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देवली उणियारा, सलूम्बर, खींवसर सीटें त्रिकोणीय संघर्ष में उलझी, हर वोटर तक प्रयास

RNE Network

राज्य की 7 विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव के लिए प्रचार का काम आज शाम से थम जायेगा। सभी सीटों पर चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच गया है। हर वोटर तक पहुंचने की कोशिश सभी उम्मीदवार कर रहे हैं। ये चुनाव दोनों पार्टियों के कई नेताओं के लिए खास महत्त्व के है, क्योंकि उनकी ही प्रतिष्ठा इन उप चुनावों में दांव पर लगी है। चुनाव परिणाम से सरकार पर असर नहीं पड़ेगा, अपितु दोनों दलों के कई नेताओं पर जरूर असर पड़ेगा।

देवली उणियारा:

कांग्रेस की ये सीट त्रिकोणीय संघर्ष में उलझ गई है। हरीश मीणा के सांसद बनने से रिक्त हुई इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा में सीधी लड़ाई होनी थी। मगर कांग्रेस नेता नरेश मीणा ने बगावत कर यहां ताल ठोक दी। इससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। मीणा – गुर्जर बाहुल्य के इस इलाके में अब अन्य जातियों के मतों की स्थिति निर्णायक बन गई है। इस सीट पर कड़ा मुकाबला है। इस सीट पर कांग्रेस से सचिन पायलट व हरीश मीणा की तो भाजपा की तरफ से किरोड़ीलाल मीणा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।

सलूम्बर सीट:

ये सीट भी त्रिकोणीय संघर्ष में फंस गई है। यहां भारतीय आदिवासी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतार के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है। ये उम्मीदवार भाजपा व कांग्रेस, दोनों का नुकसान कर रहा है। भाजपा यहां सहानुभूति की लहर पर सवार है तो कांग्रेस के लिए राहत की बात है कि रघुवीर मीणा आखिर राजी हो गए। यहां आदिवासी पार्टी को मिलने वाले मत निर्णायक होंगे।

खींवसर सीट:

नागौर की ये सीट सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। इस सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है। रालोपा के लिए ये सीट ज्यादा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यदि ये हार गए तो विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्त्व ही नही रहेगा। इस सीट पर गैर जाट मतदाता बड़ी भूमिका निभायेंगे। यहां सांसद हनुमान बेनीवाल के साथ ज्योति मिर्धा, रिछपाल मिर्धा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है।

रामगढ़ सीट:

अलवर जिले की इस सीट पर कांग्रेस सहानुभूति की लहर पर सवार है। कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके बेटे को उतारा है। यहां भाजपा – कांग्रेस में सीधा और तकड़ा मुकाबला है। यहां कांग्रेस की तरफ से टीकाराम जुली व जितेंद्र सिंह की तो भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है।

चौरासी सीट:

बांसवाड़ा की इस सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है। भारतीय आदिवासी पार्टी की इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा से टक्कर है। सांसद राजकुमार रोत के इस्तीफे से ये सीट रिक्त हुई है। यहां उनकी प्रतिष्ठा ही दाव पर है।

झुंझनु सीट:

ओला परिवार की इस परंपरागत सीट पर इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। कांग्रेस ने सांसद बने ब्रजेन्द्र ओला के पुत्र को ही उम्मीदवार बनाया है। यहां ओला परिवार की प्रतिष्ठा दाव पर है।
दौसा सीट
इस सीट पर भाजपा से जहां किरोड़ीलाल मीणा के भाई चुनाव लड़ रहे हैं तो कांग्रेस ने सचिन व मुरारीलाल मीणा की सिफारिश पर बैरवा को मैदान में उतारा है। कांटे की लड़ाई में इन्ही नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।