Bikaner : 24 घंटे से डूबी है बस्ती, पानी, बिजली, खाना बंद, कोई संभालने नहीं आया
Guest Reporter : राजेश छंगाणी की ग्राउंड रिपोर्ट
- Bikaner : People Trapped in submerged township
- देखो सरकार! इधर एक डूबी हुई बस्ती है जिसमें लोग फंसे हैं
- खुदखुदा बस्ती पानी में घिरी, दुखी लोग बाल्टियों से निकाल रहे पानी
- नाले का पानी घरों में भरा, नल से आना बंद
- बिजली 24 घंटे से गुल
RNE Bikaner.
इस बस्ती का नाम है खुदखुदा बस्ती। नाम जानकर जितनी हैरानी होती है, हालात देखकर उतनी ही ज्यादा परेशानी। दूर तक गंदा, बदबूदार पानी पसरा है। लगभग सभी घर इस पानी से घिरे हैं। कहीं कोई शख्स दिखाई नहीं दे रहा। लगता है बस्ती वीरान हो गई है। काफी कोशिश के बाद किसी भी घर में पहुंचो तो वहां घुसते ही आंखें खुली रह जाती है। घर का कोई भी सामान ऐसा नहीं जो जमीन पर हो। सबकुछ पानी में तैर रहा है। एक घर के बेसमेंट में इतना पानी है कि डूबी हुई साइकिलों के बस हैंडल ही नजर आ रहे हैं।
पानी इतना बदबूदार क्यों है? सवाल का जवाब होता है-नाले का पानी है। नाले में से घरों तक कैसे आया? इस सवाल का जवाब खुद ही ढूंढ़ने निकलते हैं तो पता चलता है श्रीरामसर से होता हुआ ढलान में बहकर कच्चे नाले से पानी गुजरता है। ज्योंहि बारिश तेज होती है पानी का प्रवाह बढ़ते ही नाले की पाल टूट जाती है और बस्ती डूब जाती है। घर में भरे पानी को बाल्टियों से निकाल रही महिला कहती हैं, म्हांरे तो हर साल बिरखा मांय इयां ई हुवै!
क्या कभी कोई संभालने नहीं आया?
सवाल का जवाब मिलता है, एक पार्षद थे जो अब नहीं रहे नाम था राजेश। वे बारिश होते ही संभालने आते। प्रशासन तक पहुंच बनाकर मशीनें मंगवाते। पानी निकलवाते। लोगों के लिए बंदोबस्त करवाते। एक कलेक्टर थे नमित मेहता वे आये थे। वादा किया था, समस्या का समाधान कर देंगे। बाद में उनका ट्रांसफर हो गया।
अभी कोई नहीं आया? सवाल का बहुत तीखा जवाब मिला-बोट आळी टैम आया हा। पाछा कोनी दिख्या।
इन्हें भू माफिया कहें या सौदागर जिन्होंने कॉलोनी काटकर जमीन बेच दी और पलटकर सुविधाओं के लिए झांका तक नहीं। यहां के निवासी कहते हैं, बारिश आते ही बिजली बंद हो गई। नालियों से घरों में पानी आ रहा है लेकिन नल में आना बंद है। घरों की हालत देख रहे हैं। कहां पकायें, क्यों खायें? बताते हैं कि इस कच्ची बस्ती में बारिश आते ही बड़ी तादाद में सांप निकल आते है। कई तरह के बिच्छू घूमते हैं। हर वक्त डर लगा रहता है कि कहीं हमारे बच्चे किसी जहरीले जानवर के शिकार न हो जाएं। पूरी रात जागते बिताते हैं।
धरणीधर से आगे श्रीरामसर के पास इस बस्ती का नाम है खुदखुदा बस्ती। लेघा बाड़ी के पास बसी इस बस्ती तक आमतौर पर चुनाव के अलावा कोई नेता-जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचता। बताते हैं, बीकानेर में ऐसी कई बस्तियां हैं जो अब तक पानी में डूबी है। लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं।