Rising Rajasthan : पचीसिया बोले, पहले फ्यूल सरचार्ज हटाओ, 06 रुपए यूनिट बिजली दो
- राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट 2024 के लिए पचीसिया ने सरकार को भिजवाए सुझाव
RNE Bikaner.
बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया ने दिसंबर माह में होने वाले राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट 2024 को सफल बनाने हेतु उद्योगों के समक्ष आ रही समस्याओं के निराकरण हेतु सुझाव भिजवाए | सुझाव में बताया कि राजस्थान के उद्योगों को अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्द्धा में लाने हेतु आवश्यक है कि उद्योगों से वसूले जाना वाला फ्यूल सरचार्ज समाप्त किया जाना चाहिए | राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली की दरें अन्य राज्यों से अधिक है जिनको संतुलित करते हुए 6 रूपये प्रति यूनिट करना आवश्यक है|
इनवेस्टमेंट लाने के लिए ये करें सरकार :
पचीसिया ने कहा, उद्योगों पर लगने वाले फायर सेस, वाटर सेस तथा अरबन सेस जैसी बाध्यताओं को समाप्त किया जाना चाहिए और इकाइयों में कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा हेतु फायर एनओसी को अनिवार्यता की जानी चाहिए | एमएसएमई को अपनी फाइनेंस की जरूरतों के लिए एमएसएमई क्रेडिट कार्ड दिया जाए |
शहरी क्षेत्रों में आ चुके औद्योगिक क्षेत्रों को सरकार द्वारा फ्री होल्ड करते हुए मल्टीपल यूज के एरिया नोटिफाई कर लोकल बॉडी में परिवर्तित कर दे इससे इन क्षेत्रों में औद्योगिक व व्यावसायिक विकास को गति मिलेगी|
दाल-दलहन उद्योग पलायन को तैयार :
राजस्थान में दलहन आधारित उद्योगों पर मंडी शुल्क का भार अन्य पडौसी राज्यों की तुलना में अधिक है जिस कारण राजस्थान के दलहन उद्योग आज अन्य पडौसी राज्य के दलहन उद्योग से प्रतिस्पर्द्धा में पिछड़ रहे हैं तथा जिसके कारण राजस्थान के कृषि आधारित उद्योग आज अन्य पडौसी राज्य में पलायन करने की सोच रहे हैं |
राजस्थान में दलहन उद्योगों को अपनी कच्चे माल की पूर्ति हेतु पडौसी राज्यों से मंडी शुल्क चुकाकर माल खरीदना होता है और राजस्थान में उसी माल पर पुन: दोहरा मंडी शुल्क चुकाना न्यायोचित नहीं है जबकि किसी भी राज्य में दोहरा मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है |
पुराने उद्योगों को भी संभालें :
औद्योगिक विकास हेतु नए उद्योगों हेतु नीतियाँ जारी की जाती रही है लेकिन राज्य सरकार को प्रदेश की पुरानी इकाइयों की और भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि निर्धारित समय बाद पुरानी इकाइयों को मिलने वाली सुविधाएं समाप्त हो जाती है जिससे इन इकाइयों का उत्पादन मूल्य बढ़ जाता है और वो नई इकाइयों की प्रतिस्पर्द्धा में टिक नहीं पाती है और पुरानी इकाइयों के अस्तित्व को खतरा होने साथ ही बंद होने के कगार पर आ जाती है |