Skip to main content

धन धन बीकाणा ! देश का हर शहर बीकानेर बने, भाईचारा ऐसा ही हो, संस्कृति भी यही विस्तार पाये

RNE, BIKANER .

बीकानेर आज अपना 537 वां स्थापना दिवस मना रहा है। वो शहर जिसने इस लंबी अवधि में कभी भी अपने मुंह पर कालिख नहीं लगने दी। हर जाति, धर्म, सम्प्रदाय को खुद में समाया। पोषित किया, पल्लवित किया। तभी तो शायर अज़ीज आज़ाद ने शेर लिखा–

मेरा दावा है, सारा ज़हर उतर जायेगा
तुम दो दिन शहर में ठहर के तो देखो

ये दावा कोई सामान्य दावा नहीं। पूरे देश में जब सत्ताओं व राजनीति ने व्यक्ति को धर्म, जाति में बांटा तब बीकानेर ने बताया कि हम हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई तो बाद में है, पहले इंसान हैं। इंसानियत सीखनी हो तो बीकानेरवासी से सीखनी चाहिए।


इस शहर में कभी धर्म के नाम पर झगड़ा नहीं हुआ। तभी तो शहर को एक भी नागरिक जानता ही नहीं कि कर्फ्यू क्या होता है। दिवंगत राजनेता व देश के प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने बीकानेर का दौरा करने के बाद ट्रेन में बैठने से पहले कहा– मैं पूरे देश को बताऊंगा कि साम्प्रदायिक सद्भाव देखना है तो एक बार बीकानेर घूम आओ। ये छोटी बात नहीं।


यहां जब धर्मयात्रा निकलती है तो मुस्लिम पुष्प वर्षा करते हैं। ईद पर बड़ी नमाज के बाद हिन्दू अपने भाईयों की ईदगाह के बाहर खड़े होकर गले लगने को आतुर रहते हैं। अनवर उस्ता बच्चों को लक्ष्मीनाथ मंदिर दर्शन कराने लेकर जाते हैं और हर नवजात बच्चे को हिन्दू ताजिये के नीचे से निकालते हैं। इस भाईचारे को कभी नजर नहीं लगी, न लगेगी।


ये वो शहर है जिसने देश को हरीश भादानी, यादवेंद्र शर्मा ‘ चन्द्र ‘ , डॉ नंदकिशोर आचार्य, बुलाकी दास ‘ बावरा ‘ , दीन मोहम्मद मस्तान, मोहम्मद सदीक जैसे शब्द शिल्पी दिये। अल्लाह जिलाई बाई, जसकरण गोस्वामी, मोतीलाल जैसे स्वर साधक दिये। के राज, कलाश्री, इलाहिबख्श उस्ता जैसे कूची के चितेरे दिए। बड़े व्यापारी दिये।
इसी शहर ने महाराजा डॉ करणीसिंह, मुरलीधर व्यास, गोकुल प्रसाद पुरोहित, गोपाल जोशी, माणिक चंद सुराणा, मो उस्मान आरिफ, नंदलाल व्यास जैसे राजनेता दिये। अब भी ये शहर अपने बड़े राजनेताओं पर गर्व करता है। यहां कोई भी सांसद या विधायक बना, तासीर बीकानेरी रक्खी। भेदभाव नहीं किया। इस उच्च राजनीति का अन्यत्र मिलना संभव नहीं।


कितना गुणगान करें, अंत ही नहीं। अंदाजा इसी बात से लगता है कि आज हर घर में, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो, उत्सव मनाया जा रहा है। हर घर में खीचड़ा बन रहा है। इमलाणी बनी है। हर घर की छत पर लोग है। पतंग उड़ा दूर दूर तक भाईचारे का संदेश दिया जा रहा है। शहर एक घर में बदल जाये, ये अलौकिक होता है।
धन्य है राव बीका। जिसने नगर को ताने पर ही सही बसाया, न बसाया होता तो हम कहां होते, आप कहां होते, बीकानेरी भूजिया और रसगुल्ले कहां होते, साहित्य कहां होता, स्वर लहरियां कहां होती। राव बीका को हर शहरवासी का नमन। बीकानेर बसाया, देश को इस माटी का उज्ज्वल रूप दिखाया।


अपने 537 वें स्थापना दिवस पर बीकानेर, हर बीकानेरवासी फिर पूरे देश के सामने अपना संकल्प दोहराता है –

शंख मंदिर में बजेगा, अजान भी होगी
ज्योति गीता की जलेगी, कुरान भी होगी
मेरे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक
वतन की रक्षा ही सबका धर्म ईमान होगी

– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘