जुबिली नागरी भण्डार : बसंत पंचमी पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा
आरएनई,बीकानेर।
नगर के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना के केंद्र श्री जुबिली नागरी भण्डार के 117वें स्थापना दिवस एवं बसंत पंचमी पर आयोजित तीन दिवसीय वसंतोत्सव कार्यक्रमों की श्रंखला के दूसरे दिन आज नागरी भण्डार स्थित मां शारदे के मंदिर प्रांगण में कवि सम्मेलन मुशायरा रखा गया | जिसमें नगर के एक से बढ़कर एक बेहतरीन कवियों, शायरों, कवयित्रियों ने कविता पाठ करके मां शारदे को वंदन किया एवं बसंत ऋतु सहित प्राकृतिक चित्रण से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया |
कार्यक्रम की अध्यक्षता नागरी भण्डार के डॉ. दिनेश शर्मा ने की। मुख्य अतिथि नागरी भण्डार के उपाध्यक्ष डॉ. पी. आर. भाटी थे। विशिष्ट अतिथियों के तौर पर युवा साहित्यकार हरीश बी.शर्मा, भोपाल की कवयित्री श्रीमती रूपाली सक्सेना एवं शायर इरशाद अज़ीज़ ने शिरकत की | संस्था की तरफ से कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी आगंतुकों का स्वागत वरिष्ट कवि कथाकार कमल रंगा ने करते हुए आयोजन की महता और संस्था के वैभव के बारे में अपने विचार रखे। कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में अतिथि के रूप मे मंच पर मौजूद युवा साहित्यकार हरीश बी. शर्मा ने सबद कविता की इन पंक्तियों ‘सबद री सत्ता अजर है, अमर है आखर’ पेश करके राजस्थानी भाषा की मिठास घोली। अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान भोपाल की कवयित्री श्रीमती रूपाली सक्सेना ‘ग़ज़ल’ ने अपनी ग़ज़ल के इस मतलअ के प्रस्तुतीकरण से कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में नया रंग भरा।अतिथि शायर इरशाद अज़ीज़ ने ‘पीले पहने हैं परिधान बच्चे बूढ़े और जवान/छाया सब पर बसंती जादू, दिल पर किसी की रहा ना क़ाबू ” रचना सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी और माहौल को बसंतमय बना दिया| वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने ‘बसंत म्हारी दीठ में’ की इन पंक्तियों पीळे पान रे झरण री बेला,मदमातौ चलै बायरो, उमंग तरंग, क़ुदरत रा रंग म्है गाऊं’ के भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण से राजस्थानी भाषा की मिठास घोली | शाइर बुनियाद ‘ज़हीन’ के इस शेर ‘ वो मेरे दर्द से बोला है और कुछ भी नहीं/ बस एक तेरा सहारा है और कुछ भी नहीं’ को ख़ूब पसंद किया गया | शाइर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी बसंत पर आधारित अपनी बेहतरीन ग़ज़ल के इस शे’र ‘चमन चमन खिला हुआ, कली कली निखार है। जहां में आज हर तरफ मुहब्बतें हैं प्यार है’ से बसंत के विविध रंगों को प्रस्तुत करके श्रोताओं से ख़ूब दाद लूटी | वरिष्ठ कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने अपनी राजस्थानी कविता ‘धरती फोर्यो पसवाडो अर ओढण चाली कसूमल रंग/मां सुरसत री वीणा बाजी, आंख्यां खोली राज भुजंग’ से कवि सम्मेलन में नए रंग भरे और भरपूर वाह वाही लूटी | कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में वरिष्ठ कवि राजेंद्र जोशी,ज़ाकिर अदीब, बुनियाद ज़हीन, क़ासिम बीकानेरी, ग़ुलाम मोहिउद्दीन माहिर,वली मोहम्मद ग़ौरी, गंगा विशन बिश्नोई ब्रह्मा,सरोज भाटी, दो उमाकांत गुप्त,डॉ.कृष्णा आचार्य, अब्दुल शकूर सिसोदिया बीकाणवी, मोइनुद्दीन मूईन, गुलफ़ाम हुसैन आही, इंद्रा व्यास,लीलाधर सोनी, शमीम अहमद’शमीम’, हनुमंत गौड़,बाबूलाल छंगाणी, जुगलकिशोर पुरोहित, प्रमिला गंगल, डॉ. बसंती हर्ष, मधुरिमा सिंह, कृष्णा वर्मा, इस्हाक़ ग़ौरी शफ़क़,सागर सिद्दीक़ी, ग़ुलाम मोहिउद्दीन माहिर,कांता चाडा, शारदा भारद्वाज, आनंद मस्ताना, कैलाश टाक, सरदार अली पड़िहार, शिवाजी आहूजा, अशोक सेन पप्पूजी, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, गिरिराज पारीक,असद अली असद, मुकेश आचार्य ने काव्यपाठ किया | संस्था की ओर से कविता पाठ करने वाले सभी अतिथियों का माल्यार्पण, स्मृति चिन्ह एवं प्रशंषा पत्र द्वारा संस्था के पदाधिकारियों एवं आयोजकों ने स्वागत सम्मान किया | कवि सम्मेलन में कवि कथाकार मधु आचार्य आशावादी,व्यंग्यकार आत्माराम भाटी,संस्कृतिकर्मी डॉ. मोहम्मद फारुक़ चौहान, व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी, वरिष्ट महिला रंग अभिनेत्री मीनू गौड़, डॉ. महेंद्र चाडा, घनश्याम सिंह एवं मधुसूदन सोनी सहित अनेक प्रबुद्ध जन मौजूद थे | संस्था की ओर से समस्त अतिथियों एवं कविता पाठ करने वाली रचनाकारों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रसाद का वितरण किया गया। संचालन कवयित्री मनीषा आर्य सोनी और शायर क़ासिम बीकानेरी ने किया | आभार संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. पी. आर. भाटी ने ज्ञापित किया |