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साहित्य अकादेमी पुस्तक मेले में व्यंग्य और कविता का रंग

RNE Network

साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित किए जा रहे पुस्तक मेले पुस्तकायन के नौवें दिन व्यंग्य-पाठ एवं हिंदी कविता-पाठ कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत गायन एवं कथक नृत्य की प्रस्तुति हुई। उत्कर्ष झा ने राग यमन एवं कुछ भजनों की प्रस्तुति दी और काशवी पाण्डेय ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया।

व्यंग्य-पाठ प्रेम जनमेजय की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जिसमें आलोक पुराणिक, अर्चना चतुर्वेदी, लालित्य ललित एवं सुभाष चंदर ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। प्रेम जनमेजय ने प्रदूषण पर बात करते हुए सरकारी और सामाजिक तंत्र पर कड़े कटाक्ष किए। अन्य रचनाओं में भी वर्तमान परिस्थितियों पर गहरे तंज़ थे।


हिंदी कविता-पाठ लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की अध्यक्षता में हुआ जिसमें अनिरुद्ध कुमार, अनुपम कुमार, राकेश कुमार, वाज़दा ख़ान, पूनम तुषामड़ ने अपनी-अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। सर्वप्रथम वाज़दा ख़ान ने अपनी चार कविताएँ प्रस्तुत कीं जिनके शीर्षक थे- क्या चाहते वर्जनाएँ हैं, चाँद, तोता पाठ एवं कुछ अनावश्यक झूठ। अनिरुद्ध कुमार ने संविधान पर अपनी कविताएँ प्रस्तुत की। अनुपम कुमार ने ‘माँ तुम्हारी गंध’ कविता के साथ ही एक गीत ‘मैं हूँ तेरा प्रिय’ प्रस्तुत किया। राकेश कुमार की कविताएँ थीं- कुर्सियाँ, सूरज, एवं स्त्री का होना। पूनम तुषामड़ ने ‘स्त्री की कविता’, ‘स्त्री जीवन का गणित’ एवं ‘औरत और साग’ कविताएँ प्रस्तुत कीं। कविता-पाठ की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कुछ क्षणिकाएँ, गीत एवं मुक्तक प्रस्तुत किए। एक मुक्तक था ‘दर्द जब बेजुबान होता है, कोई शोला जवान होता है’।


दस दिवसीय इस पुस्तक मेले का कल अंतिम दिन होगा। पुस्तक मेले में 40 से अधिक प्रकाशक भाग ले रहे हैं और पुस्तकों पर आकर्षक छूट भी उपलब्ध है।