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खींवसर, चौरासी सीटें कांग्रेस के लिए चिंता, गठबंधन की आस, निर्णय आलाकमान पर

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राज्य की 7 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। चुनाव आयोग कभी भी यहां चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। राज्य निर्वाचन अधिकारी नवीन जैन ने भी शनिवार को एक बैठक कर इस तरह के संकेत विभाग के अधिकारियों को दिए थे। महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ये उप चुनाव होने लगभग तय है। राज्य में भाजपा व कांग्रेस तो पहले से ही उप चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं। भाजपा व कांग्रेस के प्रभारी सीटों का दौरा भी कर चुके हैं। दोनों पार्टियां स्थानीय नेताओं से फीडबैक भी ले चुकी है। दोनों पार्टियों का केंद्रीय नेतृत्त्व भी इस मामले में सक्रिय है।


राज्य में दौसा, देवली उणियारा, चौरासी, सलूम्बर, झुंझनु, अलवर की रामगढ़ व खींवसर सीटों पर उप चुनाव होना है। इसमें दौसा, देवली उणियारा, झुंझनु, रामगढ़ सीटें वर्तमान में कांग्रेस के पास थी। सलूम्बर भाजपा के पास थी। खींवसर रालोपा के पास व चौरासी आदिवासी पार्टी की सीटें है। अपनी सीटें बचाने की चुनोती तो इन पार्टियों के पास है ही, साथ में अन्य सीटों पर भी नजर है। खींवसर की इकलौती सीट रालोपा के पास थी। वहां के विधायक हनुमान बेनीवाल लोकसभा चुनाव जीत गये। अब वो चाहेंगे कि उनकी पार्टी का विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व रहे। चौरासी सीट आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत की है, जो सांसद बन गये। वे भी हरहाल में सीट जीतना चाहेंगे।


लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने बांसवाड़ा सीट पर आदिवासी पार्टी को समर्थन दिया था। पार्टी के जो नेता इसके विरोध में थे, उनको बाहर का रास्ता दिखाया था। राज्य के बड़े नेता आदिवासी पार्टी के पक्ष में प्रचार करने के लिए गये। इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि कांग्रेस दौसा, टोंक, उदयपुर व भरतपुर सीटों पर आदिवासी वोट अपने लिए चाहती थी। उसको लाभ मिला भी। उदयपुर सीट भले ही कांग्रेस ने न जीती हो मगर शेष तीन सीटें तो जितने में उसे सफलता मिली थी। इस वजह से उसे इस बात का अहसास है कि चौरासी की सीट वो अकेले अपने बूते आसानी से नहीं जीत सकती। आदिवासी पार्टी से गठबंधन होने पर ही यहां भाजपा हार सकती है। यदि गठबंधन नहीं होता है तो भाजपा अच्छी स्थिति में रहेगी। पार्टी की राज्य इकाई ने इस तरह की रिपोर्ट भी आलाकमान को दी है।


नागौर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस व रालोपा का समझौता हुआ था और ये सीट कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ी थी। गठबंधन के कारण ही इस सीट पर भाजपा को शिकस्त मिली। अब इसी लोकसभा की सीट खींवसर की स्थिति भी वैसी ही है। विधानसभा चुनाव के समय भाजपा, कांग्रेस व रालोपा, तीनों के उम्मीदवार थे तो रालोपा बहुत कम अंतर से ये सीट जीत पाई। कांग्रेस तीसरे नम्बर पर रही। यदि विधानसभा उप चुनाव में तीनों दल लड़ते हैं तो यहां भी भाजपा के लिए राहत की बात होगी। कांग्रेस यहां भी रालोपा से गठबंधन चाहती है ताकि भाजपा को जीत से रोका जा सके। रालोपा को भी इस बात का अंदाजा है कि कांग्रेस भी लड़ी तो राह मुश्किल तो हो जायेगी। इस सूरत में गठबंधन कि स्थितियां बेहतर है। इस विषय मे भी पीसीसी ने आलाकमान को एक रिपोर्ट दी है।


कुल मिलाकर खींवसर व चौरासी की सीटों पर भाजपा को रोकने के लिए एक अच्छा जरिया गठबंधन ही है। इसका निर्णय आलाकमान से होगा। ये स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही इन सीटों का गणित स्पष्ट होगा।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।