Skip to main content

देवनानी ने जेठानंद से कहा, पर्ची पढने की बजाय बात रखें तो विषय से न्याय होगा

RNE, Network.

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी यूं तो आए दिन रौद्र रूप में नजर आते हैं लेकिन कभी-कभी उनका नये विधायकों के लिए शिक्षक जैसा रूप भी देखने को मिलता है। गुरूवार को भी जब बीकानेर पश्चिम से पहली बार के विधायक जेठानंद व्यास बोल रहे थे तो उनका ऐसा ही रूप दिखा।

उन्होने विधायक व्यास को प्रक्रिया के नियम 295 और पर्ची के जरिये बोलने के अंदाज में फर्क बताया। कहा, पर्ची से जो मसला विधानसभा में उठाते हैं उसमें लिखा हुए पढ़ने की बजाय अपनी समझ से विषय को सदन में रखें तो उस विषय के साथ न्याय होता है।

एमएलए व्यास ने पर्ची के जरिये उठाया मुद्दा:

दरअसल विधायक जेठानंद व्यास ने निविदाकर्मियों की समस्याओं को विधानसभा में रखने के लिए शून्यकाल में पर्ची प्रक्रिया का माध्यम चुना और शलाका से उनकी पर्ची का बोलने के लिए नंबर आ गया। ऐसे में जेठानंद व्यास कागज पर लिखी हुई निविदाकर्मियों की वेतन विसंगति को पढ़ गये।

अध्यक्ष देवनानी ने दी ये नसीहत:

विधायक व्यास जब पर्ची पर लिखी बात पढ़ गये तो अध्यक्ष देवनानी ने नसीहत देते हुए कहा, पर्ची और प्रक्रिया के नियम 295 में अंतर है। अगर आप पर्ची में भी 295 की तरह पढ़ते हैं तो यह उचित नहीं है। आप जो पर्ची लगाते है उस विषय को बिना पढ़े रखेंगे तभी उस विषय के साथ न्याय होगा।

व्यास ने कहा, निविदाकर्मियों का वेतन न्यूनतम 15 हजार हो:

एमएलए व्यास ने विधानसभा में गुरूवार को जो मुद्दा उठाया वह काफी गंभीर और हजारों निविदाकर्मियों से जुड़ा हुआ। व्यास ने कहा, हमारी कई ऐसी संस्थाएं हैं जो प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से निविदाकर्मी लेती हैं। इनमें सरकारी, अर्धसरकारी, बोर्ड निगम, सरकार के अधीन स्वायत्त संस्थान आदि शामिल हैं। ये संस्थान अर्धकुशल, कुशल, कम्प्यूटर ऑपरेटर आदि कार्मिकों को प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से काम पर रखते हैं। बदले में प्रतिमाह छह से सात हजार रूपए ही मानदेय देते हैं।

इतनी कम आय में किसी परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। इसके साथ ही प्लसेमेंट एजेंसिया निविदाकर्मियों को पूरा वेतन भी नहीं देती। इससे उनका आर्थिकशोषण होता है। उससे बचाया जाए और निविदाकर्मियों केा न्यूनतम 15 हजार रूपए मासिक मानदेय दिया जाए।