दीपावली मुहूर्त को लेकर पंडित जितेंद्र आचार्य ने फिर दोहराये शास्त्रसम्मत तर्क !
- पंडित जितेंद्र आचार्य
RNE Special.
दीपावली कब मनाई जाये इस बात को लेकर संशय फैलाया जा रहा है। सोशल मीडिया इससे भरा हुआ है। मैंने पहले भी शास्त्र सम्मत तर्कों के आधार पर बताया कि दीपावली कब मनानी है।
अब एक बार फिर जहां तक संभव होगा उतना संक्षेप में शास्त्रों के प्रमाणों के मुताबिक बता रहा हूँ कि भ्रम में न पड़ें। अपनी बात मनवाने के लिए अनिष्ट की आशंका बताने वालों से न डरें। खुद इन प्रमाणों को देखें और निश्चिंत होकर 01 नवंबर को पूर्ण मनोयोग से महामाया माँ लक्ष्मीजी का पूजन करें।
जानें अमावस्या कब से कब तक :
पूरे भारत में अमावस्या पहले दिन यानी 31 अक्टूबर को दोपहर 03.53 बजे लगेगी और दूसरे दिन यानी 01 नवंबर को शाम 06.17 बजे तक रहेगी। स्वाभाविक है देश में अमावस्या दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद भी रहेगी चाहे वह कितनी ही देर तक क्यों ना हो। तो फिर हम दीपावली 1/11/24 शुक्रवार को ही क्यों मनाये 31/10 को क्यों नहीं? इसका जबाब यह है कि है जिस तरह हर विवाद का समाधान करने के लिए कानून बने होते हैं और कानून की किताबें होती हैं उसी तरह भारत में पंचांग में तिथि, त्यौहार कब मनाये जायेंगे इसके नियम लिखें हुए है। उन ग्रंथों का या निर्णय देने वाली क़ानून की किताबों का नाम है धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि, तिथी निर्णय, जयसिंह कल्पद्रुम आदि।
यह कहता है निर्णय सिंधु :
पहला नियम है कि कार्तिक अमावस्या पर जिस दिन प्रदोष काल या अर्ध व्यापिनी में से कोई एक हो उस दिन दीपावली मनाई जाये। वैसे इसका मुख्य काल प्रदोष है, आधी रात में कर्म करने योग्य नहीं ऐसा निर्णय सिंधु के पेज नंबर 330 परिच्छेद 2 में साफ साफ लिखा हुआ है ।अतः जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल में मिले उस दिन मना लेनी चाहिए | ऐसा कब होता है जब सूर्योदय से लेकर अमावस्या पुरे दिन तक तक रहे तब।
दूसरा नियम यह है जो आगे अब इसी ग्रंथ में लिखा हुआ है अगर दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन दीपावली माननी चाहिए | ऐसा क्यों लिखा हुआ है उसका नियम भी निर्णय सिंधु में स्पष्ट लिखा है
“दंडैक रजनीयोगे दर्श : स्यात् परेऽहनि | तदा विहाय पूर्वेद्यु : परेऽहनि सुख रात्रिका ” इसका अर्थ क्या होगा (यह नियम कब लागू होगा जब दो दिन अमावस्या प्रदोष काल में हो तो ) दूसरे दिन अमावस्या अगर एक दंड यानि एक घटी भी हो तो पहले दिन को त्याग कर दूसरे दिन दीपावली मनावे क्योंकि पहले दिन की जगह दूसरे दिन सुख रात्रि होती है | इसमें कोई संशय नहीं है पहले दिन जब अमावस्या पूरी नहीं है और दूसरे दिन पूरी मिल रही है तो दूसरे दिन दीपावली पूजन हो।
धर्मसिंधु यह कहता है :
धर्मसिंधु के पेज नंबर 177 के अनुसार “सूर्योदयं व्याप्तास्तोत्तरं घटिका रात्रिव्यापनी दर्शे सति न संदेह | यानि ग्रन्थ कार का कहना है अगर दूसरे दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अगर एक घटि यानि 24 मिनट भी अमावस्या हो तो दूसरे दिन दीपावली मनाई जाये। तो दूसरे दिन कोलकाता में करीबन 1 घंटा और 21 मिनट तक रहेगी तो इसका सीधा सादा अर्थ यही हुआ दूसरे दिन दीपावली मनाई जाये जो 1/11 को है |
पुरुषार्थ चिंतामणि का उद्वरण :
अब एक और प्रमाण देखिये जो पुरुषार्थचिन्तामणि, विष्णुभट्टविरचितः पृष्ठ 306 … का यह वाक्यांश देखें –
…. तच्चोत्तरदिनेऽस्तोत्तरं घटिकाद्यवच्छेदेन विद्यते*
इसको निम्नानुसार समझा गया है –
तत् च उत्तर दिने अस्तोत्तर घटिकाद्यः अवच्छेदेन विद्यते॥
यहाँ गौर करने लायक है कि रजनी या रात्रि का प्रयोग न करते हुए अस्तोत्तर का प्रयोग है जिससे स्पष्ट होता है कि सूर्यास्त के बाद घटिकाद्यः अवच्छेदेन विद्यते से यह बात साफ हो रही है कि घटिका के छोटे भाग से भी विद्यमान हो… (अवच्छेद = Any Thing cut off i.e. a fractional part घटि का लघु भाग पल या विपल होता है।) कौन विद्यमान हो, अमावस्या तो दूसरे दिन दीपावली मनाई जाये। तो फिर सही शास्त्र सम्मत शुक्रवार को 1/11/24 की जगह अधूरी अमावस्या 31/10 को क्यों मनावे |
वाह.. स्वाति नक्षत्र भी 01 को :
निर्णय सिंधु के पेज no. 300 के अनुसार अगर उस दिन स्वाति नक्षत्र अगर मिल जाता है तो उसकी प्रशंसा ही बहुत अच्छी होती है। तो स्वाती नक्षत्र भी उस 1/11 को पूरी रात 3.28 बजे तक रहेगा। फिर ऐसा अच्छा समय मिले तो दीपावली 1/11/24 को ही मनाई जाये, गलत क्यों मनावे |यह जरुरी नहीं है हर दीपावली की अमावस्या को मिले |
रजनीयोगे की व्याख्या पर सवाल :
कई लोग दंडैक रजनीयोगे का अर्थ अपनी मर्जी से निकालते है कि रजनीयोगे का मतलब प्रदोष काल के बाद एक दंड के बाद जबकि अमरकोष में रजनी का अर्थ साफ साफ लिखा हुआ है सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक का समय रजनी कहलाता है | तो 1/11 को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक देश में अलग अलग जगह पर उसके सूर्यास्त के अनुसार कुछ मिनट तक तो अमावस्या रहेगी ऊपर पुरुषार्थ चिंतामणि के श्लोक का पूरा अर्थ लिखा उसमें घटी के किसी भी भाग में अगर अमावस्या मिल जाती है तो उसके अनुसार भी दूसरे दिन दीपावली 1/11/24 को ही शास्त्र सम्मत और सही है। तो आप सभी बिना डर के दीपावली 1/11 को ही मनावे। सोचे मत सही जानकारी दी है।
शीघ्र बोध के श्लोक से संशय की जरूरत नहीं :
शीघ्र बोध का झूठा श्लोक आपके पास पहुंच रहा है। वैसे यह पुस्तक किसी भी पंचांग त्यौहार के निर्णय में लागू नहीं होती है | जो श्लोक है उसमें सभी पूर्णिमा का उल्लेख किया गया है दीपोत्सव या कहीं दीपमालिका का लिखा हुआ है तो दीपमालिका कार्तिक सुदी पूर्णिमा का दिया हुआ है | और बाकी लिखा जा रहा है प्रतिपदा युक्त अमावस्या में कभी दीपवाली नहीं मनाई जानी चाहिए। आपको दोष लगेगा। यह बात कहीं पर भी सत्य नहीं लगती है क्योंकि मैं आपको पुराने पंचांगों के अनुसार प्रमाण दे सकता हूं जिसमें प्रतिपदा युक्त अमावस्या में दीपावली मनाई गई थी। कुछ लोग जबरदस्ती अनिष्ट का डर फैला रहे हैं। त्यौहार मनाने में भी डर, किस किताब में लिखा हुआ है?
आप खुद ऐसे ऑनलाइन देख लें, आपके शहर में कब तक है अमावस्या :
कुछ लोग नक़ल से बने छोटे पंचांग कि बात कर रहे है उसमें अमावस्या शाम 05/22 बजे तक दिखाई गई है। आप अपने मोबाइल में drik panchang का सॉफ्टवेयर डाउनलोड करले और अपने शहर का स्थान भर लेवे उसको देख लेवे कब तक अमावस्या है। भारत सरकार के द्वारा निकलने वाले पंचांग में भी अमावस्या शाम 06/17 बजे तक मिलेगी। फिर गलत समय में दीपावली क्यों मनावे। इसलिए मेरी हाथ जोड़ प्रार्थना है आप बिना डर के दीपावली 1/11/2024 को मनावे। किसी अनिष्ट की धमकी वाली पोस्ट से डरने की जरूरत नहीं है।
एक आखिरी बात..
कई पंडित बोलेंगे अमावस्या के दिन आपको पूजा के लिए वृषभ और सिंह लग्न नहीं मिलेंगे। तो भाई, जब दीपावली 1/11/24 को सही है तो उस दिन आने वाले लग्न उसी दिन किये जायेंगे। पहले दिन जब दीपावली ही नहीं होगी तो लग्न कैसे माना जायेगा | जिसको सिंह लग्न की पूजा करनी है उनको 1/11 की रात को ही सिंह लग्न में पूजा करनी होगी | जब सारे प्रमाण दे दिए फिर आपको निर्णय लेना है गलत समय क्यों मनावे दीपावली सही समय जानकारी मिल रही है तो 1/11/ को ही माननी चाहिए |
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पंडित जितेंद्र आचार्य,
पंचांग गृहस्थ दर्पण पंचांग, हनुमत पंचांग और मनसा माता लघु पंचांग, कोलकाता