कांग्रेस विधायक श्रवणकुमार की साधु-संतों पर टिप्पणी से सर्वाधिक उत्तेजित हुए बाबा बालकनाथ
- कार्यवाही से शब्द हटाने की अध्यक्षीय व्यवस्था के बाद भी श्रवणकुमार को बोलने नहीं दिया
- मांग उठी: जब शिक्षामंत्री ने सदन में माफी मांगी थी तो श्रवणकुमार को भी माफी मांगनी चाहिये
- बाबा बालकनाथ की चेतावनी: आपको अपने घर से नहीं निकलने दूंगा
RNE, Network.
राजस्थान विधानसभा में गुरूवार को इतना जबरदस्त हंगामा हो गया कि सदन की कार्रवाई तीन बार स्थगित करनी पड़ी। यह हंगामा कांग्रेस विधायक श्रवणकुमार की ओर से एक दिन पहले साधु-संतों पर की गई टिप्पणी पर हुआ था। हालांकि अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने व्यवस्था दे दी और श्रवणकुमार की टिप्पणी के अंश विधानसभा की कार्यवाही से विलोपित कर दिये गये। इसके बावजूद बाबा बालकनाथ, सचेतक जोगेश्वर गर्ग सहित कई विधायक इस बात पर अड़ गये कि श्रवणकुमार सदन में माफी मांगे।
कहा गया, जब शिक्षामंत्री अपनी टिप्पणी के कारण सदन में माफी मांग सकते हैं तो कांग्रेस विधायक क्यों नहीं मांग सकते। इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने भी श्रवण कुमार को माफी नहीं मांगने पर सदन से निलंबित करने की मांग उठाई। दूसरी ओर श्रवणकुमार के समर्थन में खड़े हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजेन्द्र पारीक ने कहा, सदन में पहले भी उत्तेजना का माहौल बनता रहा है। अध्यक्षीय व्यवस्था में असंसदीय या उत्तेजना पैदा करने वाले शब्दों को कार्यवाही से विलोपित कर दिया जाता है। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष देवनानी ने सदन की कार्रवाई एकबारगी स्थगित कर दी। स्थगन का समय दूसरी बार बढ़ा दिया गया।
दुबारा कार्रवाई शुरू हुई तो कांग्रेस की ओर से राजेन्द्र पारीक और सत्तापक्ष की ओर से संसदीय कार्यमंत्री पटेल ने अपनी बात रखी। दोनों पक्षों से मर्यादित बात कहने का अनुरोध हुआ। इसके बाद सदन की कार्रवाई शुरू हो गई। सहकारिता और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की अनुदान मांगों पर बहस शुरू हो गई। वक्ताओं ने अपने विचार रखने शुरू कर दिये। इसी दौरान सहकारिता और खाद्य विभाग की अनुदान मांगों पर बात रखने श्रवण कुमार खड़े हुए। उनके बोलने के दौरान एक बार फिर माहौल गरमा गया।
श्रवणकुमार ने शेर पढ़ा:
सिकंदर हो तुम, सिकंदर हालात के आगे नहीं झुकता
तारा टूट भी जाये तो जमीन पर नहीं गिरता
गिरते हैं दरिया हजारों समुद्र में
पर कभी कोई दरिया समुद्र में नहीं गिरता…
इसके बाद एक बार फिर माहौल गरमाने लगा। बाबा बालकनाथ जोर-जोर से बोलने लगे। वे इस कदर उत्तेजित हो गये कि यहां तक बोल गये कि मुझे व्यक्तिगत तौर पर कुछ कह दो तो बर्दास्त है लेकिन मेरे धर्म, साधु समाज के बारे में कहा गया, बर्दाश्त नहीं होगा। विधानसभा से लेकर आपके घर तक साधु-संतों को इकट्ठा करके बिठा दूंगा। आपको घर से नहीं निकलने दूंगा।
गरमागरमी के बीच श्रवणकुमार भी बोल गये कि मैं संत समाज का सम्मान करता हूं। लेकिन ये दादागिरी है, दादागिरी सहन नहीं करता।
सत्तापक्ष की ओर से बाबा बालकनाथ के साथ ही महंत प्रतापपुरी, बालमुकुंद आचार्य, जेठानंद व्यास, श्रीचंद कृपलानी सहित बड़ी तादाद में विधायक खड़े हो गये। मांग उठने लगी-श्रवण कुमार माफी मांगो।
आखिरकार एक बार फिर विधानसभा की कार्रवाई स्थगित की गई।
बाद में 04ः08 मिनट पर कार्रवाई शुरू हुई तो सभापति संदीप शर्मा ने श्रवण कुमार का नाम पुकारा। इस बार श्रवणकुमार ने इस शेर के साथ अपनी बात शुरू की:
नजर को बदलो, नजारें बदल जाते हैं
सोच को बदलों सितारें बदल जाते हैं
कश्तियां बदलने की जरूरत नहीं हैं,
दिशा को बदल दो किनारे बदल जाते हैं
संभवतया स्थगत के दौरान अध्यक्ष कक्ष में पक्ष-विपक्ष के बीच चर्चा कर व्यवधान का हल संवाद से निकाल लिया गया।