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सचिन बने कांग्रेस का नया पावर सेंटर, सभी 8 सांसद पहुंचे, 25 विधायक भी आये

आरएनई,स्टेट ब्यूरो । 

दौसा में कल स्व राजेश पायलट की स्मृति में सर्वधर्म सभा का आयोजन हुआ। सचिन पायलट के बुलावे पर राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने पूरे प्रदेश से कांग्रेस नेता पहुंचे। इस आयोजन के कई राजनीतिक मायने भी निकल रहे हैं, जो अनुचित नहीं। कल दौसा में जुटे कांग्रेसजनों को देखकर ये कहना अब अनुचित नहीं है कि राज्य में कांग्रेस का नया पावर सेंटर सचिन पायलट हो गये हैं। हालांकि वो लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के समय भी देशभर में घूमे। राहुल, प्रियंका, खड़गे के बाद सर्वाधिक चुनावी सभाएं उन्होंने ही की। कांग्रेस महासचिव, सीडब्ल्यूसी के सदस्य होने के साथ वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी हैं।

सचिन हर साल दौसा में राजेश पायलट की स्मृति में आयोजन करते हैं। इस बार के आयोजन व उसमें भाग लेने वालों पर प्रदेश की नजर थी। खासकर कांग्रेस के लोगों की। क्योंकि अब कांग्रेस राज्य में बदलाव के दौर से गुजरेगी। उसी का आंकलन इस आयोजन से होना था।
इस आयोजन की सबसे खास बात थी आने वाले लोकसभा सदस्यों की। इस बार के चुनाव में इंडिया गठबन्धन के कुल 11 उम्मीदवार जीते थे, जिनमें 8 कांग्रेस के व 3 सहयोगी दलों के थे। ये आठों सांसद दौसा पहुंचे।

दौसा आने वालों में संजना जाटव, उम्मेदाराम बेनीवाल, कुलदीप इंदौरा, भजनलाल जाटव, हरीश मीणा, मुरारीलाल मीणा, ब्रजेन्द्र ओला व राहुल कस्वां शामिल थे। 25 विधायक भी आयोजन में पहुंचे। 50 से अधिक पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक व पीसीसी के कई पदाधिकारी आयोजन में शामिल हुए।

इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि राज्य में कांग्रेस की नजर अब सचिन पायलट पर ही है और वही पावर सेंटर है। अब कांग्रेस संगठन में जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक बदलाव होना है और सब उसमें सचिन की ही मुख्य भूमिका मान रहे हैं। कांग्रेस नेताओं की ये परंपरा है कि वे पावर सेंटर की तरफ तुरंत खिसक लेते हैं। हर नेता व कार्यकर्ता अपना भविष्य सुरक्षित रखने की जुगत में रहता है।

राजनीतिक विश्लेषक इसे दूसरे नजरिये से भी देख रहे हैं। पहली बात तो ये कि पूर्वी राजस्थान पर सचिन की अब भी वही मजबूत पकड़ है। क्योंकि वहां के हारे या जीते हुए उम्मीदवार कल दौसा में थे। पूर्वी राजस्थान में ये पकड़ ये भी साबित करती है कि गुर्जर के साथ उनका मीणा समाज से भी मजबूत रिश्ता है। कल की नेताओं की उपस्थिति ने इस बात को भी प्रमाणित किया है कि अब राज्य के जाट नेता भी पायलट की तरफ ही देख रहे हैं। परसराम मोरदिया का वहां पहुंचना भी राजनीतिक संदेश देने वाला है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन दो चुनावों के बाद पहली बार अच्छा रहा है। इसलिए आलाकमान अब पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा को बदलता है या नहीं, ये उस पर निर्भर है। वैसे उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। मगर दौसा के कल के आयोजन से इस बात को कहना ही पड़ेगा कि सचिन पायलट कांग्रेस के नए पावर सेंटर हो गये हैं।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘