जाटलेंड ने रोक दिया भाजपा का रथ, अर्जुन अपने बूते जीते, बदलेगी राज्य की राजनीति
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
जैसा माना जा रहा था, वही हुआ। जाटलेंड यानी जाट बाहुल्य वाली सीटों ने भाजपा के रथ को रोक दिया। भाजपा ने जब चूरू लोकसभा सीट से जाट नेता व सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटा तो इस समुदाय में एक गुस्सा था। जिसका उसने खुलकर इजहार भी किया। राहुल कस्वां कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी ने उनको टिकट भी दिया। वे चुनाव भी जीते जो ये तो साबित करता ही है कि टिकट काटना सही नहीं था।
जाटलेंड के लिए कांग्रेस ने जो दूसरी बड़ी रणनीति बनाई, वो भी सफल रही। ये रणनीति थी गठबन्धन की। माकपा तो पहले से ही इंडिया गठबन्धन का हिस्सा थी, मगर पार्टी ने हनुमान बेनीवाल की रालोपा से भी गठबन्धन किया। दोनों को एक – एक सीट दी गई और वो दोनों सीटें भी जीती है। संयोग यही है कि दोनों ही जाट बेल्ट की सीटें थी और दोनों पर ही जाट उम्मीदवार थे। इन दोनों के साथ आने का लाभ कांग्रेस को जाटलेंड की अन्य सीटों पर भी मिला, ये परिणाम बता रहे हैं। जाटलेंड की सीटों में चूरू, नागौर, सीकर, झुंझनु व बाड़मेर को शामिल किया जाता है। इस समुदाय का असर बीकानेर व श्रीगंगानगर सीटों पर भी है। वहां भी असर दिखा है। श्रीगंगानगर सीट कांग्रेस ने जीत ली तो बीकानेर में भाजपा की जीत का अंतर पिछली बार से बहुत कम हो गया।
नागौर में एक बार फिर मिर्धा परिवार की साख दाव पर थी। क्योंकि ज्योति मिर्धा भाजपा में जाकर लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी। जबकि वे इससे पहले भाजपा के ही टिकट पर नागौर से विधानसभा का चुनाव लड़ी थी, वो भी हारी थी। फिर भी भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया। उनके ही परिवार के रिछपाल मिर्धा सहित अन्य नेता भी भाजपा में आ गये मगर फिर भी हनुमान बेनीवाल ने उनको फिर से हरा दिया। पिछला लोकसभा चुनाव ज्योति ने कांग्रेस से लड़ा था और हनुमान एनडीए के साथ रालोपा से लड़े और जीते। सीकर सीट पर कांग्रेस ने बड़ा सेक्रिफाइस किया। दिग्गज नेता होने के बाद भी ये सीट माकपा को दी। जिनकी तरफ से अमराराम चुनाव लड़े जो विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हारे थे, मगर ये चुनाव जीत गये। इन परिणामों से ये तो स्पष्ट है कि गठबन्धन धर्म का कांग्रेस, रालोपा व माकपा ने ईमानदारी से पालन किया।
बाड़मेर हॉट सीट थी क्योंकि कांग्रेस ने रालोपा से आये उमेदाराम बेनीवाल को टिकट दिया था और वहां निर्दलीय रवींद्र सिंह भाटी भी खड़े हो गये। मगर कांग्रेस पूरी बेनीवाल के साथ रही और रालोपा का भी एक बड़ा धड़ा साथ रहा। वे चुनाव जीत गये। झुंझनु में भाजपा ने विधानसभा चुनाव हार चुके शुभकरण चौधरी को लोकसभा का टिकट दे दिया। उनके सामने ब्रजेन्द्र ओला थे, जो ओला परिवार से थे। जिसका यहां वर्चस्व रहा है। वे चुनाव जीत गये।
कुल मिलाकर जाटलेंड ने भाजपा के रथ को बड़ा ब्रेक लगाया। इससे पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में अब बड़ा बदलाव आना तय है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘