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उप चुनाव : झारखंड राज्य की वर्तमान राजनीतिक गणित में ये भारी

  • भाजपा गठबंधन लोकसभा में रहा भारी, हेमंत सोरेन से गिरफ्तारी के बाद सहानुभूति
अभिषेक आचार्य

RNE, NETWORK. 

झारखंड राज्य विधानसभा के चुनाव की कल चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी। इस राज्य में दो चरण में चुनाव होंगे। क्योंकि ये नक्सल प्रभावित राज्य है और आदिवासी इलाका है। इस कारण यहां सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त करने पड़ते हैं। इस विषम स्थितियों के कारण ही यहां चुनाव आयोग 13 व 20 नवम्बर को दो चरणों मे चुनाव करायेगा।

इस समय राज्य में जेएमएम के नेतृत्त्व में इंडिया गठबंधन की सरकार है और जेएमएम के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री है। जो जेएमएम के भीष्म पितामह शिबू सोरेन के पुत्र भी हैं।

शिबू सोरेन

शिबू सोरेन ने झारखंड बनवाने के लिए बड़ा आंदोलन किया था और आदिवासियों के उत्थान के लिए बहुत संघर्ष भी किया था। उनकी आदिवासियों की नजर में बहुत इज्जत है और लोग उनको गुरुजी के नाम से संबोधित करते है। वे अभी अस्वस्थ हैं और पूरी कमान अपने पुत्र हेमंत सोरेन को दे रखी है।

शिबू सोरेन के साथी रहे टाइगर चम्पई सोरेन कुछ दिन पहले जेएमएम छोड़कर भाजपा में चले गये। जब हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए तो पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री बनाया मगर वो बाद में पार्टी छोड़ गये। तब से वे नेपथ्य में है।

झारखंड वर्तमान में

वर्तमान में विधानसभा की स्थिति बहुत स्पष्ट है। कुल 88 सीटों में से जेएमएम के पास 30 सीट सीट, कांग्रेस के पास 16 सीट, राजद के पास 1, भाजपा के पास 25 व अन्य के पास 9 सीट है।

लोकसभा चुनाव की स्थिति

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर मूल्यांकन किया जाए तो झारखंड में भाजपा गठबंधन को 45 सीटों पर और जेएमएम गठबंधन को 28 सीटों पर बढ़त मिली। भाजपा – आजसू गठबंधन को 9 व कांग्रेस – जेएमएम गठबंधन को 5 सीट मिली। इस आंकलन में तो भाजपा गठबंधन भारी पड़ा है।

बदले हैं अब समीकरण

खान आवंटन के एक मामले में सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया और कमान चम्पई को दी। बाद में उनको जमानत मिली तो वे वापस सीएम बने। इस कारण उनके प्रति आदिवासी समाज मे उनके प्रति एक सहानुभूति है। क्योंकि वे गुरुजी के पुत्र हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा 2019 की तुलना में कमजोर भी हुई है।

चम्पई का इफेक्ट

भाजपा में शामिल हुए चम्पई सोरेन को लेकर बहुत हलचल हुई। मगर उनके साथ एक भी विधायक या बड़ा पार्टी पदाधिकारी भाजपा में नहीं गया। इससे चम्पई को भी निराशा हुई। वे बीमार भी है और उनके अपने क्षेत्र में भी जेएमएम उनके विरोध में है। अब उनका क्या रुख रहता है, वो असर डालेगा। पर्दे के पीछे कुछ चल तो रहा है।

रोचक मुकाबला

मगर इस राज्य में मुकाबला रोचक होगा। भाजपा – आजसू व इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होगी। एक एक सीट पर तकडी राजनीतिक लड़ाई होगी।