मौलाना की शायरी मानवीय संवेदना की पैरोकार है-रंगा
मौलाना अशरफी का अप्रकाशित साहित्य प्रकाश में लाया जाएगा-सोलंकी
आरएनई, बीकानेर।
प्रज्ञालय संस्थान एवं श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच द्वारा उर्दू के वरिष्ठ शायर मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी की स्मृति में शब्दांजलि-भावांजलि का आयोजन नागरी भण्डार स्थित सुदर्शन कला दीर्घा में हुआ। स्व. मौलाना अशरफी को नमन करते हुए वरिष्ठ साहित्यानुरागी नंदकिशोर सोलंकी ने कहा कि उन्हें सच्ची श्रंद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके साहित्य को जन-जन तक ले जाएंगे।
इसी संदर्भ में प्रज्ञालय संस्थान एवं श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच द्वारा प्रदेश में पहली बार नवाचार करते हुए यह निर्णय लिया है कि उर्दू हिन्दी एवं राजस्थानी के कीर्तिशेष पुरोधा साहित्यकारों का अप्रकाशित साहित्य जो जरूरी होगा को प्रकाश में लाने में संस्थागत स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस कड़ी में प्रथम प्रयास स्व. मौलाना के अप्रकाशित साहित्य के बारे में किया जाएगा।
स्मृति सभा में मौलाना अशरफी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बोलते हुए वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब ने कहा कि वे कई भाषाओं के ज्ञाता तो थे ही साथ ही उन्होंने उर्दू और अरबी भाषा में साधना करते हुए भाषायी स्तर पर प्रशिक्षण आदि देकर अपनी सृजनात्मक भूमिका निभाई। राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि मौलाना अशरफी की शायरी मानवीय संवेदना एवं चेतना की सशक्त पैरोकार है साथ ही वे उच्च जीवन मूल्यों को सच्चे अर्थों में जीने वाले थे।
वरिष्ठ कवयित्री इन्द्रा व्यास ने कहा कि मौलाना अशरफी अपनी कृतियों के माध्यम से हमेशा हमारे बीच जिंदा रहेंगे। उनका साहित्य ही उनका वंशज है। इसी क्रम में वरिष्ठ शायर इस्हाक गौरी शफ़क ने उन्हें प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का धनी बताते हुए उनसे जुडे हुए कई अनछुए प्रसंग साझा किए।
वरिष्ठ व्यंग्यकार अजय जोशी ने कहा कि उनका न रहना सामाजिक क्षति है। वरिष्ठ कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि वे साहित्य साधना के साथ-साथ उच्च मानवीय व्यवहार के सशक्त पक्षधर थे। वरिष्ठ शायर डॉ. ज़िया उल हसन कादरी ने उनकी शिक्षण संबंधी सेवाओं को रेखांकित किया तो वरिष्ठ शायर असद अली असद ने उनसे जुडी कई व्यक्तिगत बातों को साझा किया। चित्रकार उस्मान हारून ने कहा कि मुझे उनकी पुस्तक का आवरण बनाने का सौभाग्य मिला।
वरिष्ठ कवि कथाकार प्रमोद शर्मा ने कहा कि मौलाना अशरफी विशिष्ट शैली के शायर थे वरिष्ठ शायर बुनियाद हुसैन जहीन ने उन्हें बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्व का धनी बताया तो इतिहासविद् डॉ फारूक चौहान ने उन्हें समर्पित शिक्षाविद् बताया। वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि उनकी शायरी के कई रंग थे एवं उनका अपनत्व भी उल्लेखनीय है। संयोजन करते हुए कवि-कथाकार संजय पुरोहित ने उनकी प्रकाशित दो पुस्तकों पर अपनी बात रखी उन्हें उर्दू अदब का मौन साधक बताया।
स्मृति सभा में छगन सिंह, गोपाल गौत्तम, गंगाबिशन बिश्नोई, ललित सिंह सहित उपस्थित सभी गणमान्यों ने उन्हें नमन किया। स्मृति सभा में सभी ने उनके तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर दो मिनट का मौन रखा। शब्दांजलि एवं भावांजलि स्मृति सभा का संचालन कवि कथाकार संजय पुरोहित एवं वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने साझा रूप से किया।