Loksabha Election : भाजपा-कांग्रेस में बदलेगी लीडरशिप की तस्वीर चुनावी नतीजे तय करेंगे
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कल के मतदान के बाद राज्य की सभी 25 सीटों पर चुनाव पूरे हो गये। चुनाव परिणाम अब 4 जून को आयेंगे, तब तक नेताओं के पास अपनी, अपने दल की, अपने समर्थकों की बातों का मूल्यांकन करने का ही काम रह गया है। राजस्थान के पहले चरण के चुनाव में 12 सीटों पर मतदान कम हुआ था, जिससे सबकी चिंता बढ़ी थी। मगर कल दूसरे चरण में मतदान बढ़ गया, उससे जरूर राहत की सांस सबने ली है।
जानिये वोटिंग में फर्क :
- राजस्थान में प्रथम चरण में 12 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 58.28 प्रतिशत मतदान हुआ था।
- दूसरे चरण के 13 निर्वाचन क्षेत्रों में अनंतिम रूप से 64.6 प्रतिशत मतदान हुआ है।
- हालांकि दूसरे चरण की भी बाड़मेर-कोटा सीटों को छोड़ बाकी सभी सीटों पर 2019 के चुनाव की तुलना में वोटिंग कम हुई।
नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें :
चुनाव परिणाम के आधार पर देश की सरकार बनेगी , ये तो साफ दिखता सच है। मगर राज्य के लोकसभा चुनाव परिणाम और भी कई बड़े बदलाव लायेगा, जिनकी हल्की आहट अभी से सुनाई देने लग गई है। कई नेताओं के ललाट पर परेशानी से उभरी रेखाएं भी साफ देखी जा सकती है। ये स्थिति दोनों ही राजनीतिक दलों में एक समान है।
कांग्रेस की तरफ से इस चुनाव में पूर्व सीएम अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा जालौर सीट पर दाव पे लगी हुई है। यहां वे अपने पुत्र वैभव गहलोत को चुनाव लड़ा रहे हैं। तो दूसरी तरफ भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपने पुत्र दुष्यंत सिंह को झालावाड़ से चुनाव लड़ रही हैं, वहां उनका सर्वस्व दाव पर लगा है।
.. क्योंकि पिछले चुनाव से कम हुई वोटिंग :
चिंता इसलिए भी हैं क्योंकि झालावाड़-बारां और जालोर-सिरोही दोनों सीटों पर वोटिंग पिछले चुनाव से कम हुई है। झालावाड़-बारां में 68.72% मतदान हुआ है जो कि वर्ष 2019 के चुनाव में हुए 71.96 % से 3.24% कम है। इसी तरह जालोर में इस बार 62.28% वोटिंग हुई है जबकि पिछले चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 65.74 था। मतलब साफ है कि यहां भी 3.46 % की कमी देखने को मिली है।
राहुल-राठौड़ के लिए भी मूंछ का सवाल :
चूरू लोकसभा सीट पर भाजपा ने राहुल कस्वां का टिकट काटा, जिसे माना गया कि भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ के कारण ये निर्णय हुआ। कस्वां कांग्रेस से आ गये और चुनाव को कस्वां वर्सेज राठौड़ बना दिया। राठौड़ ने इस सीट पर मेहनत भी बहुत की। इसलिए चूरू सीट पर राठौड़ की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है।
सचिन पायलट ने अपने खास मुरारी लाल मीणा को दौसा से और हरीश मीणा को टोंक से टिकट अपने स्तर पर दिलाया। इन सीटों पर पायलट के साथ साथ राज्य के मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की भी प्रतिष्ठा दाव पर है। रालोपा सुप्रीमो को इस चुनाव में उनके कई साथी छोड़कर चले गये। तब उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन किया और खुद नागौर सीट से लड़े हैं। उनकी साख भी दाव पर है, क्योंकि उससे रालोपा के भविष्य की दिशा तय होगी।
आलाकमान को राजस्थान से उम्मीदें :
इस तरह देखा जाये तो भाजपा व कांग्रेस के साथ अन्य दलों के नेताओं की साख भी चुनाव परिणामों से प्रभावित होगी। जिस पर दोनों दलों के आलाकमान की नजरें भी है। जाहिर है, लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राज्य में दोनों दलों के चेहरों में काफी बदलाव होंगे। उस को लेकर भी से चर्चाएं तेज हो गई है। ये चुनाव परिणाम कई दलों के नेताओं का राज्य में राजनीतिक भविष्य तय करेगा।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘