‘हरदिल अजीज’: शायर अजीज आजाद की बरसी पर महफिल-ए-गजल
RNE, BIKANER.
‘नाखुदा बन के लोग आते हैं, खुद किनारों पे डूब जाते हैं…’ ख्यातनाम शायर अजीज आजाद की गजल को मशहूर संगीतकार, गजल गायक रफीक सागर ने अपने खास अंदाज में पेश किया तो बीकानेर का जिला उद्योग संघ भवन हॉल ‘वाह-वाह’ से गूंजा और हर हाथ दाद में उठा। मौका था शायर अज़ीज़ आज़ाद की 18 वीं बरसी पर आज़ाद की ग़ज़लों की संगीतमय प्रस्तुति के कार्यक्रम ‘हरदिल अज़ीज़’ का।
अजीज आजाद लिटरेरी सोसायटी के इस कार्यक्रम में रफीक सागर ने ग़ज़ल ‘नाख़ुदा बन के लोग आते है/ख़ुद किनारों पे डूब जाते हैं, चार दिनों का जीवन है और फासले जन्मों के’ सहित अनेक ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुति दी।
आरम्भ में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार मधु आचार्य आशावादी, एक्टिविस्ट सुशीला ओझा, वरिष्ठ पत्रकार दीपचंद सांखला, संगीतज्ञ कामेश सहल, जाकिर हुसैन आज़ाद और इरशाद अज़ीज़ ने शमा रोशन कर कार्यक्रम का आगाज किया।
संगीतकार रफीक राजा ने अज़ीज़ आज़ाद की चर्चित ग़ज़ल ‘तुम मेरे शहर में दो दिन तो ठहर कर देखो’ सुनाकर वाहवाही लूटी। उन्हीं के संगीत निर्देशन में मुम्बई से आए गायक मोहम्मद रमजान और युवा गायक मोहम्मद इजहार ने भी अज़ीज़ आज़ाद की ग़ज़लें सुनाकर दाद ली।
यूं किया आजाद को याद :
वरिष्ठ पत्रकार, कवि, नाटककार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि ऐसे आयोजनों के द्वारा हम उस पीढ़ी के ऋण से उऋण होने के प्रयास करते हैं, जिस पीढ़ी ने हमें शब्द और साहित्य के संस्कार दिए हैं। उन्होंने कहा कि अज़ीज़ आज़ाद सद्भाव के शायर के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। वरिष्ठ पत्रकार- साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि अज़ीज़ आज़ाद युगों- युगों तक ज़िन्दा रहने वाले शायर का नाम है। उनका कलाम अपने समय की सच्ची तस्वीर पेश करता है। उन्होंने कहा कि अज़ीज़ आज़ाद ने उनके जैसे अनेक युवा लेखकों को अपनी मातृभाषा में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया था। अज़ीज़ आज़ाद के भाई मोहम्मद जहीर ने अनेक संस्मरण सुनाते हुए अज़ीज़ आज़ाद को याद किया।
कलाकारों को अवार्ड से नवाजा :
ग़ज़ल गायक रफीक सागर को आल्स की ओर से ‘ अज़ीज़ आज़ाद मौसिक़ी एवार्ड ‘सुर सम्राट’ रफीक राजा को ‘सुर सरताज’, मोहम्मद रमजान को ‘शान-ए- सुर’ तथा मोहम्मद इजहार को ‘नस्ले नौ बहार’ एवार्ड प्रदान किया गया। इस अवसर पर तबला, ढोलक और की बोर्ड पर संगत करने वाले ताहिर हुसैन, दानिश, लियाकत अली, और सआदत हुसैन को ‘उस्ताद ए साज़’ एवार्ड प्रदान किए गए। लोक गायक नत्थू खां बागड़वा और संतोष कुमार को ‘सुर साधक’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
ये रहे मौजूद :
डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत, अशोक भाटी, कमल रंगा,राजेन्द्र जोशी, प्रमोद कुमार शर्मा, डॉ. चंचला पाठक, संजय पुरोहित, डॉ. प्रमोद चमोली, गुलाम मोहियुद्दीन माहिर, अब्दुल जब्बार जज्बी, जगदीश आचार्य अमन, नरेन्द्र आचार्य, रजनीश जोशी, राजेश ओझा, आशीष पुरोहित, योगेंद्र पुरोहित, अशफाक कादरी, राजाराम स्वर्णकार, पेंटर धर्मा, गंगाराम माली, उदय व्यास,फारूक चौहान, नासिर ज़ैदी, आर के सुतार, सुकांत किराडू, उमर दराज़, गिरीराज पारीक, नितिन वत्सस, बृजमोहन रामावत, इदरीश, शब्बीर अहमद, रोशन अली, बिलाल अहमद मोहम्मद अज़ीम, भूराराम मेघवाल, ज़ोया फातिमा, नज़िमा, नवाज अली, कमल श्रीमाली, राजेन्द्र छंगाणी, जीत सिंह, सुशील छंगाणी, चंद्रेश दिवाकर, कुमार महेश, मोहम्मद अफजल, सुनील गज्जाणी, एम रफीक कादरी, जावेद अली, ताहिर हुसैन, यशु, अमरजीत सिंह व सलमान आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित जनों ने अज़ीज़ आज़ाद के प्रसिद्ध गीत ‘मैं तुमको विश्वास दूं’ का समवेत स्वरों में गायन किया। शायर इरशाद अज़ीज़ ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया। संचालन संजय आचार्य वरुण ने किया।