नहर बंदी ने किसानों की बढ़ाई चिंता: 16 मार्च से नहर बंदी,25 मार्च तक अनिवार्य रूप से पानी देना होगा तभी बचेगी फसलें
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
आईजीएनपी द्वारा आगामी 16 मार्च से नहर बंदी की घोषणा ने धरतीपुत्रो के माथे पर चिंता की लकीरों को और गहरा कर दिया है। पिछले दिनों से पड़ रही प्रचंड सर्दी से जंहा सरसों की फ़सल ख़राब होने का अंदेशा है, दूसरी ओर 16 मार्च से नहर बंदी ने गेंहू और चने की फ़सल पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। फसलों को बचाने हेतु 20 फरवरी से चार में से दो ग्रुप मे जिसका एक चक्र 17 दिन का होता है दो बार 17+17 = 34 दिन यानी 25 मार्च तक अनिवार्य रूप से पानी देना होगा तभी फसलें बच पाएगी अन्यथा बर्बादी निश्चित है। इसके बाद गेहूं चना एवं लेट बीजाई कि फसलें नहीं बच पाएगी 20 फरवरी के बाद गर्मी भी खूब हो जाएगी फसलो को पानी जल्दी चाहियेगा जो नहीं मिलेगा खेती को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है ।
20 फरवरी को पूरे हो जाएंगे चक्र
इंगानप क्षैत्र मे सिंचाई हेतु जलवितरण कार्यक्रम तीन मे से एक के 25 – 25 दिन के दो चक्र (Rotation) 20 फरवरी को पूरे हो जाएंगे 20 फरवरी से 25 दिन के लिए तीसरा चक्र शुरू हो जाएगा जो 16 मार्च कि सांय पूरा हो जाएगा उसके बाद सिंचाई सुविधा बंद कर दी जाएंगी । 20 फरवरी से 16 मार्च के बीच जब खेती को पानी मिलेगा वो हाड़ी का आखिरी पानी होगा ।डेम की निकासी भी रहेगी बंद
ध्यान रहे 20 फरवरी को जलवितरण कार्यक्रम बिना बदले शुरू कर दिए जाने पर 16 मार्च से पहले नहीं बदला जा सकेगा। 25 मार्च से साठ दिन की नहर बंदी के कारण डेम से निकासी भी बंद रहेगी | गत वर्षों 2015 में 20 मई को 1286.77 फीट, 20 मई 2016 लेवल 1286.77 फीट, 21 मई 2017 लेवल 1294.94 फीट, 20 मई 2018 लेवल 1288.18 फीट इस प्रकार से इन वर्षों में भी पोंगडेम का लेवल 1301 फीट से कम रखा गया था ।20 मई 2019 लेवल 1338.87 फीट था परन्तु बाद मे लगभग 40 फीट पानी पाकिस्तान की ओर बहाकर बर्बाद किया | इसी तरह 20 मई 2020 लेवल 1348.88 फीट , 20 मई 2021 लेवल 1300.56 फीट, 20 मई 2022 लेवल 1320.61 फीट और 2023 मे भी लेवल 1333 फीट रखकर लाखों क्युसेक पानी बाद मे बर्बाद किया ।