पद- मद- कद की जुगलबंदी से राजे के तीखे तीर, कैसे संतुलन होगा भाजपा के गुटों का
RNE, BIKANER.
भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ की 3 अगस्त को ताजपोशी बड़े जोर शोर से हुई। बड़ा समारोह पार्टी कार्यालय पर हुआ और उसमें सरकार व संगठन के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए। सभी पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को भी बुलाया गया। लगभग सभी बड़े नेताओं के भाषण हुए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी संबोधन दिया।
तामझाम सब बेहतरीन थे और तड़क भड़क भी थी। मगर दो ही भाषण चर्चा में रहे, जो अब भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा के केंद्र बने हुए हैं। दो में एक भाषण जो लगातार वायरल हो रहा है और पार्टी के भीतर जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह भाषण है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का। राजे पिछले काफी समय से हाशिये पर ही है और चुप भी है।
जबकि उनके पास अपना एक बड़ा गुट है, जिसमें सांसद भी है और विधायक भी। लगभग उन सभी ने अभी एक अजीब सा मौनव्रत धारण किया हुआ है। मगर नये पार्टी अध्यक्ष की ताजपोशी में राजे ने ऐसे तीर चलाए कि कई नेता घायल हो गये। कई अर्थ समझ गये पर प्रतिक्रिया कैसे दें, ये उनके समझ नहीं आ रहा।
राजे ने पद – कद – मद की जुगलबंदी से एक साथ उन सभी नेताओं को हड़का दिया जिन्होंने परोक्ष या अपरोक्ष रूप से उनका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि पद का मद किसी भी नेता को नहीं आना चाहिए, वो खराब कर देता है। पद जाने के बाद फिर मद रखने वाले कहीं के नहीं रहते। असल बात है कद की, नेता का कद ही उसकी असली पहचान है, पद और पद से आया मद नहीं। जब ये बात राजे बोल रही थी तो कनखियों से सतीश पूनिया व राजेन्द्र राठौड़ उनकी तरफ गौर से देख रहे थे। सब सुन भी रहे थे और उमस से आये पसीने को भी पौछ रहे थे। राजे बेपरवाह बोले जा रही थी।
इनके राजे के भाषण को जो गौर से सुन रहा था वो थे नये प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़। हालांकि मंच पर बैठे अधिकतर नेताओ का ध्यान पूरी तरह से राजे पर था, जिनमें सीएम भी शामिल थे।
नये पार्टी अध्यक्ष राठौड़ से तो रहा है नहीं गया और अपने संबोधन में वो बोल ही गये कि वसुंधरा जी आपकी बात को गांठ बांधकर रखूंगा। भूलूंगा नहीं। बस, उनका ये कहना ही राजे के बयान को चर्चा में ला गया। कई बड़े नेताओं को हिला गया। राजे इस तरह के तीर कम ही चलाया करती है, मगर इस बार तो एक तीर से कई शिकार कर लिए। पद – मद – कद की राजे की बात अभी यहीं रुकने वाली नहीं है, बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी