बीकानेर के प्रशांत बिस्सा की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस दिया
RNE Bikaner.
राजस्थान में विद्या संबल योजना और राजसेस के नाम पर बेरोजगारों को प्रताड़ित करने और शोषण करने का आरोप लगाते हुए बीकानेर के प्रशांत बिस्सा आदि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता प्रशांत बिस्सा का कहना है, विद्या संबल योजना और राजसेस के नाम पर पिछले तीन वर्षोँ से राज्य में उच्च एवं कॉलेज शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर रखा है। राज्य के छात्रों और बेरोजगार शिक्षकों का जिसके तहत बहुत शोषण हो रहा है, समान कार्य एवं सेवाएं देने के बाद भी योजना के नाम पे बेरोजगारों को प्रताड़ित किया गया है।
कॉलेज शिक्षा विभाग ने पूरे राज्य में विभिन्न कॉलेज खोल दिये है परंतु वहाँ पर्याप्त शिक्षक नही नियुक्त किये। कई कॉलेजों में विद्या संबल योजना के तहत मात्र एक शिक्षक तीन- तीन महिनो के लिए लगा कर चला रखे है, जिसके विरुध मानानीय उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न आदेशों के बावजूद विभाग अपनी मनमानी करता रहा। शोषण की इसी कड़ी में राजसेस् नामक संस्थान बनाई गईऔर अब उसके तहत प्राकृतिक सिद्धांतों के विरुध नियमावली जारी की गयी। बिस्सा का कहना है, इसी कोचुनौती देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता प्रशांत बिस्सा की ओर से अधिवक्ता वर्षा बिस्सा ने कोर्ट को बताया की राजसेस् के नाम पर बनी हुई नियमावली न केवल कानूनी रूप से अनुचित हैं अपितु राजस्थान कॉलेज शिक्षा नियम, 1986 के भी विरुध है। अधिवक्ता वर्षा बिस्सा ने कोर्ट को यह भी बताया के विद्या संबल योजना के तहत लगे सभी शिक्षक नियमित रूप से लगे सहायक आचार्यों के समकक्ष कार्य करने के बावजूद कालाशों पर तीन-तीन माह के लिए लगाए जाते है। उन्हे न्यूनतम वेतनमान भी नही दिया जाता है जो की समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत के भी विरुध है। इसके बावजूद राजसेस् नियमावली में इन शिक्षकों को एक मुश्त मासिक वेतन पर रखने के न्याय विपरीत नियम पारित किये गए है। राजस्थान उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन श्रीवास्तव एवं मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किये।।