भुलई भाई नहीं रहे : 111 की उम्र में निधन, मोदी, योगी, राजनाथ, अमित शाह ने शोक जताया
- BJP का सबसे पुराना “दीया” बुझा, मोदी, योगी, अमित शाह सहित भाजपा गमगीन
- केसरिया गमछे वाले भुलई भाई नहीं रहे, मोदी, योगी, राजनाथ, अमित शाह सब उनसे मिलते
RNE Network, UP.
केसरिया गमछा। घुटनों तक को छूती धोती। दुबला-शरीर और शरीर पर उम्र के निशान के बावजूद चाल में तेजी और चेहरे पर उत्साह। चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह। गृहमंत्री अमित शाह हो या मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी। हर कोई उन्हें देखते ही आवाज देता “भुलई भाई।” गर्मजोशी से मिलते। हल-चाल जानते। वे भी उत्साह से सब बताते। आज वे नरयण उर्फ “भुलई भाई” नहीं रहे। खबर मिलते ही पीएम मोदी, अमित शाह, योगी आदित्य नाथ, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित तमाम भाजपा नेताओं ने शोक जताया है।
आखिर कौन थे भुलई भाई :
नारायण राव उर्फ भुलई भाई, जनसंघ और भाजपा के देश में सबसे पुराने कार्यकर्ता थे जिंका 111 वर्ष की उम्र में कुशीनगर में निधन हुआ है। वे 1974 में भारतीय जनसंघ से एमएलए बने। वर्तमान में कुशीनगर की खड्डा सीट उस वक्त देवरिया की नौरंगिया सीट हुआ करती थी। बाद में वे भाजपा कार्यकर्ता बन गए और आजीवन पार्टी के लिए काम करते रहे। ऐसे में वे जनसंघ और भाजपा के सबसे पुराने कार्यकर्ता थे। कोविड के वक्त जब बीमार हुए तो पीएम मोदी ने फोन कर हाल जाने थे।
पीएम मोदी ने यूं याद किया :
“राजनीति और समाज सेवा में अमूल्य योगदान देने वाले नारायण जी का देहावसान एक अपूरणीय क्षति है। वे भाजपा के सबसे पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं में शामिल रहे हैं, जिन्हें हम भुलई भाई के नाम से भी जानते हैं। जन कल्याण से जुड़े उनके कार्यों को सदैव याद किया जाएगा। शोक की इस घड़ी में मैं उनके प्रशंसकों और परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति!”
गृह मंत्री अमित शाह ने ये कहा :
भाजपा के सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में एक नारायण जी उर्फ भुलई भाई का निधन अत्यंत दुःखद है। देशहित व राष्ट्रप्रथम के प्रति समर्पित भुलई भाई, जनसंघ से लेकर भाजपा के माध्यम से युवाओं को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए प्रेरित करते रहे। उनसे हुई मुलाकात में विचारधारा व राष्ट्रवाद के प्रति उनका उत्साह, आज भी मुझे याद आता है। दुःख की इस घड़ी में पूरा भाजपा परिवार उनके परिजनों के साथ है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति शांति शांति।
शिक्षा अधिकारी की नौकरी छोड़ दीनदयाल के सिद्धांत अपनाए :
जनसंघ की स्थापना हुई तो श्री नारायण उर्फ भुलई भाई एमए के छात्र थे। उस वक्त दीनदयाल उपाध्याय से प्रभावित होकर उनके सिद्धांतों पर चलना शुरू किया था। एमए के बाद एमएड किया और इसके बाद शिक्षा अधिकारी (एसडीआई) बन गए। इसके बाद 1967 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सियासत में आकर देश और समाज के लिए कुछ करने की ठानी। साल 1974 को उनको भारतीय जनसंघ ने अपना उम्मीदवार बनाया और भुलई भाई विधायक बन गए। भुलई भाई ने दो बार नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज की थी। 1977 में जनसंघ के साथ मिलकर बनी जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर फिर विधायक चुने गए।
योगी को पीएम देखना चाहते थे :
UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भुलई भाई से फोन पर बात कर आशीर्वाद लिया था। इस बातचीत में भुलई भाई ने योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री के रूप में देखने की इच्छा जताई थी। उन्होंने योगी से फोन पर करीब 41 सेकंड तक बात की। भुलई भाई ने कहा था कि आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री के रूप में देखने की इच्छा है। पूरा विश्वास है कि यह इच्छा जरूर पूरी होगी, क्योकि ईश्वर पर उन्हें पूरा भरोसा है।