Skip to main content

राज्य की राज्यसभा सीट के लिए भागदौड़, बाहरी उम्मीदवार का भी अनुमान

  • 03 सितंबर को देश में 12 सीटों पर राज्यसभा चुनाव
  • 10 पर आंकड़े BJP-NDA के पक्ष में 
  • राजस्थान में एक सीट पर चुनाव
  • प्रत्याशी को लेकर कयास, अनुमान, कशमकश 

3 सितंबर को देश मे 12 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। इनमें 10 सीटों पर भाजपा के जीतने की संभावना है। कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो भाजपा के सामने किसी भी तरह की परेशानी नहीं है। जिन 12 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें राजस्थान की भी एक सीट शामिल है। ये सीट कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल के लोकसभा सदस्य बन जाने के कारण रिक्त हुई है। उन्होंने इस बार केरल से लोकसभा का चुनाव जीत लिया है।

पौने दो साल सांसद बनने की लॉबिंग : 

राज्य की इस एकमात्र सीट पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है। इस कारण ही सीट के लिए दावेदारों की कवायद आरम्भ हो गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ ने हालांकि कल साफ कर दिया कि उम्मीदवार चयन के लिए भाजपा की कोर कमेटी की बैठक होगी और उसमें नामों को तय कर राष्ट्रीय नेतृत्त्व को भेजा जाएगा।

जो भी इस सीट के लिए चुना जायेगा उसका कार्यकाल पौने दो साल का होगा, क्योंकि इस सीट का इतना ही समय शेष रहा है। 14 अगस्त को इस सीट के लिए अधिसूचना जारी होगी और नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा के कई नेता इस सीट पर टिकट के लिए लॉबिंग करने में लगे हुए हैं। प्रदेश नेतृत्त्व नये चेहरों को भी तलाश रहे हैं। अभी भाजपा आलाकमान ने प्रदेश भाजपा को कोई निर्देश नहीं दिए हैं। मगर दिल्ली तक लॉबिंग लगातार हो रही है।

राठौड़, पूनिया, ज्योति के नाम चर्चा में : 

राज्यसभा की इस सीट के लिए जिन लोगों के नाम प्रमुखता से उभरे हैं उनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का भी नाम है। वे इस बार विधानसभा का चुनाव हार गये थे मगर भाजपा नेतृत्त्व उनके महत्त्व को जानता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा का नाम भी चर्चा में है। इस बार भाजपा जाट बेल्ट की सभी लोकसभा सीटें हारी है, इसलिए जाट को उम्मीदवार बनाने पर भी सोच सकती है। पूनिया अभी हरियाणा राज्य के प्रभारी हैं। वहीं ज्योति मिर्धा भाजपा में आने के बाद नागौर से लगातार विधानसभा व लोकसभा का चुनाव हारी है। पार्टी में अब भी सक्रिय है। राहुल कस्वां का चूरू से टिकट काटने के बाद से जाट भाजपा से नाराज है, इस बात को भाजपा जानती है।

चतुर्वेदी, अलका, सैनी के भी कयास :

इनके अलावा जो नाम चर्चा में है वो है भाजपा के पूर्व प्रदेधाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी का। संघ पृष्ठभूमि के चतुर्वेदी अभी विधानसभा के सदस्य भी नहीं है और संगठन में सदा सक्रिय रहे हैं। प्रभुलाल सैनी, अलका गुर्जर आदि के नाम भी चर्चा में है। इन सभी दावेदारों की लॉबिंग दिल्ली में चल रही है। ये नेता पीएम मोदी, गृहमन्त्री अमित शाह, जे पी नड्डा आदि से संपर्क कर रहे हैं। वहीं प्रदेश भाजपा कुछ नये चेहरों पर भी नजर दौड़ा रही है। पार्टी का फोकस विधानसभा के उप चुनाव है। पार्टी ऐसा उम्मीदवार लाने की कोशिश में है जिससे उप चुनाव में फायदा हो। इतना तय है कि उम्मीदवार के चयन में प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ व सीएम भजनलाल शर्मा की मुख्य भूमिका रहेगी, ये दोनों नेता स्थानीय समीकरणों के अनुसार उम्मीदवार तलाश रहे हैं।

कांग्रेस की तरह बाहर से आ सकता है प्रत्याशी!

प्रदेश भाजपा के नेताओं को इस बात की भी आशंका है कि भाजपा आलाकमान किसी केंद्रीय मंत्री या बड़े नेता को भी राजस्थान भेज सकता है। क्योंकि भाजपा व कांग्रेस, दोनों के लिए राज्य सदा से ही सेफ जॉन रहा है। सोनिया गांधी भी राजस्थान से ही राज्यसभा में गई है। यदि भाजपा ने केंद्र से उम्मीदवार भेज दिया तो यहां के नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर जायेगा। आलाकमान यहां की अंतर्कलह से परिचित है, इसलिए ये निर्णय भी कर सकता है। कुल मिलाकर 14 अगस्त के बाद ही उम्मीदवार को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।