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चार चुनाव में पहली बार : अनूपगढ़, खाजूवाला, लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़ में 27 हजार से पिछड़े अर्जुनराम

  • बीकानेर पश्चिम-पूर्व में मिली 79 हजार की लीड, नोखा में 1877, कोलायत में 241 वोट से आगे

रूद्रा तत्काल :

धीरेन्द्र आचार्य

RNE, BIKANER .

सबसे बड़ी बात यह है कि बीकानेर से भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। राजस्थान में बदले हालात में जब संभाग की श्रीगंगानगर और चूरू सीट भाजपा हार गई। पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर कांग्रेस का झंडा लहरा गया और मंत्री कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर चले गए। उस वक्त में अर्जुनराम का लगतार चौथी बार 55 हजार से अधिक वोटों से जीतना एक बड़ी सफलता है।

टक्कर कड़ी हो गई :

हालांकि यह नतीजों के बाद कहा जा सकता है कि बड़ी सफलता है लेकिन बीकानेर के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा जहां जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त ही नहीं थी वरन बड़ी जीत के दावे किये जा रहे थे। खासतौर पर सामने वे गोविंदराम थे जो हाल ही विधानसभा चुनाव में खाजूवाला सीट से बुरी तरह हारे थे। इसके बावजूद जो चुनौती मिली और जीत का आंकड़ा घटा उसने चिंता में तो नहीं डाला लेकिन अर्जुनराम मेघवाल सहित पूरी भाजपा को चिंतन के लिए जरूर मजबूर किया है।

देखिये पिछले चुनावों में कितने वोटों से हुई जीत:

आठ में से चार विधानसभा क्षेत्रों में हार, दो में मामूली बढ़त :

इस चुनाव में अर्जुनराम आठ में से चार विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़े हैं। श्रीडूंगरगढ़, अनूपगढ़, खाजूवाला और लूणकरणसर में गोविंदराम उनसे आगे निकले। हैरानी की बात यह है कि इन चार में से तीन सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। मतलब यह कि हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को जीत मिली है।

इन चार विधानसभा क्षेत्रो में इतना नुकसान:

  • अनूपगढ: 7839 वोटों से पीछे।
  • खाजूवाला: 7368 वोटों से पीछे।
  • श्रीडूंगरगढ़: 9590 वोटों से पिछड़े
  • लूणकरणसर: 2456 वोटों से पिछड़े।

यह लीड बनी जीत का आधार:

  • बीकानेर पश्चिम: 41080 वोट से आगे
  • बीकानेर पूर्व : 38329 वोट से आगे
  • नोखा : 1877 वोट से आगे
  • कोलायत : 241 वोट की लीड

सारणी में देखिये पहली बार हुए ये हालात:

क्या अर्जुनराम का आखिरी चुनाव ? क्या वे परवाह करेंगे ?

मोटे तौर पर माना जा रहा है कि अर्जुनराम मेघवाल का बीकानेर में यह आखिरी चुनाव है। यह मानने के दो कारण है। पहला-पुनर्सीमांकन होना है। ऐसे में, हो सकता है कि यह लोकसभा क्षेत्र अजा के लिए रिजर्व न रहे। दूसरा-रिजर्व रहता भी है और अगला चुनाव पांच साल बाद होता है तो मेघवाल 75 वर्ष से अधिक के हो जाएंगे। ऐसे में हो सकता है उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर न मिले। हो सकता है उन्हें केन्द्र में, राज्य में या किसी अन्य राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाएं। ऐसे में क्या अर्जुनराम बीकानेर के हालात पर चिंतन करेंगे। इस क्षेत्र की परवाह करेंगे ? ये सवाल अभी से उठने लगे हैं।

दलित सीटों पर हार ने उठाये सवाल :

अर्जुनराम मेघवाल हालांकि लोकसभा चुनाव जीते हैं लेकिन अनूपगढ़, खाजूवाला दलित बाहुल्य सीटों पर पिछड़े हैं। इसी तरह कोलायत भी अजा बाहुल्य है जहां उन्हें लगभग 200 वोटों की ही लीड मिली है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं विपक्ष की ओर से उछाले गए ‘संविधान और आरक्षण खतरे में’ जैसे मुद्दों से दलित वर्ग भाजपा से छिटका तो नहीं है।