अच्छा साहित्य ही सामाजिक अवमूल्यन को रोक सकता है
आरएनई,बीकानेर।
सामाजिक मूल्यों का पतन हम सभी के लिए निराशा जनक है। अच्छा साहित्य ही इस अवमूल्यन को रोक सकता है। इसके लिए साहित्य सृजकों को आगे आना होगा और अपनी लेखनी से समाज को दिशा दिखानी होगी । शब्दरंग साहित्य और कला संस्थान द्वारा महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी की चार पुस्तकों के विमोचन समारोह के दौरान वक्ताओं ने यह बात कही।लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने की ,समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात शिक्षाविद-आलोचक डाॅ. उमाकांत गुप्त थें तथा विशिष्ट अतिथि बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के संरक्षक के.एल.बोथरा रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि वैश्विक दौर में अपनी मातृभाषा के प्रति अनुराग कम हो रहा है। यह चिंताजनक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से केंद्र सरकार की मंशा है कि मातृभाषा को प्रोत्साहन मिले। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा राजस्थानी विभाग से जुड़े सकारात्मक निर्णय जल्दी लिए जाएंगे। दीक्षित ने कहा कि लेखक में अपनी बात को प्रमाणिकता से कहने की शक्ति होनी चाहिए। राजेन्द्र जोशी इस कसौटी पर खरे उतरते हैं।आचार्य दीक्षित ने कहा कि जोशी ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य रचा है। इन्होंने सामाजिक विदू्रपताओं के विरूद्ध अपनी कलम चलाई है। सपाट बयानी इनके साहित्य की सबसे बड़ी खूबी है, जो सीधे प्रत्येक पाठक के मन तक उतर जाती है। उन्होंने कहा कि युवा साहित्यकारों को इससे सीख लेनी चाहिए।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि सच्चे साहित्यकार का दायित्व है कि वह अपने पाठक को दीक्षित करें और अपनी बात पाठकों तक सहजता से पहुंचाए। जोशी ने अपनी चारों पुस्तकों में इसका ध्यान रखा है। गुप्त ने कहा कि बीकानेर नगर साहित्यानुरागी नगर है। यहां अनवरत रूप से साहित्य सृजन हो रहा है।उद्यमी कन्हैयालाल बोथरा ने कहा कि बीकानेर गंगा- जमुनी संस्कृति की पोषक होने के साथ साहित्यकारों की नगरी है। अनेक साहित्यकारों ने बीकानेर का नाम रोशन किया है। राजेन्द्र जोशी ने भी अपनी लेखनी के माध्यम से आम आदमी की पीड़ा को शासन -प्रशासन तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है। बोथरा ने कहा कि डायरी लेखन जैसी विधा अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने अपनी लेखन प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए लोकार्पित पुस्तकों के बारे में जानकारी रखी। उन्होंने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में राजस्थानी और संगीत से जुड़े विषय प्रारंभ करने की मांग रखी।इससे पहले अतिथियों ने राजेन्द्र जोशी की चार पुस्तकों का विमोचन किया। इनमें डायरी स्मृति वलय, बाल कहानी संग्रह दादी का दुलारा, उपेंद्र नाथ झा व्यास के मैथिली उपन्यास के राजस्थानी अनुवाद दो कागज तथा शंकर मोकाशी पुणेकर के कन्नड़ उपन्यास के राजस्थानी अनुवाद अवधेश्वरी का विमोचन किया।
प्रारंभ में संस्था समन्वयक अशफाक कादरी ने स्वागत उद्बोधन दिया। विमोचित पुस्तकों पर पत्रवाचन कवियत्री-आलोचक डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ने किया। राजेन्द्र जोशी स्मृति वलय पुस्तक एडवोकेट ओम हर्ष, साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार एवं डाॅ.अजय जोशी को समर्पित कर भेंट की। दादी का दुलारा-बाल कहानी संग्रह बालक पीयूष सारस्वत, वेदिका जोशी, पार्थ पुरोहित, कार्तिक रंगा,रेवा बोहरा, पीहू ,अभि,रंगा, मंयक एवं व्योम व्यास को समर्पित कर भेंट की गई।इस अवसर पर नगर की अनेक संस्थाओं यथा नागरी भंडार पाठक मंच, नवकिरण सृजन मंच, सखा संगम सहित गणमान्य नागरिकों ने लेखक राजेन्द्र जोशी का अभिनंदन किया। लोकार्पण समारोह में युवा चित्रकार सुनील रंगा ने जोशी का स्कैच बनाकर भेंट किया। युवा संगीतज्ञ गौरीशंकर सोनी ने राजेन्द्र जोशी के लिखे दो राजस्थानी गीतों की संगीतमय प्रभावी प्रस्तुति दी। संस्था सचिव साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आभार जाताया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया।
इस दौरान एन.डी.रंगा, नन्द किशोर सोलंकी, मधु आचार्य, डाॅ.नरेश गोयल, कमल रंगा, हीरालाल हर्ष, राजकुमार चूरा, प्रेमप्रकाश सोनी, डॉ अजय जोशी,मालचंद तिवारी, बुनियाद जहीन, इरशाद अजीज, प्रोफेसर मोतीलाल, नवनीत पाण्डे,शिव शंकर शर्मा, रवि पुरोहित,विजय गहलोत ,रामजस लिखाला, बुलाकी शर्मा, डॉ नीरज दइया,मेधातिथि जोशी, आशा शर्मा,अर्चना सक्सेना, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, शशांक शेखर जोशी, प्रशांत जैन, बृजगोपाल जोशी, शिवकुमार पुरोहित,वीरेंद्र जोशी,ओमप्रकाश सारस्वत ,प्रेम नारायण व्यास, जगदीश रतनू, हरिकिशन जोशी, शिवकुमार थानवी, हरिशंकर आचार्य, निर्मल कुमार शर्मा, जाकिर अदीब, माहिर आजाद, वली मोहम्मद गौरी, डॉ. फारूक चौहान सहित अनेक लोग उपस्थित थे।