BIKANER CAMEL FESTIVAL : रौबीलों के विरोध के बाद प्रशासन ने मिस्टर बीकानेर, मिस मूमल, ढोला मारू प्रतियोगिताएं घोषित की
- गुरूवार को प्रतिभागियों का होगा नामांकन
RNE, Bikaner.
बीकानेर कैमल फेस्टिवल में रौबीलों की मांग के आगे आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा। प्रशासन ने कैमल फेस्टिवल में मिस मूमल, मिस्टर बीकाणा, ढोला-मारू प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने का निर्णय ले लिया है। गुरुवार को इसके लिए नामांकन होंगे।पर्यटन विभाग के उपनिदेशक अनिल राठौड़ ने बताया कि इच्छुक प्रतिभागी गुरुवार शाम तक ढोला मारू के पर्यटक स्वागत केन्द्र में इसके लिए संपर्क कर सकते हैं।
मामला यह है:
दरअसल पर्यटन विभाग ने इस बार ऊंट उत्सव में प्रतियोगिताएं करवाना स्थगित कर दिया था। इसकी बजाय रौबीलों, मरवणों, ढोला-मारू का शो घोषित किया। रौबीलों और प्रतियोगिता की तैयारी कर रही लड़कियों-महिलाओं ने भी इसका विरोध किया।
रौबीलों ने कलेक्टर, पर्यटन विभाग के अधिकारियों से मिलकर अपना विरोध जताते हुए यहां तक कह दिया कि प्रतियोगिता नहीं हुई तो वे कैमल फेस्टिवल में भागीदारी नहीं निभाएंगे। ऐसे में 10 जनवरी से शुरू हो रहे तीन दिवसीय ऊंट उत्सव के एक दिन पहले यानी 09 जनवरी को आनन-फानन में इस प्रतियोगिता के लिए आवेदन मांगे गये हैं।
जानिये कैमल फेस्टिवल में कब, क्या :
10 जनवरी को लक्ष्मीनाथ मंदिर से हेरिटेज वॉक :
तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय ऊंट उत्सव की शुरूआत 10 जनवरी को सुबह 08:30 ‘बीकानेर हैरिटेज वाॅक’ से होगी। यहां नगाड़ा, मश्क, चंग और बांसुरी वादन एवं भजन गायन की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। वहीं देशी और विदेशी सैलानी मथेरण, बंधेज, पोट्री, सुनहरी कलम और साफा बांधने की कला से रूबरू हो सकेंगे। इस दौरान लोक कलाकार, रोबीले और सजे-धजे ऊंट भी साथ रहेंगे। वाॅक का समापन लगभग 11 बजे रामपुरिया हवेलियों के पास होगा।
10 जनवरी को ही धरणीधर मैदान में प्रसिद्ध गायक प्रकाश माली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा।
11 जनवरी को खास प्रतियोगिताएं :
- कैमल रिसर्च सेंटर में कैमल डांस, कैमल रेस, कैमल फार कटिंग, हॉर्स शो
- जूनागढ़ से करणीसिंह स्टेडियम तक शोभायात्रा
- करणीसिंह स्टेडियम में मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा, ढोला मरवण का पारम्परिक परिधान प्रदर्शन एवं प्रतियोगिताएं।
12 जनवरी को अग्नि नृत्य :
रायसर के धोरों में कबड्डी, कुश्ती के साथ ग्रामीण खेल
सेंड आर्ट एग्जीबिशन, कैमल कार्ट सफारी आदि।
रात को लोकनृत्य और अग्नि नृत्य के साथ समापन।
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