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दिव्या व दानिश की एंट्री, कांग्रेस में नये युग का आगाज, बदल रही तस्वीर

कांग्रेस आलाकमान ने इस बार राज्य से दो नेताओं को कांग्रेस का सचिव बनाया। विधानसभा का चुनाव हार चुके दिव्या मदेरणा व दानिश अबरार को ये जिम्मेवारी मिली। इससे पहले कांग्रेस ने सचिन पायलट को महासचिव बनाया। धीरज गुर्जर पहले से ही सचिव है और प्रियंका गांधी की टीम में है। कांग्रेस संगठन में दिव्या व दानिश की एंट्री राज्य में कांग्रेस के नये युग का आगाज माना जा रहा है।

कांग्रेस राज्य में अपने चेहरे बदल रही है। एक समय था जब राज्य के वरिष्ठ नेताओं की सलाह या यूं कहें कि सिफारिश पर ही पद मिलता था, टिकट मिलता था। मगर राहुल गांधी ने उस परंपरा को पूरी तरह से बदल दिया है। इस बार भी सचिव पद के लिए नेताओं से उन्होंने खुद बात की और बाद में जो उचित लगा, उसका पद के लिए चयन किया। दिव्या व दानिश उसी प्रक्रिया से आये हैं।

राज्य के युवा नेताओं पर पार्टी आलाकमान खास ध्यान दे रहा है। इसका अंदाजा न केवल सचिवों के चयन से हो रहा है अपितु उनको दिए गए काम से भी हो रहा है। कांग्रेस संगठन ने दिव्या मदेरणा को जम्मू कश्मीर का सह प्रभारी बनाया है। इस राज्य में चुनाव चल रहा है और पार्टी की दृष्टि से ये महत्त्वपूर्ण राज्य है। दानिश अबरार को राजधानी दिल्ली में सह प्रभारी बनाया गया है, जहां आने वाले समय में चुनाव है। दिल्ली विधानसभा में अभी कांग्रेस का एक भी एमएलए नहीं है। इस नजरिये से देखें तो उनको भी बड़ी जिम्मेवारी मिली है।

इन नियुक्तियों ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर संगठन को लेकर बदलाव के संकेत दिए हैं अपितु ये भी साफ कर दिया है कि राजस्थान में भी कांग्रेस के नये युग की शुरुआत हो गई है। इस युग मे संगठन के लिए काम करने वालों को ही तरजीह मिलेगी। जिसने भी पहले अपने को संगठन से बड़ा साबित करने की कोशिश की है, उन्हें व उनके साथ रहने वालों को किनारे किया जायेगा। वर्षों से राज्य में पार्टी के पदों पर काबिज रहने वालों की विदाई के संकेत इन नियुक्तियों से दिया गया है। याद रखना होगा कि जब आलाकमान ने गहलोत व पायलट की टकराहट के मध्य पर्यवेक्षकों को जयपुर भेजा और विधायक दल की बैठक बुलाई। उस बैठक में कम विधायक पहुंचे और उस समय के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन को बेरंग लौटना पड़ा। उस समय बैठक में दिव्या मदेरणा पहुंची और बयान दिया कि मैं किसी गुट में नहीं, आलाकमान के साथ हूं। जबकि कई विधायक बैठक में नहीं आये और अपनी निष्ठा एक नेता में साबित की।

ठीक इसी तरह दानिश अबरार भी पहले एक गुट में थे मगर कुछ दिनों पहले उन्होंने सवाई माधोपुर की एक जनसभा में पायलट की उपस्थिति में अपनी गलती स्वीकारी और पार्टी के प्रति निष्ठा व्यक्त की। उसके बाद ही उनकी सचिव पद पर नियुक्ति हुई है।

ये घटनाएं उन लोगों को संकेत है जो आलाकमान या संगठन के विपरीत गुट विशेष में रहकर पद हासिल करते रहे हैं। राहुल व खड़गे ने इन नियुक्तियों से साफ संदेश दे दिया है कि अब राज्य कांग्रेस में नये युग का आगाज हो गया है। देखना ये है कि आने वाले समय में कौन कौन से विकेट गिरते हैं और कौन शतकवीर होते हैं।


मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।