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दो दिन-दो रातें : एक हॉल, कई विद्वान, निबंध और बच्चों की बातें

RNE Literary Desk.

अदब की दुनिया : साहित्य अकादमी, सृजन साहित्य सेवा संस्थान, नोजगे पब्लिक स्कूल के मंच पर प्रदेशभर के साहित्यकारों ने दो दिन किया मंथन। कई किताबों का लोकार्पण। खासतौर पर निबंध और बाल साहित्य पर हुई बात।

निबंध भाषा, संस्कृति री ओळखाण :

साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, सृजन साहित्य सेवा संस्थान व नोजगे पब्लिक स्कूल की तरफ से श्रीगंगानगर में ‘ राजस्थानी निबंध परंपरा ‘ पर राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित हुआ। राजस्थानी में इस विधा पर बहुत कम काम हुआ है, जबकि ये साहित्य की महत्ती विधा है। अकादमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल संयोजक डॉ अर्जुन देव चारण ने इसी वजह से इस विषय पर मंथन किया ताकि रचनाकार इस विधा पर सक्रिय हो। इस राष्ट्रीय परिसंवाद में डॉ चारण के अलावा निबंध की सर्वाधिक पुस्तकें लिखने वाले डॉ मंगत बादल, राजेन्द्र बारहठ, डॉ आशाराम भार्गव, हाकम नागरा, कमल किशोर पीपलवा, हरीश बी शर्मा, पी सी आचार्य व भंवर सिंह सामोर ने भागीदारी की।

डॉ अर्जुन देव चारण ने निबंध की परंपरा को बताते हुए कहा कि जब आत्म तत्त्व को समाज दबाता है तब लेखक निबंध लिखता है। निबंध से वो अपने पाठक को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने का प्रयास करता है। उनका कहना था कि निबंध में सबसे ज्यादा कल्पनाशीलता होती है और यह उस भाषा व उसकी संस्कृति की पहचान होता है। एक अनूठी परिभाषा डॉ चारण ने बताई। डॉ मंगत बादल ने कहा कि निबंध रचनाकार अपनी मौज में लिखता है, इस कारण उसमें कल्पना समाविष्ट होती है। राजस्थानी निबंध पर पहली बार इतनी गम्भीर और सार्थक चर्चा हुई।

बाल साहित्य वक़्त की जरूरत : 

साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, सृजन साहित्य सेवा संस्थान व नोजगे पब्लिक स्कूल ने दूसरे दिन ‘ राजस्थानी बाल साहित्य ‘ विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित किया। इसमें डॉ अर्जुन देव चारण, मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘, किरण बादल, डॉ राजेश कुमार व्यास, प्रमोद चमौली, सी एल सांखला, कीर्ति शर्मा, सीमा भाटी, प्रहलाद सिंह झोरड़ा और कृष्ण कुमार आशु ने भागीदारी की।

इस परिसंवाद को संबोधित करते हुए डॉ अर्जुन देव चारण ने कहा कि किसी भी लेखक की परिपक्वता का अंदाजा इस बात से लगता है कि उसकी बाल साहित्य की रचना कितनी और किस स्तर की है। दरअसल हम बच्चे को कम समझ का आंकते हैं, ऐसा है नहीं। भारतीय ज्ञान परंपरा नचिकेता व अष्टावक्र जैसे बच्चों से हमें परिचित कराती है। इस कारण बच्चे को कम समझ समझना गलत है। कला समीक्षक व रचनाकार डॉ राजेश कुमार व्यास ने कहा कि बाल साहित्य लिखना कठिन है, हमें बच्चे के स्तर तक जाना पड़ता है।

मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ ने समय व जुगबोध के अनुसार बाल साहित्य के पात्रों को बदलने व मातृभाषा में उस तक बात पहुंचाने की बात कही। प्रमोद चमौली ने बाल मनोविज्ञान का तथ्यात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। ये परिसंवाद उच्च कोटी का था और बहुत गम्भीर विचार प्रकट हुए। परिसंवाद में एक सुर कॉमन रहा कि हर रचनाकार को बाल साहित्य अवश्य लिखना चाहिए। दो परिसंवाद से राजस्थानी साहित्य जगत में एक नई व सार्थक हलचल आरम्भ हुई है। आयोजन में अरुण शहरयार, संदेश त्यागी, राजू गोस्वामी, मीनाक्षी आहूजा, सुषमा गुप्ता, सत्या, नवजोत भनोत आदि की सक्रिय भूमिका रही।

चार पुस्तकों का लोकार्पण : 

श्रीगंगानगर के इस राष्ट्रीय आयोजन में चार महत्त्वपूर्ण पुस्तको का लोकार्पण भी हुआ। ये भी साहित्य अकादमी, सृजन साहित्य सेवा संस्थान व नोजगे पब्लिक स्कूल के इस आयोजन की बड़ी उपलब्धि है।

डॉ.राजेश “कथूं – अकथ” के रूप में लाये राजस्थानी डायरी :

कवि, आलोचक, कला समीक्षक डॉ राजेश कुमार की राजस्थानी डायरी विधा की इस पुस्तक का लोकार्पण डॉ अर्जुन देव चारण, भंवर सिंह सामोर, मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ , कृष्ण कुमार आशु व देवेश कुमार ने किया। डॉ व्यास ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया के बारे में बताया।

बादल ने रची कथा कहती बाल कवितायें “राजा मायादास” : 

डॉ मंगत बादल लिखित बाल कविता संग्रह ‘ राजा मायादास ‘ का लोकार्पण डॉ अर्जुन देव चारण, मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘, पी के सूदन, देवेश व कृष्ण कुमार आशु ने किया। इस पुस्तक में कथात्मक शैली में बाल कविताएं है।

किरण का बच्चों को तोहफा “सीमा के रक्षक” : 

इस आयोजन में तीसरी लोकार्पित पुस्तक थी किरण बादल लिखित बाल कहानी संग्रह ‘ सीमा के रक्षक ‘ का लोकार्पण डॉ चारण, मधु आचार्य, कृष्ण कुमार आशु व देवेश ने किया। इस संग्रह में बाल मनोविज्ञान पर केंद्रित कहानियां है।

36 कवियों की एक किताब “कविता री किलकारी” : 

आयोजन में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की तरफ से प्रकाशित व सीमा भाटी द्वारा संपादित राजस्थानी बाल कविता संग्रह ‘ कविता री किलकारी ‘ का लोकार्पण डॉ अर्जुन देव चारण, मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘, देवेश जी, पी के सूदन व कृष्ण कुमार आशु ने किया। इस बाल कविता संकलन में राज्य के 36 रचनाकारों की बाल कविताएं संकलित है।

युवा लेखक, लघु कथाकार अरमान नदीम

अरमान नदीम के बड़े डग : 

युवा लेखक, लघु कथाकार अरमान नदीम ने छोटी उम्र में साहित्य के बड़े काम को हाथ में लिया है। प्रतिभावान अरमान ने छोटी उम्र में बड़ा नाम किया है और अपने रचनाकार पिता की विरासत को अच्छे से उनके सामने संभाला है। साहित्य में साक्षात्कार की विधा काफी अर्से से कमजोर हो गई, इस विधा को अरमान ने पकड़ा है। देश की चुनिंदा हस्तियों से वे इन दिनों साक्षात्कार कर रहे हैं जो स्थानीय दैनिक में प्रकाशित भी हो रहे हैं। जिनको देखकर लगता है साहित्य, उसकी विधाओं, साहित्य की राजनीति आदि विषयों पर इस युवा की अच्छी पकड़ है। इसे वे पुस्तक रूप में लायेंगे तो साहित्य को लाभ होगा। अरमान को बधाई।