यूपीएस लागू करने से कतरा रही सरकार, कर्मचारियों से डर
- कर्मचारी ओपीएस के लिए लामबंद, उप चुनावों को लेकर डर
RNE, State Bureau.
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन की मांग पर ‘ यूपीएस ‘ योजना को लागू कर दिया है। केबिनेट से मंजूरी के बाद ये नई पेंशन योजना अमल में आ गई, हालांकि केन्द्रीय कर्मचारी संगठन इसके विरोध में स्वर बुलंद कर रहे हैं। केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि उसके यूपीएस लागू करते ही वे तमाम राज्य जिनमें पार्टी की सरकार है, वहां भी इसे लागू कर दिया जायेगा।
मगर 4 दिन में भी ये हुआ नहीं। इससे लगता है कि कहीं न कहीं कुछ तो अड़चन है। सबसे पहले इस योजना को 24 घन्टे में महाराष्ट्र सरकार ने लागू किया। जहां शिव सेना शिंदे के एकनाथ शिंदे सीएम है और सरकार में भाजपा भी है। जहां सीधे भाजपा शासन में है, वहां अब भी निर्णय नहीं हो पाया है। राजस्थान में बुधवार को कैबिनेट की बैठक थी। राजनीतिक क्षेत्र के लोगों के साथ कर्मचारियों को भी उम्मीद थी कि भजनलाल सरकार भी केंद्र की यूपीएस योजना लागू कर देगी। मगर केबिनेट के निर्णयों में पेंशन योजना की कोई बात ही नहीं थी। सरकार ने मौन साध लिया।
इस मौन की अपनी वजह भी है। केंद्र सरकार ने जैसे ही यूपीएस की घोषणा की, वैसे ही राज्य के कर्मचारी नेता विरोध में खड़े हो गये। लगभग सभी कर्मचारी संगठनों के प्रदेश मुखियाओं ने कह दिया कि हमें ये योजना मंजूर नहीं। हमें ओल्ड पेंशन स्कीम ‘ ओपीएस ‘ से कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं। कर्मचारी संगठनों ने धमकी भी दे दी कि यदि जबरन राज्य में यूपीएस लागू की गई तो विरोध होगा।
कर्मचारी संगठन मिलकर विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो हड़ताल भी की जायेगी। कर्मचारी संगठनों के तेवर तीखे थे। इनको बल मिला कांग्रेस से। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट व पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी यूपीएस को छलावा बताया और कहा कि ये कर्मचारियों को धोखा है। पिछली कांग्रेस सरकार पहले से लाभकारी ओपीएस लागू कर चुकी है। उसका लाभ छिनने का प्रयास यूपीएस है, इससे कर्मचारी व उसके परिवार को पूरी सुरक्षा नहीं मिलेगी।
कांग्रेस के विरोध व कर्मचारियों की नाराजगी से राज्य सरकार घबरा गई। इसी कारण केबिनेट बैठक होने के बाद भी यूपीएस पर कोई निर्णय नहीं किया जा सका। सरकार ने चुप्पी को ही ठीक समझा। अभी 6 सीटों पर उप चुनाव भी होने हैं, इसलिए सरकार रिस्क नहीं ले सकती। लगता है, सरकार उप चुनाव तक तो चुप ही रहेगी।
पिछली सरकार की ओपीएस अब भजनलाल सरकार के गले की हड्डी बन गई है। कुछ भी निर्णय करने से पहले उसे कर्मचारियों को भांपना होगा।