भाजपा प्रभारी राधे मोहन के तीखे तेवर, अब भाजपा में भी बदलेगा बहुत कुछ
RNE, Network.
भाजपा को इस बात का पता है कि पार्टी की कमजोरी व अंतर्कलह के कारण उसे लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के बाद भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान में ही हुआ था। दो चुनावों से वो 25 की 25 सीटें जीतती आ रही थी मगर इस बार सत्ता में होने के बाद भी उसे केवल 14 सीट ही मिली।
भाजपा को मलाल इसलिए भी था कि पडौसी राज्य मध्यप्रदेश में उसने सभी सीटें जीती। साफ जाहिर था कि सरकार व संगठन के स्तर पर सब ठीक नहीं था इसलिए ही ये हार मिली। जबकि विधानसभा चुनाव हारी हुई कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। भाजपा ने पिछले दिनों अपने राज्यों के प्रभारी बदले। राज्य का जिम्मा पहले अरुण सिंह के पास था मगर उनकी जगह राधे मोहन अग्रवाल को दिया गया। भाजपा नेता सार्वजनिक रूप से अंतर्कलह के बयान देने लग गये थे। शुभकरण चौधरी, देवीसिंह भाटी, रामस्वरूप कोली आदि के बयानों से अंतर्कलह उभरी।
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी फ्लोर मैनेजमेंट सही नहीं रहा, विपक्ष अनेक मसलों पर हावी रहा। वरिष्ठ विधायक चुप बैठे सब देखते रहते थे। वहीं कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी थी। अब भी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ, मगर वे मंत्री के रूप में काम भी नहीं कर रहे।
इन स्थितियों के मध्य राधे मोहन को प्रभारी बनाया। उन्होंने अपने पहले दौरे में ही तीखे तेवर दिखाए और साफ कर दिया कि नेतृत्त्व ने उनको एक खास मिशन पर भेजा है। सदस्यता अभियान के लिए हुई बैठक में उन्होंने मंत्रियों, विधायकों की क्लास ली। जो जो मंत्री और विधायक नहीं आये, उनसे न आने का कारण पूछने का निर्देश नये बने अध्यक्ष मदन राठौड़ को दिया। खेल तब गर्माया जब उन्होंने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के बीच से चले जाने को मुद्दा बनाया और कहा कि उनकी भी हाजरी हो गई। वहीं उन्होंने वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति पर खुद सफाई देकर बचाव किया। राठौड़ पर बोलना भारी पड़ गया।
राजपूत समाज के नेता राधे मोहन के विरोध में खड़े हो गये। ट्विटर पर ट्रेंड शुरू कर दिया। दौसा गये तो विरोध प्रदर्शन कर दिया। बयान आने शुरू हो गये। करणी सेना तक के कुछ लोग विरोध में बोले। आखिकार खुद राठौड़ को सामने आना पड़ा और कहा कि ये गलत है। मैं जो कुछ हूं भाजपा के कारण हूं। राठौड़ पर उसके बाद राधे मोहन कुछ नहीं बोले। बस, चुपचाप सब देखते रहे। भाजपा प्रभारी राधे मोहन का ये कहना कि वे सरकार व संगठन की जो स्थिति है, उसकी रिपोर्ट भाजपा के केंद्रीय नेतृत्त्व को देंगे। यही बात राजनीतिक गलियारे में चर्चा में आई हुई है। क्यूंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार व संगठन में बदलाव होने निश्चित है। मतलब यही है कि अब मंत्रिमंडल में बदलाव व विस्तार रिपोर्ट के आधार पर होगा।
ठीक इसी तरह संगठन व सरकार में भी भागीदारी का आधार भी यही रिपोर्ट बनेगी। कई नेताओं को किनारे करने के संकेत भी मिलने लगे हैं तो कई चुप बैठों को मुख्यधारा में लाया जायेगा। कुल मिलाकर राधे मोहन के आने के बाद भाजपा में सरकार व संगठन के स्तर पर बदलाव की बयार चलने लगी है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘