उप चुनाव के बाद भाजपा सरकार व संगठन में होगी बड़ी सर्जरी
RNE Special.
राज्य की 7 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव के लिए 13 नवम्बर को वोट पड़ गये। चुनाव परिणाम 23 नवम्बर को आयेगा। तब तक भाजपा, कांग्रेस व क्षेत्रीय दल अपनी अपनी जीत के दावे करते रहेंगे। इन सात सीटों में से पहले 4 कांग्रेस की थी, 1 भाजपा, 1 रालोपा व 1 भारतीय आदिवासी पार्टी की सीट थी।
अब उप चुनाव के बाद क्या स्थिति रहती है, उस पर सभी की नजरें है। मतदाताओं की ही नहीं अपितु राजनीतिक दलों के नेताओं की भी पैनी नजरें चुनाव परिणाम पर है। उनको पता है कि परिणामों के बाद उनके दलों में बड़े परिवर्तन होंगे। एक बड़ी सर्जरी लगभग सभी दलों में होनी तय है।
राज्य सरकार में तो बहुप्रतीक्षित सर्जरी को तय माना जा रहा है। उसकी तो काफी समय से तैयारी चल रही है। अभी मंत्रिमंडल में कई पद रिक्त है, जिनको भरा जाना है। साथ ही कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे पर भी फैसला होना है। मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन की चर्चा तो पिछले 4 माह से चल ही रही है। मगर उसको उप चुनाव के कारण टाला जाता रहा। अब टालने की कोई वजह ही नहीं। क्योंकि विपक्ष भी इस मसले पर लगातार हमलावर है।
उप चुनाव में भाजपा ने लगभग हर सीट पर दो दो मंत्रियों को लगाया हुआ था। अब किस सीट का क्या परिणाम रहता है, उससे उनकी कार्यशैली का मूल्यांकन भी होगा। मंत्रियों को चुनाव क्षेत्र में ही प्रवास करने को कहा गया था। सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन व प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ लगातार इनकी मॉनिटरिंग भी कर रहे थे। वे भी परिणाम के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट बनायेंगे जो सर्जरी के समय काम आयेगी।
इससे पहले लोकसभा के चुनाव हुए थे और उसमें भी मंत्रियों की ड्यूटी लगी हुई थी। उन परिणामों की रिपोर्ट भी सीएम व पार्टी संगठन के पास है। वो भी सर्जरी का आधार बनेगी। अभी तो सरकार को राजनीतिक नियुक्तियां भी करनी है, उसके लिए भी नाम बड़ी सर्जरी के बाद ही तय होंगे। मंत्रिमंडल की बड़ी सर्जरी चुनाव परिणामों के बाद होनी निश्चित है।
भाजपा संगठन में भी बड़े पैमाने पर सर्जरी इन परिणामों के बाद होनी तय है। नये बने अध्यक्ष मदन राठौड़ को अभी अपनी टीम बनानी है। उसमें भी ये उप चुनाव परिणाम आधार बनेंगे। संगठन ने भी अपनी तरफ से हर सीट पर कई नेताओं को लगाया था। उनकी रिपोर्ट भी तैयार होगी और उसके आधार पर पदाधिकारी तय होंगे। पार्टी के पास लोकसभा चुनाव के समय प्रभारियों व उम्मीदवारों की तरफ से दी गई रिपोर्ट भी है। उस रिपोर्ट को भी सर्जरी का आधार बनाया जायेगा।
पार्टी नेतृत्त्व की नीति के अनुसार जिलों से लेकर प्रदेश तक की राजनीतिक नियुक्तियां संगठन की सहमति से होनी है। इस कारण भी बड़ी सर्जरी संगठन के स्तर पर होनी है। उन लोगों को ही राजनीतिक नियुक्तियों में प्राथमिकता मिलेगी जिनकी लोकसभा व उप चुनाव में सक्रिय भागीदारी रही है। इन सब पर प्रभारी राधा मोहन व प्रदेश अध्यक्ष राठौड ने वर्किंग की है। अनेक जिलों में अध्यक्ष भी बदले जाने हैं, ये काम भी उप चुनाव परिणामों के बाद होगा।
भाजपा में उप चुनाव परिणामों का ज्यादा असर दिखेगा। सरकार व संगठन में बड़े फेरबदल होंगे और नए लोगों को अधिक अवसर मिलेगा। इसकी पूरी स्क्रिप्ट तैयार है। सीएम, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष की पार्टी नेतृत्त्व से चर्चाएं भी हो चुकी हैं। उप चुनाव परिणाम के बाद सर्जरी ही होगी।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में