Midterm Rosacon 2024 : इंट्रा-आर्टिकुलर फ़्रैक्चर की बारीकियों पर बात
- Midterm Rosacon 2024 :
- इंट्रा-आर्टिकुलर फ़्रैक्चर की बारीकियों पर बात करने जुटे विशेषज्ञ
- पहले दिन 07 सेशन : शॉल्डर, एल्बो, रिस्ट, हिप, नी, ,एंकल आदि जोड़ों पर बात
- 27 साल बाद बीकानेर में हो रही ऐसी कॉन्फ्रेंस
- मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ.गुंजन सोनी ने किया उद्घाटन
RNE Bikaner.
Midterm Rosacon 2024 का शनिवार को बीकानेर में आगाज हुआ। राजस्थान ऑर्थोपेडिक सर्जन एसोसिएशन की इस कॉन्फ्रेंस में देश के ख्यातनाम ऑर्थोपीडिक सर्जन जुटे हैं। ये दो दिन यही रहकर हड्डी से जुड़ी विभिन्न बीमारियों पर मंथन करेंगे। मिडटर्म रोजाकॉन की थीम इंट्रा आर्टिकुलर फ्रेक्चर (Intra Articular Fractures) रखी गई है।
चिकित्सा विज्ञान की तकनीकी भाषा से थोड़ा हटकर आम बोलचाल में देखें तो इंट्रा-आर्टिकुलर फ़्रैक्चर का मतलब है, जोड़ की सतह तक फैला हुआ फ़्रैक्चर। इस तरह के फ़्रैक्चर में कार्टिलेज को भी नुकसान होता है। इंट्रा-आर्टिकुलर फ़्रैक्चर का इलाज करना आम फ़्रैक्चर की तुलना में ज़्यादा जटिल होता है।
ऐसे में जाहिर है कि एक जटिल लेकिन मरीजों के दैनंदिन जरूरत के विषय पर बात करने देशभर, खासतौर पर राजस्थान के ऑर्थोपीडिक सर्जन जुटे हैं।
कौन आयोजक, कहां जुटे, क्या बात :
दरअसल दो दिन की यह कॉन्फ्रेंस 27 साल बाद बीकानेर में हो रही है। बीकानेर ऑर्थोपेडिक सर्जन सोसायटी की मेहमाननवाजी में हो रही कॉन्फ्रेंस में आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर बी.एल. खजोटिया है। रिद्धि-सिद्धी भवन में हो रही कांफ्रेंस का उद्घाटन सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गुंजन सोनी ने किया । कार्यक्रम में डॉ अनिता पारीक, रोजाकॉन के अध्यक्ष डॉ जसवंत सिंह, नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ रमेश विजय, सचिव डॉ विक्रम शर्मा,, डा आर पी लोहिया आदि मौजूद रहे।
पहले दिन 07 सत्र :
शनिवार को पहले दिन 07 साइंटिफिक सेशन हुए। लगभग एक-एक घंटे के एक सेशन में विशेषज्ञ ने एक-एक जोड़ पर बात की। इसके साथ ही व्याख्यान पर विचार-विमर्श और सवाल जवाब भी हुए। इस दौरान शॉल्डर, एल्बो, रिस्ट, हिप, नी, ,एंकल आदि जोड़ों पर बात हुई।
यह बोले विशेषज्ञ डॉक्टर खजोटिया :
Midterm Rosacon 2024 पर बात करते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष और एसपी मेडिकल कॉलेज में आर्थो विभागाध्यक्ष डॉक्टर बी.एल. खजोटिया ने कहा, हालांकि दिखने में यह डॉक्टर्स का साइंटिफिक आयोजन है लेकिन इस मंथन-चिंतन का अंतिम लाभ मरीजों को ही मिलना होता है। खासतौर पर यह पीजी कर रहे डॉक्टर्स के लिए सीखने का एक बड़ा प्लेटफॉर्म है।