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मतदान के बाद खुलकर सामने आ रही कांग्रेस की गुटबाजी, परिणामों के बाद बदलाव की आहट

  • RNE Political Desk

कांग्रेस और गुटबाजी का स्थायी गठजोड़ है। लाख कोशिशों के बाद भी पार्टी की गुटबाजी कभी खत्म ही नहीं होती। पिछली सरकार के समय भी दो गुट साफ साफ थे। सरकार चली गई, विधानसभा चुनाव हार गये, फिर भी गुटबाजी खत्म नहीं हुई। जिसका बड़ा असर लोकसभा चुनाव के समय भी सामने दिख रहा था। जिस जिसने जिसको टिकट दिलाया, उसके लिए ही जी जान लगाई।

गहलोत वैभव तक सिमटे, सचिन ने देश मापा : 

स्टार प्रचारक अशोक गहलोत व सचिन पायलट दोनों ही थे, मगर दोनों ही सभी जगह प्रचार करने या वोट मांगने नहीं गये। गहलोत ने अधिकतर समय अपने पुत्र के लोकसभा क्षेत्र जालौर में बिताया। अपने साथ के किसी उम्मीदवार के लिए जाना होता तो जाते और वापस जालौर लौट आते।

अलबत्ता पायलट जरूर राज्य के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी प्रचार के लिए ताबड़तोड़ दौरे कर रहे थे। छत्तीसगढ़ के तो प्रभारी ही थे। राहुल के लिए वायनाड व केरल की अन्य सीटों पर भी प्रचार के लिए गये। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में भी उन्होंने रैलियां व सभाएं की। गहलोत जालौर में वोट पड़ने के बाद देश में अन्य जगहों पर चुनाव प्रचार के लिए निकले। पहले तो गहलोत समर्थक अधिकतर नेता जालौर में ही डेरा डाले हुए थे।

महात्मा गांधी स्कूल बंद करने की तैयारी, कांग्रेस चुप : 

राज्य में पहले व दूसरे चरण में सभी सीटों पर वोट पड़ गये। सरकार के लिए आदर्श आचार संहिता लगी हुई है तो घोषणाएं नहीं कर सकती मगर विपक्ष के पास आंदोलन का विकल्प खुला है। जन आंदोलन पर तो आचार संहिता लगती नहीं। मगर कांग्रेस उसके बाद भी सुस्त पड़ी है। इसे सुस्त ही कहा जायेगा, क्योंकि कोई राजनीतिक हलचल नहीं कर रही।

राज्य सरकार धड़ाधड़ महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद कर रही है। जबकि उसमें पढ़ने के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है, उसे भी नजरअंदाज किया जा रहा है। मगर अपने राज की इस योजना के साथ हो रही नाइंसाफी पर भी कांग्रेस चुप है।

जयपुर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने के लिए 2 दिन पहले पीसीसी में बैठक बुलाई तो उससे जयपुर के ही दो विधायक नदारद रहे। तेजतर्रार नेता प्रताप सिंह खाचरियावास भी नहीं पहुंचे। ये साफ साफ गुटबाजी को दर्शाता है।

फ्री बिजली, आरटीई, फ्री शिक्षा !  

इसके अलावा कांग्रेस सरकार ने 8 वीं के बाद की शिक्षा भी फ्री की थी, उस पर आंच साफ दिख रही है क्योंकि राज्य सरकार ने उसके लिए कोई बजट नहीं रखा है। फिर भी विपक्ष का आंदोलन नहीं दिख रहा। फ्री बिजली की योजना पर भी सवालिया निशान लग गया मगर कांग्रेस खामोश है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश मिलने में परेशानी हो रही है मगर कांग्रेस बोल ही नहीं रही।

जनमुद्दों की अनदेखी कर ताकतवर नहीं हो सकते : 

ये सब जन मुद्दे हैं और हर जिले के है। पीसीसी की कॉल पर आंदोलन पूरे राज्य में हो सकता है, मगर सन्नाटा है। जिसकी वजह कुछ भी बताई जा रही हो मगर पीछे गुटबाजी भी काम कर रही है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस गुटबाजी की वजह भी है। सबको पता है लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्य में कांग्रेस की सूरत व सीरत में बदलाव होगा, जिसका असर जिलों पर भी पड़ेगा। इस कारण गुट एक दूसरे की तरफ टकटकी लगाये हुए हैं और मौन है।


  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘