कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कल मंत्री पद से इस्तीफा दिया आज वापस लिया सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
आरएनई,नेशनल ब्यूरो।
दो दिनों से हिमाचल में चल रही सियासी उठापटक के बीच आज शाम को नया ट्विस्ट आ गया। सुबह कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, देर शाम को उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम सुक्खू, विक्रमादित्य को समझाने में कामयाब रहे। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार सुबह मंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री व राज्यपाल को त्यागपत्र सौंपेंगे। इस दौरान उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा किया व प्रदेश में वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे।
छोटे भाई हैं, मना लेंगे
वहीं, शाम को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि विक्रमादित्य सिंह मेरे छोटे भाई हैं, उन्हें मना लेंगे। त्यागपत्र को स्वीकार नहीं किया जाएगा। बुधवार सुबह विक्रमादित्य विधानसभा परिसर में पहुंचे और पत्रकारों से बातचीत में कहा कि त्यागपत्र के बाद भी वह पार्टी में बने रहेंगे और समर्थकों के साथ विचार-विमर्श कर भविष्य की राजनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके विभाग में बेवजह दखल कर प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया। सब जान बूझकर किया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
अपनी शर्तों पर की राजनीति
सुक्खू ने कहा कि वह किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं। मेरी आवाज दबाने का प्रयास किया तो सहन नहीं करेंगे। विक्रमादित्य ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने सारी उम्र अपनी शर्तों पर राजनीति की और मैं भी उनके पदचिह्नों पर चल रहा हूं। यदि उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया तो सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में 14 माह में तालमेल नहीं रहा। सवा साल के दौरान कांग्रेस विधायकों की अनदेखी हुई और उनकी आवाज को दबाया गया। इस कारण मौजूदा घटनाक्रम हुआ है।
विक्रमादित्य ने कहा कि उन्होंने सभी घटनाक्रम व सरकार की कार्यशैली से पार्टी हाईकमान को अवगत करवाया, लेकिन फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह छह बार मुख्यमंत्री रहे और विधानसभा चुनाव में उनके नाम का पूरा इस्तेमाल किया गया। मतदान से एक दिन पहले उनके नाम का एक विज्ञापन भी छपा था।