यूं ही नहीं मिली है वसुंधरा राजे पीएम मोदी से, कुछ बड़ा होने के आसार
RNE Network
राज्य की राजनीति में वसुंधरा राजे की पीएम नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के बाद बड़ा भूचाल आया हुआ है। राजे संसद में मोदी से मिली और दोनों के मध्य 20 मिनट अकेले में बातचीत हुई। ये खबर भी दूसरे दिन बाहर आई। जाहिर है बिना पीएम की स्वीकृति के मुलाकात तो संभव नहीं। ये मुलाकात राज्य में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद हुई है। भजनलाल सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर जयपुर में हुए आयोजन में पीएम मोदी भी आये। यहां मोदी व राजे के बीच मुलाकात हुई। उसके कुछ ही दिन बाद दोनों की दिल्ली में अकेले में मुलाकात हुई, इस कारण राजनीतिक कयास ज्यादा बढ़े हैं।
राजे विधानसभा चुनाव के बाद से ही नेपथ्य में रहकर चुप है। सीएम का पद इस बार भजनलाल शर्मा को मिला, राजे को नहीं। राजे चुप रही। फिर लोकसभा चुनाव हुए तो 10 साल बाद पहली बार भाजपा राज्य की सभी 25 सीटें नहीं जीत सकी। राजे उस चुनाव में फ्रंट- फुट पर नहीं थी। उन्होंने अपने को अपने बेटे दुष्यंत सिंह की सीट झालावाड़ तक ही सीमित कर लिया। वो सीट भाजपा बड़े अंतर से जीती। मगर राज्य की 11 सीटें विपक्ष ने भाजपा से छीन ली। ये पार्टी को बड़ा झटका लगा। इससे पहले के 2 चुनावों में भाजपा ने सभी 25 सीटें जीती थी और उस समय नेतृत्त्व राजे के पास था। उस चुनाव के बाद 7 सीटों के उप चुनाव हुए और भाजपा ने 5 सीट जीतकर बड़ी सफलता अर्जित की। ये सीएम भजनलाल की बड़ी उपलब्धि थी। जाहिर है उनकी स्थिति पार्टी के भीतर मजबूत हुई। हालांकि इस उप चुनाव में भी राजे मौन थी और अधिकतर दिल्ली में रहकर दूसरे समीकरण बनाने में जुटी हुई थी।
भाजपा के इस समय संगठन चुनाव चल रहे हैं। नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनना है। पहले जो नाम इस पद के लिए चर्चा में आये उनमें देवेंद्र फडणवीस, विनोद तावड़े और वसुंधरा राजे शामिल थे। काफी दिनों तक नामों की इस रेस में राजे का नाम काफी आगे चलता रहा। फिर वो थम गया। फडणवीस व तावड़े के नाम आगे आ गये। मगर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को बड़ा बहुमत मिला और देवेंद्र फडणवीस वहां मुख्यमंत्री बन गए। अब वे तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में है नहीं। जाहिर है, उनको दूसरी बड़ी जिम्मेवारी मिल गई। विनोद तावड़े वोट के बदले केश के मामले में महाराष्ट्र में उलझ गए। उन पर एफआईआर भी दर्ज हुई है। जाहिर है पार्टी अब उन पर दाव नहीं लगा सकती। उस समय जो नाम रेस में थे, उनमें से अब केवल राजे का ही नाम शेष बचा है। इस कारण एक बार फिर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाएं तेज हो गई है।
इन चर्चाओं को उनकी और मोदी की मुलाकात के बाद ज्यादा बल मिला है। एक बार फिर ये माना जा रहा है कि राजे अब अध्यक्ष के लिए सबसे मजबूत दावेदार है। वैसे कुछ अर्थों में ये बात भी सही है कि मोदी और उनकी मुलाकात केवल औपचारिक मुलाकात तो हो नहीं सकती। मुलाकात तो राजनीतिक ही है, अब वो क्या है, ये खुलासा होना मुश्किल है। मगर यदि इस मुलाकात को अध्यक्ष की बात से जोड़ा जाता है तो गलत भी नहीं। राजस्थान के नेताओं को पीएम ने ज्यादा महत्त्व तो दिया हुआ ही है। लोकसभा अध्यक्ष लगातार दूसरी बार राज्य के ओम बिरला बने हैं। उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ भी राज्य के हैं। एक देश एक चुनाव विधेयक पेश करने वाले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी राज्य के है। इस विधेयक पर बनी जेपीसी के अध्यक्ष पी पी चौधरी भी राज्य के हैं। पीएम का राजस्थान प्रेम तो दिख रहा है। यदि राजे के लिए भी कोई बड़ा निर्णय हो जाये, तो ये भी अस्वाभाविक नहीं होगा।
मगर एक बात और है, दरअसल पीएम मोदी व गृहमन्त्री अमित शाह जो दिखाते हैं वो होता कम ही है। वे अंतिम समय मे चकित करने वाले निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। पर ये भी सच है कि राजे को ज्यादा दिन नेपथ्य में तो रखा नहीं जा सकता। अब कयास सही हैं या गलत, इसका पता तो अगले महीने 20 तारीख तक चल जायेगा। लेकिन मोदी से मुलाकात के बाद राजे को लेकर एक बार फिर चर्चाओं को तो बल मिला ही है।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।