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मयड़ रो माण : राष्ट्रीय पत्रिका समकालीन का पूरा अंक राजस्थानी पर केन्द्रित

  • राजस्थानी साहित्य की देशभर में गूंज, समकालीन का अंक निकला

RNE Network

हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘ समकालीन भारतीय साहित्य ‘ का सितम्बर- अक्टूबर 2024 अंक राजस्थानी साहित्य को समर्पित है। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की इस पत्रिका का ये अंक राजस्थानी साहित्य की विविधता व उच्चता को दर्शाता है और पूरे भारतीय साहित्य तक इसे पहुंचाता है। इस अंक में सभी रचनाएं राजस्थानी लेखकों की है। जिनका हिंदी अनुवाद इस अंक में प्रकाशित है। ये एक ऐतिहासिक कार्य है कि समकालीन का अंक पूरा राजस्थानी को समर्पित है। 45 वर्ष के इस प्रतिनिधि साहित्यिक पत्रिका के इतिहास में यह अनूठा काम पहली बार हुआ है, जब आधुनिक राजस्थानी साहित्य सभी भाषा के पाठकों तक पहुंचा है। जिसके लिए राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक डॉ अर्जुन देव चारण, अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक, उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा, सचिव के श्रीनिवास राव व बलराम साधुवाद के पात्र हैं।

राजस्थानी भाषा इस समय अपनी संवैधानिक मान्यता की लड़ाई लड़ रही है, उस समय समकालीन भारतीय साहित्य का ये अंक आना बड़ी बात है। इससे हमारे मान्यता आंदोलन को भी बल मिलेगा। हमारे साहित्य से अन्य भाषाओं के लोग भी परिचित होंगे।

समकालीन के इस अंक में आधुनिक राजस्थानी कविता, कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार, आत्मरचना, डायरी, यात्रा वृत्तांत, समीक्षात्मक आलेख आदि की विपुल सामग्री है। इस अंक में राजस्थानी कवि, नाटककार, आलोचक डॉ अर्जुन देव चारण का महत्ती साक्षात्कार है, जिससे हमारी भाषा के साहित्य के विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। ये साक्षात्कार माधव राठौड़ व कप्तान बोरावड़ ने लिया है। मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ का आत्मरचना का आलेख है। राजस्थानी कविता पर गजेसिंह राजपुरोहित का विस्तृत आलेख है। इस अंक में राजस्थानी के प्रतिनिधि रचनाकार सी पी देवल, अम्बिकादत्त, नंद भारद्वाज, राजेश कुमार व्यास, माधव नागदा, ज्योतिपुंज, मुकुट मणिराज, ओम नागर, मीठेश निर्मोही, कुंदन माली, अतुल कनक, गीता सामोर, भरत ओला, रामस्वरूप किसान, दिनेश पांचाल, सत्यनारायण सोनी, हरीश बी शर्मा, मदन गोपाल लढ़ा, शंकर सिंह राजपुरोहित, कैलाश कबीर आदि शामिल हैं। ये अंक राजस्थानी भाषा के आधुनिक साहित्य की एक स्वच्छ तस्वीर सभी भाषाओं के पाठकों के सामने रखेगा।

डॉ अजय जोशी की आई पुस्तकें:

बीता सप्ताह बीकानेर के लिए सुखद रहा। डॉ अजय जोशी की दो पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। एक उनका हिंदी व्यंग्य संग्रह ‘ मत सुन जनता यह पैगाम ‘ व एक उनका राजस्थानी निबंध संग्रह ‘ न्यारा निरवाळ निबंध ‘ था। जोशी लगातार व्यंग्य लेखन में सक्रिय हैं। जोशी को नई पुस्तकों के लिए हार्दिक बधाई।

मुकुट जी बढ़ाया राजस्थानी का मान:

साहित्य अकादमी, नई दिल्ली का 2024 का राजस्थानी भाषा का सर्वोच्च पुरस्कार कोटा के कवि, गद्यकार मुकुट मणिराज को घोषित हुआ है। यह राजस्थानी भाषा के लिए गर्व की बात है। उनको ये पुरस्कार उनकी काव्य कृति ‘ गांव अर अम्मा ‘ पर मिला है।

देश भर में मंच से राजस्थानी का मान बढ़ाने वाले इस लाडले कवि ने अकादमिक स्तर पर भी ठोस काम किया है। राजस्थानी की अछूती रेखाचित्र, संस्मरण, व्याकरण आदि पर भी पुस्तकें लिखी है। कोटा की साहित्य चर्चा मुकुट जी के बिना अधूरी है। 17 साल की उम्र में इस लेखक ने लिखना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में भागीदारी कर इन्होंने राजस्थानी की धाक जमाई है। हाड़ौती अंचल में शायद ही कोई हो जो मुकुट जी से और उनके मधुर कंठ से अपरिचित हो। अकादमिक स्तर पर अनेक संगोष्ठियों में भागीदारी करने वाले इस कवि के गीत लोगों को याद है। सुयोग्य कृति व कवि के चुनाव पर निर्णायकों भंवर सिंह सामोर, राजेश कुमार व्यास व डॉ लक्ष्मीकांत व्यास का आभार। मुकुट जी को बधाई।

आचार्य पर केंद्रित पुस्तक का प्रकाशन:

हिंदी के कवि, नाटककार, आलोचक, चिंतक डॉ नंदकिशोर आचार्य के सृजन पर केंद्रित पुस्तक ‘ शाश्वत समकालीन ‘ सूर्य प्रकाशन मंदिर से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक के लेखक प्रभात त्रिपाठी है। इसका लोकार्पण आज बीकानेर में हो रहा है।

डॉ आचार्य के साहित्य पर निकली ये पुस्तक साहित्यकारों के लिए तो लाभदायी है ही, शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। युवा साहित्यकार इसे पढ़कर नई सीख ले सकते हैं। आचार्य का विस्तृत रचनाकर्म जहां साहित्य के विविध आयाम उद्घाटित करता है वहीं कुछ नया सीखने का अवसर भी देता है। इस दृष्टि से सूर्य प्रकाशन मंदिर के डॉ प्रशांत बिस्सा साधुवाद के पात्र हैं कि वे ये पुस्तक पाठकों के लिए लाये हैं।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।