विकार बाहर निकलना जरूरी तभी परमात्मा की सर्वत्रता का बोध
- तीन दिवसीय आंतरिक ध्यान और सत्संग का समापन मंगलवार को
RNE Bikaner.
श्रीरामाश्रम सत्संग मथुरा उपकेंद्र बीकानेर की ओर से तीन दिवसीय आंतरिक ध्यान एवं सत्संग समारोह का समापन मंगलवार को होगा।
माहेश्वरी भवन विश्वकर्मा गेट के अंदर आयोजित तीन दिवसीय सत्संग समारोह के दूसरे दिन ग्वालियर से आए आचार्य बृजेश कुमार शर्मा ने अपने प्रवचन में कहा कि ज्ञान और मान एक जगह नहीं हो सकते।
प्रसंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि बिना किसी बात को जानने बजाय स्वीकार कर लेने का अर्थ है कि वहां ज्ञान नहीं है। बिना जाने किसी चीज को मान लेते हैं तो विद्या नहीं हुई। इसी तरह किसी चीज की कामना के साथ हम साधना करते हैं तो उसका कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि मान का चौथा रूप अभिमान होता है और इन विकारों को दूर करने का जरिया गुरु ही होता है। उपकेंद्र बीकानेर के आचार्य कृष्णकांत पारीक ने बताया कि इस बार 5 साल के अंतराल के बाद बीकानेर में यह सत्संग समारोह आयोजित हो रहा है।
जिसमें देशभर से सत्संगी आए हैं और मथुरा टूंडला और जयपुर सहित अन्य स्थानों से आचार्य भी बीकानेर आए।