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धारीवाल से बोले देवनानी-चार साल सदन में रहने का हक नहीं, सदस्यों के आग्रह पर दो दिन सजा

  • विधानसभा में गाली देने पर धारीवाल को सजा, माफी भी मांगी
  • नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने भी कहा-धारीवाल जो बोले वो गलत था

 

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RNE Network.

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को वरिष्ठ विधायक और पूर्वमंत्री शांति धारीवाल को विधानसभा में अपनी ओर से बोले गये अपशब्दों के लिये माफी मांगनी पड़ी। इतना ही नहीं उन्हें माफी मांगने के बावजूद सजा भी मिली। वे दो दिन सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

यहां तक कि सजा सुनाते हुए स्पीकार वासुदेव देवनानी ने सख्त लहजे में बोलते हुए कहा, जिस तरह का आचरण था, चार साल तक सदन के सदस्य रहने का हक नहीं था। सदस्यों के आग्रह के बाद माफी का फैसला किया। स्पीकर ने धारीवाल से कहा- आज और कल आप विधानसभा तो आएंगे, लेकिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।

मामला यह है :

दरअसल राजस्थान विधानसभा में स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर बोलते हुए शांति धारीवाल ने सभापति के आसान पर मौजूद संदीप शर्मा को कुछ ऐसे शब्द कहे जिन्हें असंसदीय या गाली कह सकते हैं।

हालांकि उस वक्त कोई बात नहीं हुई लेकिन बाद में मीडिया में मुद्दा छाने के बाद मंगलवार को विधानसभा में इस पर अध्यक्ष की व्यवस्था आई। इससे पहले धारीवाल ने अपना पक्ष रखते बातों को घुमाया-फिराया तो उन्हें अध्यक्ष देवनानी ने सख्त लहजे में सीधे मुद्दे पर आने को भी कहा। कहा, सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के किसी एक्शन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

डोटासरा-जूली ने माफी मांगी :

धारीवाल के गाली देने पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सदन में माफी मांगी। डोटासरा और जूली ने धारीवाल को माफ करने का आग्रह किया। दोनों ने कहा ​कि धारीवाल खेद प्रकट कर देंगे, उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए।

डोटासरा ने कहा- इनके मुंह से ऐसे शब्द कैसे निकले, उन शब्दों को जायज नहीं ठहरा सकते। अवस्था की वजह से निकले या कैसे निकले। हजारों बार असंसदीय शब्दों का प्रयोग होता है तो सभापति या अध्यक्ष कार्यवाही से निकाल देते हैं और मामला खत्म हो जाता है। संदीप शर्मा सभापति थे, उनके बारे में बात थी, वो कार्यवाही से निकाल देते तो मामला खत्म हो जाता। हम सब लोग यह मानते हैं कि सदन चले, हम लोग माफी चाहते हैं, जानबूझकर नहीं किया। धारीवाल पांच बार चुनकर आए, ससंदीय कार्य मंत्री रहे, वो आदमी जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकता। इस बात को यहीं समाप्त किया जाए।

यह बोले धारीवाल :

धारीवाल ने कहा, हमेशा इस आसन को सर्वोच्च मानकर ही चला हूं। मेरा आसन का अपमान करने का कोई इरादा नहीं हैं। संदीप शर्मा जब पहली बार सभापति की कुर्सी पर बैठे तो इस पूरे सदन में अकेला आदमी था, जिसने कहा था आज सबसे ज्यादा खुश हूं कि ये विराजमान है। जहां तक संदीप शर्मा की बात है तो वो मेरे बेटे के दोस्त है। हमेशा हंसी मजाक चलती रहती है। जब भी मिलते हैं, हल्की फुल्की बातें करते हैं।