भागवत बोले, बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने की कोशिश, क्योंकि भारत बढ़ेगा तो स्वार्थ की दुकानें बंद हो जाएगी
- अंडर लाइन्ड कल्चरल यूनिटी को बचाने कानून के दायरे में रहते हुए योजना लानी पड़ेगी
- चर्चा: आखिर कैसी योजना चाहते हैं आरएसएस प्रमुख डा.भागवत!
- आरएसएस के लिये महत्वपूर्ण होता है स्थापना दिवस पर संघप्रमुख का उद्बोधन,
- देश रखता है नजर
- बंगाल में आरजीकर हॉस्पिटल की घटना पर दुख
- बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने की कोशिशों का संकेत
RNE, NETWORK.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्थापना दिवस विजयादशमी के मौके पर बतौर संघ प्रमुख उद्बोधन में इस बार डॉक्टर मोहन भागवत ने देश और दुनिया के हालात का खुलकर विश्लेषण किया। विकास और प्रगति पर संतोष जताया। दुनिया में बढ़ते भारत के मान को सराहा और जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव की तारीफ की।
इन सबके साथ ही डा.भागवत कई मसलों पर चिंतित भी दिखे। बंगाल के आरजीकर हॉस्पिटल की घटना और उसके बाद वहां की सरकार के रवैये पर उन्होंने चिंता जताई। बांग्लादेश के हालात और वैसी ही स्थितियां भारत में पैदा करने की साजिशों का संकेत दिया। इन सबके बीच भारत को सांस्कृतिक एकात्म के अधिष्ठान पर खड़ा देश बताया। कहा, अंडर लाइन्ड कल्चरल यूनिटी का जिक्र संविधान निर्माताओं ने अन्यत्र भाषणों में किया है।
नैतिक विचारों का, आध्यात्मिक सत्य का, एक बलशाली आधिष्ठान हमारे समाज की स्थिरता को, आपस के संबंधों को व्यक्तिगत और राष्ट्रीय व्यवहार को मिला है। इन आधारों को नष्ट करने के कुप्रयासों को समय के पूर्व हमको रोकना पड़ेगा। इसके लिए समाज को प्रयास करने पड़ेंगे। एक ऐसा राष्ट्रीय नेरेटिव चलाना पड़ेगा। उसके लिए योजन बनानी पड़ेगी। कानून-संविधान की मर्यादा में रहते हुए अपने सांस्कृतिक अधिष्ठान पर पक्का रहते हुए हमको इसकी योजना बनानी पड़ेगी।
आमतौर पर माना जाता है कि संघप्रमुख विजयादशमी के दिन जो उद्बोधन देते हैं वह संघ का देश के प्रति और स्वयंसेवकों का अपने काम के प्रति वर्षभर का नजरिया या दिशा होती है। ऐसे में संघ प्रमुख ने इस बार ‘कानून-संविधान की मर्यादा में रहते हुए अपने सांस्कृतिक अधिष्ठान पर पक्का रहते हुए हमको इसकी योजना बनानी पड़ेगी।’ कहते हुए एक नई योजना का संकेत दे दिया है। ऐसी कोई नई योजन अगर आ रही है तो पूरी संभावना यह है कि उस पर काम शुरू हो चुका होगा। भावभूमि तैयार हो गई होगी। वजह, किसी भी तरह की ठोस प्रक्रिया के बिना संघ प्रमुख इतना बड़ा संकेत नहीं देते।
…भारत बढ़ेगा तो स्वार्थ की दुकानें बंद हो जाएगी :
बांग्लादेश में ऐसी चर्चाएं चलती हैं कि भारत से हमको खतरा है इसलिये पाकिस्तान को साथ लेना चाहिए। वही हमारा प्रामाणिक मित्र है, क्योंकि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। हम दोनों मिलकर उसको (भारत को) रोक सकते हैं। जिस बंग्लादेश के निर्माण में भारत की पूरी सहायता हुई। जिस बंग्लादेश के साथ भारत ने अब तक कोई वैर-भाव रखा नहीं। आगे भी नहीं रखेंगे। उस बंग्लादेश में ये चर्चा हो रही है।
ये चर्चाएं कौन करवा रहा? ऐसे नेरेशन वहां पर चलें, ये किन-किन देशों के हित की बात है। ये तो देखने वाले, सोचने वाले समझते हैं नाम लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारे देश में भी ऐसा हो ये उनकी इच्छा है क्योंकि भारत बड़ा बनेगा तो सब स्वार्थ की दुकान बंद हो जाएगी। इसलिये भारत का सामर्थ्य न बढ़े ऐसे उद्योग चल रहे हैं।
कोलकाता की घटना और अपराध-राजनीति गठबंधन :
एक द्रोपदी के वस्त्र को हाथ लगा तो महाभारत हो गई। एक सीता का हरण हुआ रामायण हो गई। यहां पर कैसी घटनाएं घट रही हैं? कोलकाता के आरजीकर हॉस्पिटल की घटना लज्जाजनक है। हम सबको कलंकित करने वाली घटना है। घटनाएं होने ही नहीं देना इसलिये चौकन्ने रहना चाहिये, सुरक्षा देनी चाहिये। होने के बाद भी वहां जिस प्रकार से टालमटाल का प्रयास हुआ, अपराधियों को संरक्षण देने का प्रयास हुआ। अपराध और राजनीति का गठबंधन हो गया है उसके ये परिणाम है।