गीतकार नगेन्द्र किराड़ू का राजस्थानी गीत डा.अर्जुनदेव चारण ने लांच किया
RNE Bikaner.
राजस्थानी गीत प्रेमियों के लिये दीपावली के मौके पर गीतकार-गायक नगेन्द्र नारायण किराड़ू नये गीत के रूप में खास तोहफा लाये हैं। सोमवार को धनतेरस से ठीक पहले उनका नया गीत यू-ट्यूब पर लांच हुआ है। इस गीत को ख्यातनाम साहित्यकार – रंगनिर्देशक डा.अर्जुनदेव चारण ने लांच किया है।
डा.चारण ने इस मौके पर किराड़ू से गीत के बारे में जानकारी ली। इसके साथ ही यू-ट्यूब जैसे माध्यम पर लांच होने से आम आदमी तक होने वाली पहुंचे के बारे मंे भी पूछा। ऐसे में मोहित पार्थ किराड़ू ने डा.चारण को सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म की संक्षिप्त जानकारी दी।
जानिये कैसा गीत, किसने लिखा, किसने गाया :
गीतकार गायक नगेन्द्र किराड़ू ने बताया कि यह राजस्थानी गीत विरह पर तो केन्द्रित है लेकिन इसमें सौंदर्य और राजस्थानी प्रकृति-संस्कृति का बेहतर समावेश किया गया है। ‘चम-चम चमकै बीजळी, छम-छम बूंदा री बौछार..’ गीत में विरहणी की व्याकुलता को कोयल की कूक से उठने वाली हूक से सामने लाया गया। ‘खेजड़ी की तरह सूखती नार’ ‘जाड़ा.., पपीहा.., ओळू..’ आदि प्रतीको से विरह को प्रभावी बनाया गया है। लोकधुन पर आधारित गायकी में संगीत यशुदास भादाणी ने दिया है।
किराड़ू का कहना है, राजस्थानी में विरह कोई नया विषय नहीं है लेकिन सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला गीत विषय है। वजह, अकाल से जूझते इस प्रदेश में आमतौर पर पुरुष आजीविका के लिए परदेश जाते रहे हैं। इस दौरान नवविवाहिताएं अपने पीव के आने इंतजार करती रही है। इसी स्थिति को गीत में ढाल प्रस्तुत किया है।