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Bikaner : युवा कवियों ने राजस्थानी कविता के नए तेवर दिखाये

आरती के “रिश्ते..” ज्योति के “प्रेम..” गोदारा की गजल पर वाहवाही

RNE Bikaner.

“आ भेळा बैठां बोळ करां, नफरत रा बिंटा गोळ करां
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, एकां जाजम रमझोळ करां”

युवा कवि पूनमचंद गोदारा ने ये राजस्थानी गजल सुनाई तो श्रोताओं में मौजूद वरिष्ठ कवियों के मुंह से भी अनायास दाद निकल पड़ी।वाहवाही तब भी खूब हुई जब आरती छंगाणी ने “रिश्ता जग में रिस रिया..” और ज्योति स्वामी ने “प्रेम बिरखा तो ज्याँ होवे हार सिंगार..” जैसी कविताएं सुनाई।

आयोजन ऐसा रहा :

दरअसल बीकानेर में रविवार की शाम तीन युवा कवियों के नाम रही और जिन्होंने इन युवाओं को सुना वे राजस्थानी कविता में नई सोच, स्वर और तेवर के साक्षी बने। अवसर था सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर की ओर से राजस्थानी युवा कविता पर केन्द्रित कार्यक्रम का। इसमें तीन युवा कवियों पूनम चंद गोदारा, ज्योति स्वामी एवं आरती छंगाणी ने अपनी प्रस्तुति दी।

राजस्थानी युवा कवियों का अंदाज :

पूनमचंद गोदारा  ने जहां गजल “आ भेळा बैठां बोळ करां..” सुनाई वहीं कीड़ीनगरो, हे नीलकंठ, मजूर नेता, चीकणो घड़ो, धर्म, सपना अर भूख, मांचो, एवं ठाह ई नीं आदि कविताएं सुनाकर दाद बटोरी।

ज्योति स्वामी  ने प्रेम की नई परिभाषा गढ़ते हुए उसके प्रभाव को खास अंदाज में प्रस्तुत किया। मसलन:-

“ई शरीर माथे प्रेम री कीं तो सेनाणी हुवे।
परिजात सु फुटरी काया पर किन तो प्रेम री सेनाणी रेवे”।

इसके साथ ही “प्रेम बिरखा तो ज्याँ होवे हार सिंगार, जिकी शरीर रा सगला रोग मिटावती जावे”। स्वामी ने थे “..सपना अर आस सूं भरियोडो ओ थैलो” के साथ ही बीकानेरी अपनापे पर “इसो है म्हारो भोलो सो बीकाणो.. आदि काव्य रचनाएं सुनाई।

युवा कवियत्री आरती छंगाणी ने “रिश्ता जग में रिस रिया, अबे देवा किन्ने दोस..” सरीखे गंभीर कटाक्ष पर वारिष्ठों का ध्यान खींचा। आरती को “समझ ना आवे सा जकाँ म्हारे खातर हमेस तैयार मिले, जकाँ रे चेहरे माथे हंसी रा फूल खिले” जैसी कविता पर भी वाहवाही मिली।

जानिये डॉ.गौरीशंकर प्रजापत का एक्सपर्ट कमेन्ट :

आयोजन की एक खूबी यह भी रही कि युवा कविताओं की कविताओं के मूल्यांकन या समीक्षा त्वरित टिप्पणी के तौर पर हुई। यह जिम्मेदारी निभाई राजस्थानी भाषाविद डॉ.गौरीशंकर प्रजापत ने। डॉ.प्रजापत ने कहा “एकदम नुंवा और युवा कवियों की कविताएं समकालीन कविता की विकासशील धारा को आगे ले जाने वाली है। शिल्प शैली और भाषा का प्रवाह प्रभावशाली है । करूणा और संवेदना के साथ भारतीय संस्कृति की चिंता अगर आज के कवियों को सता रही है तो संस्कृति और संस्कारो के लिए सुभ संकेत है। कविता के भविष्य का शुभ संकेत है।”

अतिथियों के प्रेरक बोल :

“अच्छा लिखने के लिए पढ़ना बेहद जरूरी है। ये नवाचार युवाओं को अपनी भाषा मे बोलने का मौका देने के साथ स्वयं की कूंत करने का भी अवसर देगा…। साहित्य की कसौटी पर नए विचार, भाव, रूपकों से सजी अपनी कविता की परख करने का मौका मिलेगा, जिसका लाभ मान्यता आंदोलन को भी मिलेगा।”
मोनिका गौड, मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ कवियित्री

“राजस्थानी युवा कवि सामाजिक विद्रूपताओं के विरूद्ध अपनी कलम चला रहे है। आज प्रस्तुत की गई राजस्थानी कवियों की रचनाओं से उनकी राजस्थानी पहचान प्रकट हुई है। तीनो युवा कवि अपनी बात राजस्थानी कविता के माध्यम से प्रमाणिकता के साथ रखते हुए कसौटी पर खरे उतरते है। भाषा बचेगी तो संस्कृति बची रहेंगी।”
राजेन्द्र जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष

इन्होंने प्रोत्साहित किया :

साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा आने वाले दौर में संस्थान द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। व्यंग्यकार संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि नव किरण सृजन मंच युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में सदैव अग्रणी भूमिका निभाएगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि शशांक शेखर जोशी ने तीनों युवा कवियों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर जानकारी दी। इस मौके पर तीनों कवियों का सम्मान हुआ। शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने आभार प्रकट किया। प्रोफेसर नरसिंह बिन्नाणी, सरोज भाटी, डॉ. मोहम्मद फारुख चौहान,कमल रंगा, प्रोफेसर मोतीलाल, श्याम सुंदर उपाध्याय, बाबू बमचकरी, विप्लव व्यास, इसरार हसन कादरी, मोहम्मद सलीम बेबाक, पार्षद सुधा आचार्य, पुनीत रंगा, जुगल किशोर पुरोहित, विमल कुमार शर्मा, राजेश छंगाणी आदि मौजूद रहे।