Bikaner : सीएम भजनलाल ने शिवबाड़ी के विमर्शानंदजी को नमन पत्र भेजा
- बीकानेर: पूनरासर में देवीसिंह की धोक, आचार्य राज के शिष्यों का गुरूमहिमा आयोजन
RNE, Bikaner.
दुबली देह। लंबी सफेद दाढ़ी। उम्र लगभग सौ के पास। ललाट पर चंदन-केशर के त्रिपुंड के बीच कुमकुम का टीका और पुष्पाहारों से भरा गला। आगे लगी शिष्यों की कतार। हर कोई चरणों में वंदन करता। नारियल-दक्षिणा भेंट चढ़ाता और गले में पुष्प हार पहना आशीर्वाद ले एक तरफ खड़ा हो जाता।
यह दृश्य है बीकानेर में नत्थूसरगेट स्थित पंडित नथमलजी के निवास का। नथमलजी का नाम आते ही कभी शिवमंदिरों में रूद्राभिषेक करवाने वाले विद्वान पंडित का रूप आंखों के सामने आता है तो कभी खूब सारी यज्ञवेदियों के बीच बैठ मंत्रोच्चार करते-करवाते गुरूजी की छवि जेहन में उभरती है। तालाब के घाट पर बैठकर पूर्वजों को पिंडदान करवाना हो या श्रावणीकर्म में सप्त़ऋषियों का पूजन हो।
हर कर्म नथमलजी के सान्निध्य में ही करने की आकांक्षा रखने वालों की संख्या सैकड़ों ही नहीं हजारों में हैं। ऐसे में उनमें अपना गुरू देखने वालों की संख्या भी सैकड़ों में है। यही वजह है कि रविवार को गुरूपूर्णिमा के मौके पर उनके निवास पहुंचकर नमन करने वालों का तांता लगा रहा। अलसुबह से देरशाम तक गूंजते रहे रूद्री के मंत्र।
गुरूपूर्णिमा के मौके पर यह दृश्य सिर्फ एक जगह नहीं वरन देशभर में लगभग हर जगह रहा। बीकानेर की ही बात करें तो यहां शिव-हनुमान मंदिरों में भक्तों की सबसे ज्यादा कतारें दिखीं वहीं मठ, बगीची, आश्रम, गुरूगृह में शिष्यों का तांता लगा रहा।
पूनरासर दरबार में भक्तों का तांता:
हजारों लोग ऐसे हैं जिन्होंने किसी व्यक्ति की बजाय हनुमानजी को अपना गुरू माना है। ऐसे में गुरू पूर्णिमा के मौके पर सर्वाधिक आयोजन भी हनुमान मंदिरों में दिखे। खासतौर पर बीकानेर जिले के पूनरासर हनुमान धाम में अलसुबह से भक्तों का तांता लग गया। यहां भक्तों की कतार देखते हुए पुजारियों ने दर्शन-पूजन का खास इंतजाम रखा था। इस दरबार में धोक लगाने वालों में पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी भी शामिल रहे। पुजारी अशोक बोथरा यहां हनुमानजी के धोक लगवाने के साथ ही प्रसाद एवं रक्षासूत्र वितरण करते रहे। इस मौके पर खेजड़ी वाले बाबा के आगे भी भक्तों का तांता रहा। पुजारी मनोज बोथरा, ऋषभ बोथरा , अर्हम बोथरा , सिद्धार्थ बोथरा , लक्ष्य बोथरा मंदिर में मोजूद रहे। विजय बाफ़ना, विनोद बाफना भी सहयोगी के तौर पर मौजूद रहे।
शिवबाड़ी में गुरूचरणों में शीश नवाया:
शिवबाड़ी स्थित लालेश्वर महादेव मंदिर में पूजन के साथ ही गुरूपद पर विराजमान स्वामी विमर्शानन्द महाराज के चरणों में वंदन करने का क्रम दिनभर चला। इससे पहले यहां स्वामी संवित सोमगिरी महाराज के समाधिस्थल पर पूजन-अभिषेक हुआ। आयोजन से जुड़े विजयसिंह राठौड़ ने बताया कि लगभग पूरे दिन प्रसाद के रूप में भंडारा चलता रहा। इस मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरु विमर्शानन्दजी को नमन पत्र एवं गुरु भेंट भी भेजी।
ममू महाराज की अगुवाई में जुटे आचार्यराज के शिष्य:
ज्योतिर्विद पंडित स्व.आचार्य राज के शिष्यों ने गुरूस्मृति में श्रद्धांजलि सभा, गुरूपूजन एवं भंडारे का आयोजन किया। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र व्यास ‘ममू महाराज’ की अगुवाई में हुए इस आयोजन में देशभर से आचार्य राज के शिष्य और श्रद्धाभाव रखने वाले भक्त एकत्रित हुए।
लालीमाई का पूजन:
बीकानेर में एक ऐसी महिला गुरू का भी सालों से पूजन होता है जिन्होंने वैधव्य जीवन बिताने वाली महिलाओं को अध्यात्म से जोड़ जीवन के परमलक्ष्य को हासिल करने की राह दिखाई। संत लालीमाई महाराज का महापूजन इस गुरूपूर्णिमा पर भी धूमधाम से हुआ। लालीमाई बगीची में महिलाओं-पुरूषों, बच्चों ने उनकी समाधि पर धोक लगई। पुष्प चढ़ाये। प्रसाद वितरण किया।
संत भावनाथ आश्रम में गुरु चरण पूजा :
गुरुपूर्णिमा के अवसर पर गंगानगर रोड़ रेतीले टिबो में स्थित संत भावनाथ आश्रम में शिष्यों ने अपने गुरु के चरणों की रोली चंदन अक्षत पुष्प से पंचोपचार पूजन किया।पण्डित पण्डित शुरेष महाराज ने सवस्तीवाचन प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ किशन गहलोत ने सपत्नीक गुरु के 108 नामों से अर्चन किया। श्रीमती अलका गहलोत एवं श्रीमती लक्ष्मी ओझा ने चरणोदक की महिमा बताई व उसे वितरित किया।
इस अवसर पर संत भावनाथजी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि सबसे पहले हमें अपने गुरूर को बाहर निकालें और गुरु तत्व को ह्रदय में विराजित करें । उन्होंने कहा कि झूठी इज्जत और गुरूर के चलते मन के भाव निर्मल नहीं पाते जिससे सामाजिक पारिवारिक एवं आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो पाती ।
आश्रम में दिन भर गीत पूजन भजन के साथ भंडारा चलता रहा।