिन्नता होने पर भी हमारे संबंधों पर कभी आंच नहीं आई।


पत्रकार अनुराग हर्ष ने मधुजी के साथ जुड़े पत्रकारिता के हर क्षण को सीखने वाला बताया। कहा, मेरी पत्रकारिता की निरंतरता मधुजी की वजह से रह पाई।

चिंतक दीपचंद सांखला ने अपनी मित्रता को ‘अकड़’ की मित्रता से परिभाषित करते हुए कहा कि हमारे बीच के संबंधों को हम भी नहीं समझ पाए हैं, लेकिन आपस में एक-दूसरे को छेडऩे में कभी नहीं चूकते।


शिक्षाविद महेंद्र पांडे ने शिक्षक-कर्मचारी आंदोलनों को मिले मधुजी के साथ का जिक्र करते हौए कहा, पत्रकारिता में ऐसे उदाहरण अब मिलना दुर्लभ है। महेंद्र पांडे ने उन्हें बतौर पत्रकार कर्मचारी व शिक्षक संगठनों के लिए संजीवनी बताया।

मधुजी पर पीएचडी कर रही प्रियंका बिस्सा ने साहित्य में मधुजी के योगदान को रेखांकित किया।


कार्यक्रम संचालन करने के साथ ही साहित्यकार-पत्रकार हरीश बी.शर्मा ने आयोजन की जरूरत बताई। कहा पीढ़ियों को गढ़ने वाले मधुजी का सम्मान कर हम खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। आभार धीरेंद्र आचार्य ने स्वीकारा।

ये रहे उपस्थित :

कार्यक्रम में विद्यासागर आचार्य, सरल विशारद, इंद्रा देवी व्यास, हरिकिशन व्यास, विजयलक्ष्मी आचार्य, आनंदी जोशी आदि खासतौर पर मधुजी को आशीर्वाद देने पहुंचे। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ.गुुंजन सोनी, एमजीएसयू के उप रजिस्ट्रार बिट्ठल बिस्सा, नगेंद्र नारायण किराड़ू, शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा, उद्योगपति कन्हैयालाल बोथरा, सुरेश हिंदुस्तानी, उमेश बोहरा, गिरिराज व्यास, वेंकट व्यास संस्कृतिकर्मी राजेंद्र जोशी आदि ने सहभागिता निभाई।

इस मौके पर विभिन्न संगठनों, समाज के प्रतिनिधियों ने आचार्य का सम्मान किया।  मोहम्मद फारुक, इसरार हसन कादरी, मनोज व्यास, कथाकार प्रमोद चमोली, मुकेश व्यास, व्यंग्यकार अजय जोशी, कवि राजाराम स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, गौरीशंकर प्रजापत, सितार-सरोद वादक अमित-असित गोस्वामी, वास्तुविद आर.के.सुतार, व्यंग्यकार आत्माराम भाटी,श्रीलाल भाटी, रंगकर्मी रमेश शर्मा, सुनील जोशी, सुरेश आचार्य, कवयित्री-कथाकार रेणुका व्यास ‘नीलमÓ, सीमा भाटी, विनीता शर्मा, व्यास योगेश राजस्थानी, अब्दुल शकूर सिसोदिया, गिरिराज खैरीवाल साहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।